MP Bidhuri statement is inappropriate
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Editorial: सांसद बिधूड़ी के बयान अनुचित, भाजपा को लेना चाहिए निर्णय

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MP Bidhuri statement is inappropriate

MP Bidhuri statement is inappropriate लोकसभा में बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के प्रति भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की टिप्पणियों का पुरजोर विरोध जरूरी है। बिधूड़ी ने देश की संसद में जिस प्रकार से अशोभनीय टिप्पणी की हैं, उससे न केवल संसद का नया भवन अपमानित हुआ है, अपितु इन टिप्पणियों ने धर्म समभाव और कानूनी समानता का भी गला घोंटा है। संसद वह स्थान है, जोकि चर्चा और उस पर निर्णय के लिए आरक्षित है। वहां पर बिधूड़ी ने जिस प्रकार की अमर्यादित बातें कही हैं, वे उनकी अनुभवहीनता एवं राजनीतिक कुंठा को प्रदर्शित करती हैं। अपेक्षा तो यह की जाती है कि एक सांसद अपनी सरकार और पार्टी की नीतियां, कार्यक्रम और उसकी विचारधारा को सदन के अंदर रखेगा और विपक्ष के विरोध का प्रखर जवाब देगा।

हालांकि सदन में पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से चर्चा के स्तर को निम्न बनाया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि प्रधानमंत्री को सुनने के लिए भी विपक्षी सांसदों के पास समय नहीं रह गया है, हालांकि वे अपने नेता के पक्ष में जरूर चुप्पी साध कर बैठ जाते हैं या फिर उनकी बातों का समर्थन करते हुए मेज थपथपाते हैं। ऐसा करना अनुचित नहीं है, समर्थन और विरोध का यह तरीका राजनीति में सामान्य है, लेकिन समस्या तब बनती है जब न पक्ष विपक्ष को सुनने को तैयार रहता है और न ही विपक्ष, सत्तापक्ष को।  

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की टिप्पणियों को संसद में सुनते हुए अहसास होता है, जैसे उनके पास शब्दों की तंगी हो गई थी। बेशक, ऐसा सुनने को आया है कि बसपा सांसद दानिश अली की ओर से बिधूड़ी को रोकटोक कर उन्हें उकसाने जैसी कार्रवाई की गई। लेकिन इसके बावजूद बिधूड़ी को अपने शब्दों को अनियंत्रित नहीं होने देना चाहिए था। वे बसपा सांसद के तथाकथित उकसावे के बावजूद अपनी बात को प्रभावी तरीके से कहना जारी रख सकते थे। लेकिन उन्होंने चेयर को संबोधित करने के बजाय सीधे सांसद दानिश अली को ही संबोधित करना शुरू कर दिया और उनके संबंध में ऐसी बातें कही, जोकि सडक़ छाप ही कही जा सकती हैं। बिधूड़ी ने ऐसे आरोप भी लगाए हैं, जोकि अनर्गल प्रतीत हो रहे हैं। मुस्लिम  वर्ग से आए सांसद के संबंध में आतंकी जैसे शब्द अस्वीकार्य हैं।  क्या दानिश अली अपना सम्मान और स्वाभिमान नहीं रखते हैं। वे भी एक बहुसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर सांसद बिधूड़ी को सच में ऐसी कोई शिकायत है तो उसका विवरण उन्हें किसी जांच एजेंसी को देना चाहिए और उसकी यथोचित जांच का आग्रह सरकार से करना चाहिए। लेकिन इस प्रकार से संसद में ऐसे शब्दों को जाहिर कर उन्होंने अपनी सरकार एवं पार्टी को भी मुश्किल में खड़ा कर दिया है।

गौरतलब है कि टीवी पर एक बहस के दौरान भाजपा महिला प्रवक्ता ने मुस्लिम धर्म के संबंध में एक टिप्पणी कर दी थी, इसके बाद पूरे देश एवं दुनिया में भारत एवं भाजपा को इसके लिए आलोचना का शिकार होना पड़ा था। कई लोगों की हत्याएं कर दी गई थी, दंगे भडक़े थे और दो समुदायों के बीच नफरत का नया अध्याय शुरू हो गया था। हालांकि तब भी कहा गया था कि उन महिला प्रवक्ता को उकसाया गया था। बेशक इस आरोप में सच्चाई हो सकती है लेकिन किसी के उकसावे में आकर भाजपा को जो नुकसान पहुंचा, उसका प्रतिफल उसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा था। आखिर ऐसी परिस्थितियों को बनने देना क्या जरूरी है। क्योंकि नहीं पार्टी अपने सांसदों, नेताओं को इसके निर्देश देती कि वे अपने आचरण को अनुशासित रखेंगे और ऐसी कोई बात नहीं कहेंगे जिससे माहौल में तनाव पैदा हो और विपक्ष को कुछ कहने का मौका मिले। वास्तव में एक राजनीतिक दल के लिए यह बहुत गौरवपूर्ण होता है कि देश की बहुसंख्या का समर्थन उसे हासिल होता है और वह देश को चला रहा होता है।

भाजपा लगातार दो बार से केंद्र में अपनी सत्ता को कायम कर पा रही है। इस दौरान उसने देश में निर्णायक बदलाव कायम किया है, यह समय ऐसा है, जब बेहद विनयपूर्वक इस बदलाव कारी अभियान को आगे बढ़ाते जाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर संबोधन में देश की जनता से यही आग्रह करते हैं। नई संसद में कामकाज के शुभारंभ अवसर पर उन्होंने तीन जगह लंबे भाषण दिए।

इन भाषणों में उन्होंने अपनी सरकार एवं पार्टी के विजन का जिक्र ही किया। उनके पास शब्दों का संग्रह है जोकि प्रत्येक सांसद के पास होना चाहिए। बिधूड़ी के मन में अगर कोई शिकायत थी भी तो वे उसका प्रदर्शन सार्थक शब्दों के जरिये भी कर सकते थे। निश्चित रूप से अब भाजपा नेतृत्व सांसद बिधूड़ी के संबंध में विचार कर रहा है, जोकि जरूरी भी है। पार्टी को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह मोदी सरकार के अच्छे कार्यों से पैदा हुई आभा को क्षीण करता है। 

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