Editorial: कनाडा से मिल रहा आतंकियों को संरक्षण, पूरा विश्व देख रहा
- By Habib --
- Thursday, 21 Sep, 2023
Terrorists are getting protection from Canada
Terrorists are getting protection from Canada कनाडा और भारत के राजनयिक संबंधों में आई खटास के लिए जिम्मेदार कौन है? निश्चित रूप से इसके लिए जिम्मेदार पंजाब में खालिस्तान की मांग कर रहे लोग और कनाडा में जाकर बसे वे लोग जिम्मेदार हैं, जिन्हें आतंकवाद के लिए पोषण मिल रहा है। पाकिस्तान स्थित आईएसआई और कनाडा में वहां की सरकार जिस प्रकार से खालिस्तानी आतंकियों को भारत के खिलाफ भडक़ा कर पंजाब के हालात को खराब करने की साजिश रच रही है, वह बेहद चिंताजनक और सख्त कार्रवाई योग्य है।
बेशक, भारत सरकार ने इस दिशा में तमाम कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इन्हीं कदमों के मद्देनजर कनाडा जाने वाले भारतीयों और वहां रह रहे भारतीयों के संबंध में यह एडवाइजरी जारी करना उचित है, लेकिन इससे हालात और बिगडऩे की आशंका भी रहेगी। लेकिन जिस प्रकार से कनाडा में रहे रहे खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हिंदुओं को धमकी देते हुए देश छोडऩे को कहा है, वह और गंभीर मामला है। यह कितना दुखद है कि कनाडा की सरकार जोकि भारत की आपत्तियों के बावजूद ऐसे आतंकियों को संरक्षण दे रही है, ऐसी धमकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
पश्चिम के किसी देश के साथ भारत के संबंध पहली बार इस स्तर पर पहुंचे हैं। लेकिन यह निश्चित है कि ऐसा होना ही था, क्योंकि कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए बहुत लंबे समय से प्रयोगशाला बना हुआ है। पंजाब में तमाम आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर कनाडा भागने वाले वहीं बस चुके हैं और अब भारत के खिलाफ साजिश को अंजाम दे रहे हैं। पंजाब में अनेक हत्याओं में कनाडा में रह रहे लोग जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि अब एनआईए ने कनाडा से जुड़े गैंगस्टरों की सूची जारी कर उनमें से पांच खालिस्तानी आतंकियों पर ईनाम घोषित किया है।
यह जरूरी था कि ऐसे अपराधियों की पहचान जाहिर की जाए और फिर उन पर कड़ी कार्रवाई के लिए कदम उठाए जाएं। गौरतलब है कि भारत के खिलाफ एक आतंकी की हत्या का आरोप लगाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का रवैया जस का तस बना हुआ है, जबकि दुनिया उनके इस बयान से सकते में है। विश्व के देश समझ रहे हैं कि ट्रूडो ने क्या गलत कर दिया है और उसकी सजा किस प्रकार से उनके देश के निवासियों को मिलने वाली है।
कनाडा इस मामले में किस प्रकार अलग-थलग हो चुका है, इसका अंदाजा इससे भी लगता है कि फाइव आइज देशों ने भी उसका पक्ष लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इन फाइव आइज में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल है। अमेरिका ने इस मामले में बेहद सधी हुई टिप्पणी की है, वहीं आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आई है। इसी प्रकार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि उनका देश खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
कनाडा के इस रवैये के बाद उससे जुड़े मामलों पर असर पडऩा शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री ट्रूडो अपनी राजनीति के लिए अपने देश के हितों को दांव पर लगा चुके हैं। उनका यह दावा हास्यास्पद है कि निज्जर की हत्या मामले को अपने देश की संसद में उठाने से पहले वे इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करना चाहते थे। लेकिन भारत सरकार ने इसे महत्व नहीं दिया।
हालांकि इस तरह के आरोप एकतरफा ही रहेंगे, क्योंकि भारत उन खालिस्तानी आतंकियों की असलियत जानता है, जोकि पंजाब में या फिर देश में या फिर विश्व में आतंकी वारदातों को अंजाम देकर कनाडा में छिप चुके हैं। ऐसे में उन आरोपियों के संबंध में किसी दूसरे देश के सर्वेसर्वा की पैरोकारी क्या मतलब रखती है। दुनियाभर में कनाडा के नागरिकों के साथ ऐसे मामले घटे हो सकते हैं। चीन में कनाडा के दो नागरिकों को बंधक बना लिया गया था लेकिन इस बारे में ट्रूडो ने कुछ नहीं कहा था। अब भारत से आए खालिस्तान समर्थक लोगों के बचाव में वे क्यों आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसके पीछे उनकी मंशा का साफ-साफ पता चलता है।
वास्तव में यह मामला बेहद संवेदनशील है और भारत सरकार को इससे बेहतरीन तरीके से निपटना होगा। इतना तय है कि ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद से कनाडा में गैंगस्टरों की गतिविधियां बढ़ी हैं। यह भी निश्चित है कि कनाडा की सरकार ऐसे अपराधियों को संरक्षण दे रही है और आरोपी होने के बावजूद उन्हें अपने नागरिक करार दे रही है। कनाडा सरकार की इन करतूतों ने वैश्विक समाज में भी तनाव पैदा किया है। कनाडा की पहचान शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के लिहाज से एक खुले दिल के देश के रूप में है, लेकिन आतंकी वारदातों का विरोध करने और उन पर कार्रवाई करने के बजाय वहां की सरकार जिस प्रकार से पेश आ रही है, वह निराशाजनक और वैश्विक बिरादरी के हितों के खिलाफ है।
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