Congress President Kharge's message

Editorial: कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का संदेश पहुंचे पार्टी के जन-जन तक  

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Congress President Kharge's message

कांग्रेस ने अगर पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव में दृढ़ इरादों से उतरने का फैसला लिया है तो यह समय की मांग है। कांग्रेस वह राष्ट्रीय राजनीतिक दल है, जिसके बगैर विपक्ष की कल्पना संभव नहीं है। इस समय देश में अनेक विपक्षी राजनीतिक दल सामने आ रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से बीते साल भर में कांग्रेस ने अपने आप को पुन: खड़ा किया है, उससे पार्टी की संभावनाओं को बल मिला है। कांग्रेस के इसी रूख की वजह से उसे कर्नाटक प्रदेश और हिमाचल के विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल हुई थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि देश की जनता बदलाव चाहती है और कांग्रेस इस लड़ाई के लिए तैयार है।  निश्चित रूप से एक राजनीतिक दल के मुखिया को अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए ऐसे ही संभाषण देने होते हैं।

यह जरूरी है कि खड़गे  का यह संदेश पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता एवं नेता तक पहुंचे। हालांकि कांग्रेस की चुनौतियां कम नहीं हैं और प्रतिदिन बदल रहे घटनाक्रम में कांग्रेस को रचनात्मक विपक्ष की भूमिका को साबित करना होगा। इस समय पार्टी की राज्य इकाइयों में अनुशासनहीनता की खबरें जारी हैं, वहीं पार्टी महागठबंधन करके चुनाव में उतरने की तैयारी में है, लेकिन महागठबंधन का स्वरूप अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में एक मजबूत विपक्ष बनने और भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस को और पुरजोर कोशिश करनी होगी।  

खड़गे ने हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में अनेक अहम बातें की हैं। इनमें सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला और ब्लाक कमेटी का गठन करने की जरूरत बताई गई है। पार्टी के लिए संगठन आवश्यक है और इसका गठन पूरा हुए बगैर पार्टी में अनुशासन और नेतृत्व का प्रवाह नहीं आएगा।

हरियाणा जैसे अहम प्रदेश में पार्टी संगठन के गठन के दौरान किस प्रकार की गुटबाजी सामने आ रही है, वैसी स्थिति कमोबेश प्रत्येक राज्य में पार्टी के समक्ष हो सकती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह भी कहना है कि पार्टी को 18 से 25 वर्ष के मतदाताओं तक पहुंचना होगा। अपनी विचारधारा, इतिहास और अपने काम के बारे में बताना होगा। वास्तव में कांग्रेस की यह राष्ट्रीय बैठक यह संदेश देने में कायमाब रही है कि पार्टी अब एक दिशा में आगे बढ़ रही है और उसके पास सुदृढ़ नेतृत्व है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बैठक में यह बखूबी जताया है कि अब पार्टी नेताओं को अनुशासन में रहना होगा और इसी के जरिये सफलता हासिल करनी है। उनका यह कहना समयोचित है कि पार्टी जनों को दिन-रात मेहनत करनी होगी। जीत के लिए अनुशासन और एकता अपरिहार्य है।  

हालांकि कांग्रेस की इस तैयारी के बीच इंडिया गठबंधन की स्थिति भी स्पष्ट होना जरूरी है। अगर कांग्रेस खुद को इतना सक्षम पाती तो वह गठबंधन का हिस्सा बनने की बजाय खुद मैदान में उतरती।  दरअसल, इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के नेता एक मंच पर तो आ रहे हैं, लेकिन उनके संबंधित राज्यों में सीटों के बंटवारे की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। टीवी चैनलों पर इसके दावे किए जा रहे हैं कि सीटों का बंटवारा भी कर लिया जाएगा लेकिन जिस प्रकार के हालात राज्यों में नजर आते हैं, उनमें यह कार्य बेहद जटिल होने वाला है।

बेंगलुरु में कांग्रेस की अगुवाई में हुई विपक्षी दलों की बैठक में कहा गया था कि महासमर के लिए अब तटस्थता के लिए कोई जगह नहीं है। यानी राजनीतिक दलों को यह विचार कर लेना होगा कि उन्हें इधर रहना है या उधर। एक तरफ भाजपा है और दूसरी तरफ कांग्रेस। भाजपा ने राजग का गठन कर उसमें क्षेत्रीय दलों को शामिल करते हुए सत्ता की तरफ कदम बढ़ाए थे, हालांकि साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा को एकल बहुमत मिला तो उसे संभव है, सहयोगियों की जरूरत महसूस होना खत्म हो गई थी। लेकिन अब जब कांग्रेस ने अपने टोले को बड़ा कर लिया है और उसमें आम आदमी पार्टी जैसा नवोदित दल भी शामिल हो रहा है तो यह भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में उसे जहां अपने सहयोगियों की याद आ रही है वहीं नए सहयोगियों को जोड़ने के लिए भी वह बेताब दिख रही है।

मौजूदा परिस्थिति में कांग्रेस के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने अंदर अनुशासन को बढ़ाए और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका में भी आए। देश की जनता सब समझ रही है, जरूरत इसकी भी कि पार्टी सत्तापक्ष पर ठोस सबूतों के आधार पर आरोप लगाए। इससे जहां पार्टी की साख मजबूत होगी, वहीं जनता उसके नेताओं के बयानों को गंभीरता से लेगी। कांग्रेस में संगठन चुनावों का जल्द से जल्द पूरा होना भी जरूरी है, इसके अलावा पार्टी नेताओं को गुटबाजी खत्म करने पर भी ध्यान देना होगा। 

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