राहुल गांधी ने बताया- हिंदू होने का मतलब; सोशल मीडिया पर BJP और लोगों ने घेर लिया, जरा देखें
Rahul Gandhi Article About To Hindu
Rahul Gandhi Article About To Hindu: कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी इन दिनों जमीनी स्तर पर बेहद ज्यादा एक्टिव हैं। अपने अलग अंदाज के साथ विभिन्न वर्गों के लोगों से घुल-मिल रहे हैं। खास बात यह है कि इस बीच राहुल गांधी उन्हीं के जैसे बन जाते हैं। वहीं अब राहुल गांधी हिंदू होने का मतलब समझा रहे हैं। राहुल गांधी ने यह बताया है कि, हिंदू धर्म क्या है और हिंदू होने का मतलब क्या होता है।
दरअसल, राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर 'सत्यम् शिवम् सुंदरम्' हेडिंग के साथ डेढ़ पेज का एक लेख शेयर किया है. राहुल गांधी के इस लेख में लिखा है- ''ज़िंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख और भय का एक महासागर है, और हम सब उसमें तैर रहे हैं। इसलिए जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है। वही हिंदू है। एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत एक हिंदू सभी प्राणियों की रक्षा आगे बढ़कर करता है। निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है।
एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता। एक हिंदू का आत्म इतना कमज़ोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी क़िस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाये। वह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचर रहे किसी भी व्यक्ति से सुनने-सीखने को प्रस्तुत। हिंदू सभी प्राणियों से प्रेम करता है। सबका आदर करता है और उनकी उपस्थिति को बिल्कुल अपना मानकर स्वीकार करता है.
कमेंट्स में यूजेर्स क्या बोले?
राहुल गांधी के इस लेख को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम कमेंट्स देखने को मिल रहे हैं। कुछ कमेंट्स तो राहुल गांधी की तारीफ में हैं लेकिन अधिकतर कमेंट्स में राहुल गांधी को निशाना बना दिया गया है। किसी ने लिखा- राहुल गांधी चुनावी हिन्दू हैं और चुनाव को देखते हुए यह ज्ञान दे रहे हैं... किसी ने लिखा- खुद तो पहले हिन्दू बन जाएं, फिर हिंदूइज्म की व्याख्या करें, किसी ने लिखा- "पहले हंसी आती थी, अब तरस आता है इन पर''
बीजेपी ने भी बोला हमला
इधर, राहुल गांधी के इस लेख को लेकर बीजेपी भी हमलावर है। बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि राहुल गांधी चुनावी हिंदु बनकर आखिर जनता से क्या उम्मीद कर रहे हैं? कुछ होने वाला नहीं है, जनता सब जानती है। बीजेपी ने कहा कि, 1947 के बाद कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया। इस दौरान समाज के साथ कितनी सारी गलतियां कीं। क्या पता नहीं है किसी को॥ बता दें कि, राहुल गांधी का यह लेख उस समय सामने आया है। जब विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के कुछ नेता हिंदुत्व को लेकर विवादित बयान दे रहे हैं। सनातन को उल्टा-सीधा बोल रहे हैं।
राहुल गांधी का हिंदू होने के बारे पूरा लेख
''कल्पना कीजिए, ज़िंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख और भय का एक महासागर है, और हम सब उसमें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह, शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोंबीच हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है - वहीं भय भी है। मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय, लाभ-हानि का - भय, भीड़ में खो जाने और असफल रह जाने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं। भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर से आज तक न तो कोई बच पाया न ही बच पाएगा।
जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है - हिंदू वही है। यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्ट्र या भूभाग - विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है। भय के साथ अपने आत्म के सम्बंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति हिन्दू धर्म यह सत्य को अंगीकार करने का एक मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है, मगर यह हर उस व्यक्ति के लिए सुलभ है जो इस पर चलना चाहता है।
एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। अस्तित्व के लिए संघर्षरत सभी प्राणियों की रक्षा वह आगे बढ़कर करता है। सबसे निर्बल चिंताओं और बेआवाज़ चीखों के प्रति भी वह सचेत रहता है। निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है। सत्य और अहिंसा की शक्ति से संसार की सबसे असहाय पुकारों को सुनना और उनका समाधान ढूँढना ही उसका धर्म है।
एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भयरूपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिंदू का आत्म इतना कमज़ोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी क़िस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाये ।
हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ उस अकेले की संपत्ति नहीं है। सब कुछ सबका है। वह जानता है कि कुछ भी स्थायी नहीं और संसार रूपी महासागर की इन धाराओं में जीवन लगातार परिवर्तनशील है। ज्ञान के प्रति उत्कट जिज्ञासा की भावना से संचालित हिंदू का अंतःकरण सदैव खुला रहता है। वह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचर रहे किसी भी व्यक्ति से सुनने-सीखने को प्रस्तुत।
हिंदू सभी प्राणियों से प्रेम करता है। वह जानता है कि इस महासागर में तैरने के सबके अपने-अपने रास्ते और तरीके हैं। सबको अपनी राह पर चलने का अधिकार है। वह सभी रास्तों से प्रेम करता है, सबका आदर करता है और उनकी उपस्थिति को बिल्कुल अपना मानकर स्वीकार करता है।''