Canada-India relations worsened due to closure of visa service

Editorial: वीजा  सेवा बंद होने से कनाडा-भारत संबंध हुए और खराब

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Canada-India relations worsened due to closure of visa service

कनाडा सरकार की यह कार्रवाई उसके अपने हित में नहीं है कि भारत में उसने चंडीगढ़, बेंगलुरु और मुंबई में अपने केंद्रों पर वीजा सेवाओं को स्थगित कर दिया। निश्चित रूप से यह भारतीय नागरिकों के लिए भी उचित नहीं है, क्योंकि पंजाब जहां से सर्वाधिक लोग कनाडा जाते हैं, को वीजा सेवाओं के लिए अब दिल्ली जाना पड़ेगा, जिसके चलते उन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ेगी। कनाडा ने भारत सरकार के लगातार दबाव के बाद अपने 41 राजनयिकों को भी वापस बुला लिया है।

हालांकि कनाडा सरकार का आरोप है कि भारत ने मनमाने तरीके से राजनयिकों को हटाने का दबाव बनाया। वास्तव में यह कनाडा के लिए अप्रत्याशित घटना है, क्योंकि शायद ही उसके रणनीतिकारों ने इसका अंदाजा लगाया था कि मामला यहां तक पहुंच जाएगा। अपने देश में खालिस्तान समर्थकों को खुश करने के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक आतंकी की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार तो ठहरा दिया लेकिन वे अब उसके बाद के परिणामों को संभाल नहीं पा रहे हैं। ट्रूडो को संभव है, यह समझ आ गया है कि जितने खराब तरीके से उन्होंने इस मामले को हैंडल किया है, वह सच में उनकी सरकार और उनके देश के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

हालांकि इस पूरे प्रकरण के बाद अब कनाडा जाने के लिए तैयार बैठे भारतीय युवाओं के लिए समस्या बनना तय हो गया है। अब वीजा की प्रक्रिया धीमी हो गई है, जिससे कनाडा जाने का समय बढ़ सकता है। वास्तव में यह सब अनावश्यक विवाद है, कनाडा सरकार ने जहां बेहद जल्दबाजी की है, वहीं भारत सरकार ने अपने तौर पर सही कदम उठाए हैं। बेशक यह कूटनीतिक हो सकता है, क्योंकि भारत भी नहीं चाहता है कि पश्चिमी देशों से उसके संबंध में खराब हों। यह सब कनाडा को उसकी हैसियत बताने और बदले दौर में भारत की ताकत प्रदर्शित करने का समय है। भारत ने कहा है कि कनाडा के राजनयिकों की संख्या में कटौती वियना समझौते के मुताबिक की गई है।

इस मामले में भारत सरकार पहले दिन से कनाडा के आरोपों को खारिज करती आ रही है और अब विदेश मंत्री एस जयशंकर का इस पर स्पष्टीकरण भारत का अपने दावे के संबंध में अडिग रहना दर्शाता है। यह पहली बार है, जब किसी देश ने भारत पर इस प्रकार के आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया है कि देश ने किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह कहना सर्वथा उचित है कि इस प्रकार के मामलों में संलिप्त होना भारत की नीति नहीं है।

वास्तव में कनाडा के आरोप पूरी तरह से वैश्विक राजनीति से प्रेरित हैं और उसमें उसे उन देशों का सहयोग प्राप्त हो रहा है, जोकि भारत से शत्रुता रखते हैं। इनमें चीन, पाकिस्तान अग्रणी देश हैं। ऐसे में भारत सरकार का कड़ा रुख सही है और ऐसे देशों को मुंह तोड़ जवाब है, जोकि भारत के आंतरिक मामलों में लिप्त होकर अपना स्वार्थ साधते हैं। कनाडा अगर अपने हितों को ऐसे देशों की मदद से पूरा करने की सोच रहा है तो यह उसके लिए ही संकटकाल की शुरुआत है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह कहना सही है कि भारत ने कनाडा के नागरिकों से कहा है कि अगर उनके पास सबूत हैं तो उसे साझा करें। अभी तक खुद कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ऐसा कोई सबूत नहीं पेश कर पाए हैं, जिसमें यह साबित हो सके कि भारत ने ही आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कराई है। अपने देश की संसद में यह बयान देने से पहले जस्टिन ट्रूडो ने इसकी यथोचित जांच करने और पुख्ता सबूत जुटाने की भी जरूरत नहीं समझी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे राजनीतिक रूप से कितने मजबूर रहे होंगे और कितने दबाव में भी होंगे। अब ऐसे भी रपटें सामने आ रही हैं, जिनमें कहा गया है कि आतंकी निज्जर की हत्या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने कराई है, ताकि कनाडा में बसे भारतवंशियों को भारत के खिलाफ कर सके।

कनाडा और भारत के रिश्तों का असर दोनों देशों के नागरिकों की तरक्की और खुशहाली पर पड़ सकता है। कनाडा में इस समय भारत से गए लोगों की सर्वाधिक संख्या है। हालांकि प्रश्न यह है कि पंजाब से गए लोगों के द्वारा वहां खालिस्तान की मांग उठाना कितना जायज है। क्या कनाडा सरकार ने इस पर विचार किया है। प्रधानमंत्री ट्रूडो अपने देश में कानून का शासन होने का दावा करते हैं, क्या इस प्रकार से किसी संप्रभु देश की दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री के संबंध में ऐसी परेड निकालने और उस देश के संबंध में सार्वजनिक आतंकी जंग को स्वीकृति दी जा सकती है? वास्तव में कनाडा सरकार को अपनी भूल पर विचार करते हुए इस मामले के सुखद समाधान पर काम करना चाहिए। भारत जैसे जिम्मेदार देश पर ऐसे आरोप कनाडा की छवि को ही तार-तार कर रहे हैं।

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