Abraham Lincoln के 214वें जन्मदिन पर आइए जानते है उनके जीवन में किए संघर्ष और सफलता की कहानी को
- By Sheena --
- Sunday, 12 Feb, 2023
Abraham Lincoln 214th Birth Anniversary: know about his struggle and the of his life.
Abraham Lincoln Birth Anniversary : अब्राहम लिंकन एक अमेरिकी वकील, राजनेता और राजनेता थे, जिन्होंने 1861 से 1865 में उनकी हत्या तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। गुलामी, संघीय सरकार को सहारा देना और अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करना। लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 में केंटकी में एक लॉग केबिन में गरीबी में हुआ था और मुख्य रूप से इंडियाना में सीमा पर उठाया गया था। 1849 में, वह मध्य इलिनोइस में अपने सफल कानून अभ्यास में लौट आए। 1854 में, वह कैनसस-नेब्रास्का अधिनियम से नाराज थे, जिसने गुलामी के लिए क्षेत्र खोल दिए, और उन्होंने राजनीति में फिर से प्रवेश किया। वह जल्द ही नई रिपब्लिकन पार्टी के नेता बन गए। वह स्टीफन ए डगलस (Stephen A. Douglas) के खिलाफ 1858 सीनेट अभियान बहस में राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचे।
खेतों में किया करता था काम
लिंकन की ज्ञान पिपासा इतनी अधिक थी कि वो बचपन से ही इसके लिए बेहद गंभीर रहे। इसके लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. किताबें पढ़ने के लिए उन्होंने फार्म में किया। दीवारों में बाड़ लगाई तो न्यू सलेम, इलिनोइस के स्टोर में काम किया। कहा जाता है कि उनको किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि वो रोड में लैंप पोस्ट के नीचे पढ़ते थे। गरीबी की वजह से लिखने के लिए कागज न होने पर घर की दीवारों पर पत्थर से पढ़ी हुई बातें उकेरते और फिर दोबारा वॉल पर पुताई कर उस पर लिखते। वह ब्लैक हॉक जंग में कैप्टन रहे थे। इलिनोइस विधायिका में 8 साल बिताए और कई साल तक अदालतों में काम किया। उनके लॉ के दिनों के साथी ने उनके बारे में कहा, "उनकी महत्वाकांक्षा एक छोटा-सा इंजन था जो कभी आराम करना नहीं जानता था।"
खेलो में रखते थे रूचि और कई अविष्कार भी किए
लिंकन मजबूत, पुष्ट और एक कुशल पहलवान थे। अपनी कम उम्र के दौरान, वह खेले गए लगभग 300 मैचों में से केवल एक बार ही हार सका। उनका उपनाम आबे रखा गया था, लेकिन उन्हें अपने अंतिम नाम लिंकन से पुकारा जाना पसंद था। लिंकन ने अटकी हुई स्टीमबोट्स को मुक्त करने के लिए एक उपकरण का भी आविष्कार किया। वह पेटेंट कराने वाले एकमात्र राष्ट्रपति बने। अब्राहम लिंकन राष्ट्रपति टिकट के लिए अपनी पहली बोली में हार गए। लिंकन को उस दिन गोली मारी गई थी जिस दिन उन्होंने अमेरिकी गुप्त सेवा के निर्माण के कानून पर हस्ताक्षर किए थे। कानून का उद्देश्य व्यापक मुद्रा जालसाजी का मुकाबला करना था।
लिंकन ने सहा काफी संघर्ष
अब्राहम लिंकन की जिंदगी को संघर्ष नाम दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 31वें साल में वो कारोबार में नाकामयाब हुए। 32वें साल में उन्हें स्टेट लेजिस्लेटर के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। 33वें साल में उन्होंने नए कारोबार के लिए कोशिश की, लेकिन फिर नाकाम हुए। 35वें साल में मंगेतर की मौत हुई। 36वें साल में नर्वस ब्रेक डाउन के शिकार हुए। 43वें साल में कांग्रेस के लिए चुनाव लड़े फिर नाकामी हाथ लगी। 48वें साल में दोबारा से कोशिश की, लेकिन फिर से हार का स्वाद चखना पड़ा। 55वें साल में लिंकन ने सीनेट के चुनावों में हार हुई। 1858 में लिंकन सीनेटर के लिए स्टीफन ए डगलस के खिलाफ लड़े। वह चुनाव हार गए, लेकिन डगलस के साथ बहस में वो पूरे देश में मशहूर हो गए। इसी वजह से उन्होंने 1860 में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन नामांकन जीता। इसके अगले साल वाइस प्रेजिडेंट के चुनावों में भी नाकामी मिली। 59वें साल में फिर से सीनेट के चुनाव लड़े, लेकिन हार ने पीछा नहीं छोड़ा। वो लड़ते रहे और आखिर में 1860 में वो पहले रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी को एक मजबूत राष्ट्रीय संगठन बनाया।
दास प्रथा से थी नफरत
लिंकन को शुरू से ही गुलामों पर हो रहे जुल्मों से सख्त नफरत थी और वो दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे। अमेरिका में गुलामी की प्रथा का बोलबाला था। दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के मालिक गोरे लोग थे और वह अफ्रीका से काले लोगों को अपने खेत में काम करने के लिए दास बनाते थे। वहीं उत्तरी राज्यों के लोग गुलामी की इस प्रथा के खिलाफ थे। समानता पर आधारित अमेरिकी संविधान में गुलामी के लिए जगह नहीं थी। 1860 के इस मुश्किल वक्त में अब्राहम लिंकन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे। वो गुलामी की समस्या सुलझाना चाहते थे। दक्षिणी राज्यों के लोग गुलामी के खात्मे के खिलाफ थे। वहां दक्षिणी राज्य एक नए देश बनाने की तैयारी कर रहा था। लिंकन चाहते थे कि सभी राज्य एक रहें। वो हर कीमत पर देश की एकता की रक्षा करना चाहते थे। वहां उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक गृह युद्ध छिड़ गया। उन्होंने इस युद्ध का बहादुरी से मुकाबला किया। लिंकन ने एलान किया, "एक राष्ट्र आधा आजाद और आधा दास नहीं रह सकता।” वो ये जंग जीत गए और उनका देश एकजुट रहा। 1 जनवरी, 1863 राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने मुक्ति की उद्घोषणा जारी की, जिसने गुलामों को हमेशा के लिए आजाद करने का एलान किया था। गुलामी के खात्मे के प्रतीक के तौर पर यहां 19 जून, 1866 से जूनटींथ त्योहार मनाया जाता है। ये नाम जून और नाइनटींथ (19) को जोड़कर बना है। इसे यहां स्वतंत्रता दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है।
गुड फ्राइडे के समारोहमें मारी गोली
तुम जो भी हो, नेक बनो कहने वाले अब्राहम लिंकन को 4 मार्च 1864 को दोबारा से अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया। इसके ठीक एक महीने बाद 14 अप्रैल को गृह युद्ध के खत्म होने पर गुड फ्राइडे को एक समारोह रखा गया था। फ़ोर्ड थिएटर में हुए इस समारोह में एक्टर जॉन विल्कीस बूथ ने उन्हें गोली मार दी थी और 56वें साल में ही लिंकन ने दुनिया को अलविदा कह दिया।