Zakir Hussain Death: तबले की थाप से 'डमरू' और फिर 'शंखनाद'; अद्भुत थी उस्ताद जाकिर हुसैन की प्रतिभा, ऐसा फनकार अब शायद ही होगा

तबले की थाप से 'डमरू' और फिर 'शंखनाद'; अद्भुत थी उस्ताद जाकिर हुसैन की प्रतिभा, ऐसा फनकार अब शायद ही कभी होगा VIDEO

 Zakir Hussain Damru and Shankhnaad from the beat of the Tabla viral video

Zakir Hussain Damru and Shankhnaad from the beat of the Tabla viral video

Zakir Hussain Death: दुनियाभर में तबले की थाप से भारतीय शास्त्रीय संगीत का जादू बिखेरने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार रात उनके निधन की दुखद खबर आई। जाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली। उनकी उम्र 73 साल थी।

जाकिर हुसैन काफी लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। अमेरिका में ही उनका इलाज कराया जा रहा था। मगर लंबी बीमारी के बाद उस्ताद जाकिर हुसैन इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह गए।

उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) के निधन से भारत सहित पूरी दुनिया में गहरा दुख व्यक्त किया जा रहा है। जाकिर हुसैन के जाने से 'फनकारी' की दुनिया एक शून्य पैदा हो गया है।

जाकिर हुसैन जैसा फनकार अब शायद ही कभी इस दुनिया और भारत में होगा। जाकिर हुसैन को यूं ही उस्ताद नहीं कहा गया। तबले की थाप पर उनकी प्रतिभा वास्तव में अद्भुत और अलौकिक थी।

जाकिर हुसैन ने तबले की थाप से जहां दुनिया का दिल जीता तो वहीं भारत को एक अलग पहचान भी दिलाई। दुनियाभर में भारतीय शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता बढ़ाने में उस्ताद जाकिर हुसैन का अहम योगदान रहा। जिसके लिए वो हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

तबले की थाप से 'डमरू' और फिर 'शंखनाद'

उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) में वो कमाल और गज़ब की प्रतिभा थी कि वो तबले की थाप पर ही कई प्रकार की धुनें जीवंत कर देते थे। उन्होंने तबले के जरिये ऐसी-ऐसी धुनें निकालीं कि लोग आकर्षित के आकर्षित ही रह गए।

जाकिर हुसैन तबले की थाप से 'डमरू' की डम-डम और 'शंखनाद' भी कर चुके थे। दोनों धुनों को एक साथ निकाल उस्ताद जाकिर हुसैन ने सभी को चकित का चकित कर दिया था।

उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहा था कि, उन्होंने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के डमरू बजाने की ये कल्पना की है। भगवान शिव के डमरू बजाने पर उनके गण शंख बजा रहे हैं। वहां का क्या दिव्य वातावरण रहा होगा। उसे मैं तबले में उतारने की कोशिश कर रहा हूं।

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इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे थे जाकिर हुसैन

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन फेफड़ों से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी के मरीज थे। जिसके चलते उन्हें हार्ट की समस्या भी पैदा हुई। रिपोर्ट की मानें को जाकिर हुसैन के परिवार ने एक बयान में कहा कि उन्हें 'इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' नामक एक दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी थी।

जिसकी वजह से जाकिर हुसैन को बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी और उन्हें काफी लंबे समय के इलाज के बावजूद बचाया (Zakir Hussain Death Reason) नहीं जा सका और 15 दिसंबर 2024 को उनका निधन हो गया।

2023 में पद्म विभूषण मिला था, तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते

9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्में उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ने देश-विदेश में तबला और भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में इस कदर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था।

अपने संगीत के करियर में ज़ाकिर हुसैन ने एक साथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड भी जीते थे. अपने तबले के साथ बैठे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की छवि भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्धि और उत्कृष्टता का प्रतीक बनी रहेगी।

तबले की थाप पर 'वाह ताज' आज भी मशहूर

उस्ताद जाकिर हुसैन का ताज महल चाय के ब्रांड ने विज्ञापन खूब मशहूर हुआ। जिसमें जाकिर हुसैन तबले की थाप पर 'वाह ताज' बोलते हुए नजर आते हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन के जाने से उनका ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है। लोगों ने उन्हें इस वीडियो के जरिये खूब याद किया।

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