बुजुर्गों के प्रति संवेदनहीन हो रहे हैं युवा, उनके लिए समय नहीं: रोहित
Insensitive Towards the Elderly
युवा व बुजुर्गों की दो पीढिय़ों के बीच दिखाई दे रहा बड़ा अंतर, इसे पाटने की जरूरत
सरकार की नीतियां बुजुर्गों को नहीं प्रदान कर पा रही गरिमापूर्ण जीवन
बेटा-बहू और दामाद-बेटी भी अब उठाने लगे हैं प्रापर्टी के लिए मां-बाप पर हाथ
चंडीगढ़, 10 नवंबर (साजन शर्मा): Insensitive Towards the Elderly: भारत में बुजुर्गों के प्रति युवाओं की संवेदनहीनता लगातार बढ़ती जा रही है। भागदौड़ वाली जिंदगी में युवा अब बुजुर्गों को कहीं न कहीं अलग थलग करने में लगे हैं। युवाओं के पास उन्हें पाल पोसकर बड़ा करने वाली पीढ़ी के लिए अब समय ही नहीं है। दो पीढिय़ों के बीच में एक बड़ा असंतुलन दिखाई दे रहा है। इसे पाटने की जरूरत है। बुजुर्गों को सम्मान का जीवन हमें देना होगा अन्यथा एक ऐसे दोराहे पर हम खड़े होंगे जहां उनके तजुर्बे के बगैर केवल और केवल शून्य निहारेंगे।
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सेक्टर 38 में दौरा
यह कहना है हेल्पएज इंडिया के सीईओ (भारत) रोहित प्रसाद का जो वीरवार को सेक्टर 38 में दौरा करने पहुंचे थे। रोहित प्रसाद ने कहा कि सरकार को भी बुजुर्गों के प्रति अपनी अप्रोच बदलनी होगी क्योंकि जो कुछ अभी हो रहा है वह इनके लिये पूरी तरह से अपर्याप्त है। खासतौर से कल्याण योजनाओं के लागू करने व इनके क्रियान्वयन में जहां कमी नजर आती है वहीं जो पेंशन केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों के लिए निर्धारित की गई है वह उनके गुजरबसर के लिए अपर्याप्त है। कुछ राज्य सरकारों ने जरूर विशेष कदम उठाये व बुजुर्गों की पेंशन को बेहतर करने की दिशा में काम किया लेकिन अभी भी यह कम है। बुजुर्गों के बच्चे व घरवाले तक इन बुजुर्गों को सहारा नहीं दे पा रहे हैं। प्रापर्टी के लिए इनसे मारपीट तक की जा रही है। भावनाओं के चक्रव्यूह में बहकर ये बुजुर्ग अपने बच्चों की उपयुक्त अथॉरटी को शिकायत भी नहीं करते क्योंकि इनके दिल में उनके प्रति प्रेम है और इनके बेहतर जीवन की अभिलाषा है। रोहित प्रसाद ने बताया कि हेल्पएज इंडिया ने विभिन्न राज्यों व शहरों में बुजुर्गों के प्रति हो रहे बर्ताव को लेकर सर्वे किया। इस सर्वे में जो महत्वपूर्ण बात सामने आई वो यह थी कि केवल बहू-बेटा ही बुजुर्गों से बुरा व्यवहार व मारपीट नहीं कर रहे बल्कि बेटी व दामाद भी इस कृत्य में पीछे नहीं हैं। हमें बुजुर्गों के प्रति अपने नजरिये में बदलाव की सख्त जरूरत है।
बुजुर्ग बोझ नहीं लगेंगे
इन्हें धरोहर की तरह व अपने पालन पोषणकर्ता के तौर पर लेंगे तो ये बुजुर्ग बोझ नहीं लगेंगे लेकिन अगर इन्हें काम में टोका टोकी करने वाले या हर बात में टांग अड़ाने वाले के तौर पर लेंगे तो कभी तालमेल नहीं बिठा पायेंगे। रोहित प्रसाद ने बताया कि बुजुर्गों की मदद के लिए सरकार ने तमाम कानून बनाये हैं लेकिन ये शिकायतकर्ता नहीं बल्कि समाधानकर्ता हैं। अपने बच्चों के प्रति इनके दिल में फिर भी कोई दुर्भाव नहीं क्योंकि अक्सर देखा गया है कि ये कानून होने के बावजूद शिकायत आगे नहीं बढ़ाते। ओल्ड ऐज होम्स में लगातार बढ़ रहे बुजुर्गों की संख्या गवाह है कि लोगों और खासकर युवाओं को इनके प्रति व्यवहार बदलना होगा। सरकार को इनके कल्याण के लिए आगे आना होगा। केवल आर्थिक सहारे के जरिये ही नहीं बल्कि बुजुर्गियत में जो अनगिनत बीमारियों से इन्हें जूझना पड़ता है, उससे भी इन्हें छुटकारा दिलाना होगा। आयुष्मान योजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को करीब 40 से 50 करोड़ बुजुर्गों को इस योजना से जोडऩा था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया जा सकता है। इसका नतीजा यह सामने आ रहा है कि बुजुर्ग परेशान हो रहे हैं। इनके इलाज पर परिजन खर्च नहीं करते और इन्हें बिना इलाज ही जान गंवानी पड़ती है। रोहित प्रसाद ने ऐल्डर लाइन की सेवा का जिक्र करते हुए कहा कि इस हेल्पलाइन पर अगर कोई बुजुर्ग कॉल करता है तो हेल्पलाइन की टीम वहां पहुंचकर मदद करती है। हेल्पएज की ओर से मोबाइल हेल्थ यूनिट गांवों व शहरों में पहुंचकर बुजुर्गों की प्राइमरी हेल्थ का ध्यान रखती है। इन्हें मुफ्त में दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। आंखों इत्यादि व डेंटल चेकअप या श्रवण शक्ति चेकअप लगातार किये जाते हैं ताकि हेल्थ इनकी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर रोड़ा न बने।