पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में यात्री वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग, 11 की मौत; 6 घायल

Pakistan Clashes Between Two Tribes

Pakistan Clashes Between Two Tribes

खैबर पख्तूनख्वा: Pakistan Clashes Between Two Tribes: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दो जनजातियों के बीच झड़प में कम से कम 11 लोग मारे गए और आठ अन्य घायल हो गए. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में जनजातियों के बीच गोलीबारी की घटना में दो लोगों के गंभीर रूप से घायल होने के बाद कुर्रम जिले में तनाव बढ़ गया. हालांकि, झड़पों का कारण पता नहीं चल पाया है.

बताया जाता है कि हिंसा फैलने के बाद विभिन्न इलाकों में वाहनों को निशाना बनाया गया. इसके चलते कई लोग हताहत हुए. खैबर पख्तूनख्वा में 4 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं जो विभिन्न जनजातीय समूहों से है. घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं, इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई. हालात को सामान्य बनाने के प्रयास किए गए.

पूर्व सांसद और आदिवासी परिषद के सदस्य पीर हैदर अली शाह ने कहा कि जनजातियों के बीच शांति समझौते के लिए मध्यस्थता करने के लिए बुजुर्ग कुर्रम पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई गोलीबारी की घटनाएं खेदजनक हैं और इससे स्थायी शांति के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई.

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आदिवासी समूह की बैठकें 'जिरगा' के रूप में भी जाना जाता है. ऐसी बैठकें क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आयोजित की जाती है. पिछले महीने एक अन्य घटना में भूमि विवाद को लेकर सशस्त्र शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच झड़पों में कम से कम 25 लोग मारे गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार दोनों समुदाय देश में काफी हद तक शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं. हालांकि कुछ क्षेत्रों में खासकर कुर्रम में जहां शिया मुसलमानों का वर्चस्व है, उनके बीच दशकों से तनाव बना हुआ है. इस क्षेत्र में झड़पों में वृद्धि देखी गई है क्योंकि पिछले महीने ही भूमि विवाद को लेकर सशस्त्र शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच 20 से अधिक लोग मारे गए थे.

इस बीच शनिवार को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बलूचिस्तान में एक कोयला खदान पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली. इसमें पाकिस्तानी और अफगान नागरिकों सहित 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई. हमले में भारी हथियारों, रॉकेट लांचर और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया था.

बलूचिस्तान में इस तरह के हमले आम हो गए हैं. देश का दक्षिणी हिस्सा प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का घर माना जाता है, लेकिन इनके लाभ वहां के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में नहीं बदल रहे हैं. बलूचिस्तान से संचालित होने वाले संगठन इस्लामाबाद की केंद्र सरकार पर देश के सबसे बड़े और सबसे कम आबादी वाले प्रांत में स्थानीय आबादी के नुकसान के लिए प्रांत के समृद्ध तेल और खनिज संसाधनों का दोहन करने का आरोप लगाते हैं. यह प्रांत ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है.