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वैश्विक आतंकवाद का खात्मा जरूरी  

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की भारत में पहली बार बैठक होना और भारत के द्वारा ही इसकी अध्यक्षता करना अपने आप में ऐतिहासिक घटना है। इससे भी बढक़र भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ मुहिम का समर्थन करते हुए जीरो टालरेंस लाने पर सदस्य देशों का सहमत होना बेहद अहम है। क्योंकि यह बैठक भारत में हुई है, इसलिए इस बैठक में लिए गए फैसलों को दिल्ली घोषणा पत्र के नाम से जाना जाएगा। पूरे विश्व में आतंकवाद इस समय सबसे बड़ी समस्या है, कोई भी देश खुद को इससे बचा हुआ नहीं समझ सकता। क्योंकि जहां आतंकवाद नहीं है, वहां पर आतंकवाद के पोषक छिप कर बैठे हो सकते हैं। ऐसे में आज की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि विश्व के वे देश जोकि आतंकवाद की भीषणता को झेल चुके हैं या झेल रहे हैं, इस बात पर एकमत हों कि आतंकवाद के प्रति बेहद सख्त रुख रखकर ही इससे पार पाया जा सकता है।

आज के समय में आतंकवाद ऐसे छद्म युद्ध की भांति है, जिसमें आतंकी सामने नहीं आते लेकिन वे छिपकर भयंकर क्षति पहुंचाने की तैयारी में रहते हैं। अमेरिका ने जब 9/11 को झेला, तब उसके सुरक्षा रणनीतिकारों को इसकी भनक तक नहीं होगी कि आतंकी विमानों को हाईजैक करके उसे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत से टकरा कर ध्वस्त कर देंगे। खैर, उसके बाद से तो वैश्विक आतंकवाद की परिभाषा बहुत तेजी से बदली है। भारत के संदर्भ में आतंकवाद के मायने बहुत बड़े हैं, कश्मीर घाटी आजादी के बाद से आतंकवाद की जद में है और अब घाटी के साथ पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन से हथियारों की खेप आ रही है, वहीं आतंकियों के पास बेहद हाईटैक हथियार उपलब्ध हो गए हैं। इस बैठक में मानवरहित विमानों यानी यूएवी का आतंकियों की ओर से इस्तेमाल को बड़े खतरे के रूप में देखा गया है। वास्तव में मानव रहित विमानों और ड्रोन के जरिए अब आतंकी वारदातों को अंजाम देना और आसान हो गया है, लेकिन इससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ गई है।

दिल्ली में हुई इस बैठक में सभी सदस्य देशों के बीच यह सहमति कायम होना बड़ी उपलब्धि है कि आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह को पहचाना जाएगा, उन्हें शरण देने, आर्थिक मदद देने और समर्थकों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार सजा दिलाने में एक-दूसरे देश की मदद की जाएगी। दिल्ली में आतंकवाद निरोधक समिति की बैठक होना पाकिस्तान को एक बड़ा संदेश है। पूरे विश्व में इस समय पाकिस्तान ही एकमात्र वह देश है, जोकि भारत के खिलाफ शत्रुता रखकर चल रहा है। इस शत्रुता को वह आतंकवाद के जरिये आगे बढ़ा रहा है, ऐसे में दिल्ली घोषणा पत्र में लिए गए फैसलों पर अगर वाकई अमल होता है तो इससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढऩा तय है। पाकिस्तान जहां आतंकवादियों का पालनहार है वहीं पाकिस्तान आतंक की ऐसी फैक्ट्री बन गया है, जोकि पूरे विश्व के लिए खतरा है। पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान के संबंध में कहा भी था कि वह सबसे खतरनाक देश है। ऐसा इसलिए कहा गया था क्योंकि पाकिस्तान के पास परमाणु बम हैं, लेकिन उनको संभालने की समझ पाक सरकार के हुक्मरानों में नहीं है, वे बम कभी भी आतंकियों के हाथों में जा सकते हैं। इससे वैश्विक तबाही को नहीं रोका जा सकेगा।

बैठक में लिए गए फैसलों में यह भी शुमार है कि अब सदस्य देश आतंकी गतिविधियों को किसी भी तरह की मदद नहीं करेंगे। आतंकी समूहों में युवाओं के शामिल होने और उन्हें हथियार मुहैया कराने से रोकेंगे। वहीं आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोडऩे की बात कही गई है। अगर वास्तव में ही सभी देश आतंकवाद के खिलाफ संगठित रूख दिखाएं तो आतंकवाद का खात्मा किया जा सकता है। हालांकि वैश्विक राजनीति में आतंकवाद का पूरी तरह खात्मा संभव नहीं है। एशियाई देशों में आज आतंकवाद की फसल रोपने के लिए पश्चिम के देश ही जिम्मेदार रहे हैं। पाकिस्तान के आतंकी देश साबित होने के बावजूद अमेरिका उसे जहां आर्थिक मदद देता है, वहीं उससे दोस्ताना रिश्ते भी निभाता है। जाहिर है, विश्व के ताकतवर देशों को दोहरे मापदंड नहीं रखने चाहिए, अगर आतंकवाद को खत्म करना है तो करना है। इसमें पक्षपात अब नहीं चलेगा।