World Press Freedom Day 2023: खामोश लोगों की परेशानियों को आगे लाने वालों को सलाम, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के इतिहास बारे में यहां जानें विस्तार से
- By Sheena --
- Monday, 01 May, 2023
World Press Freedom Day 2023 know the history and significance of the day
World Press Freedom Day 2023: प्रेस की स्वतंत्रता, ये हमेशा से ही एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में होती है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को कई बार लोगों तक सही जानकारी नहीं पहुंचाने दिया जाता। मीडियाकर्मी सत्य को सामने लाने और अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए अपनी जान भी गंवा देते हैं। हर दिन एक ऐसा उदाहरण हमारे सामने आता है जब मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है। आइए जानते है कि क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे....
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इतिहास
अगर बात वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के इतिहास की हो तब इसके लिए हमें घड़ी की सुइयों को थोड़ा पीछे ले जाना होगा जब 1993 में 3 मई को प्रेस फ्रीडम डे के रूप में घोषित किया गया था। यूनेस्को (UNESCO) ने 26वें जनरल कॉन्फ्रेंस सेशन में 3 मई को प्रेस फ्रीडम डे की घोषणा की।
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महत्व
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और प्रेस जनता को अपने देश और दुनिया भर में होने वाली घटनाओं के बारे में सूचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्लोबल कॉन्फ्रेंस पत्रकारों, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और राष्ट्रीय अधिकारियों को समाधानों की पहचान के लिए मिलकर काम करने का अवसर देता है। 1948 में, मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 में इस बात पर जोर दिया गया था कि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, सभी को बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है और सभी को प्रेस का उपयोग करके अपने विचार प्राप्त करने और प्रदान करने का अधिकार है।
पहली बार इस दिन मनाया गया
प्रेस की आजादी के लिए पहली बार साल 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने मुहिम छेड़ी थी। इन पत्रकारों ने तीन मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर बयान जारी किया था जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से भी जानते हैं। इसके ठीक दो साल बाद यानी साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला किया था। उस दिन से लेकर आज तक हर साल तीन मई को विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाया जाता है।
नार्वे में 1 नंबर पर और नार्थ कोरिया आखिरी पर
2020 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे इंडेक्स में नार्वे पहले स्थान पर और नार्थ कोरिया आखिरी नंबर पर है। नार्वे इस लिस्ट में लगातार चार सालों से नंबर एक पर है। वहीं, नार्थ कोरिया इससे पहले 2018 में भी आखिरी स्थान पर था। 2019 में यह एक अंक ऊपर आया था और आखिरी स्थान पर ईस्ट अफ्रीकी देश इरीट्रिया पहुंच गया था। जब से यह इंडेक्स आया है नार्थ कोरिया और इरीट्रिया ही आखिरी के पायदानों पर बने हुए हैं।
कोरोना महामारी ने मीडिया पर असर डाला
दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा पर नजर रखने वाली संस्था (रिपोर्टर विदआउट बॉर्डर) के महासचिव क्रिस्टोफ डेलोएर ने कहा कि कोरना महामारी ने दुनियाभर की मीडिया पर गलत असर डाला है। चीन, ईरान और इराक समेत कई ऐसे देश हैं, जहां की मीडिया ने सरकार के दबाव मे सही जानकारी नहीं दी। इराक में कोरोना के आधिकारिक आंकड़ों पर सवाल उठाने वाली स्टोरी प्रकाशित करने पर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स का लाइसेंस तीन महीने के लिए रद्द कर दिया गया है। चीन का प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 177, इराक 162 और हंगरी 89वें स्थान पर है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य
प्रेस का कार्य लोगों तक सच पहुंचा कर उन्हें जागरुक करना है, लेकिन बदलते वक्त के साथ उससे ये हक छीन लिए गए हैं। आज दुनिया भर से पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की खबरें सामने आती रहती हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाने का उद्देश्य पत्रकारों के साथ हिंसा रोक कर उनको लिखने और बोलने की आजादी देना है।
इस बार की थीम
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर बार किसी स्पेशल थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे की थीम 'डिजिटल घेराबंदी के तहत पत्रकारिता' (Journalism Under Digital Siege) है।