21 सितंबर को मनाया जाता है विश्व अल्जाइमर दिवस, इस लेख में जानते है इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय
- By Sheena --
- Thursday, 21 Sep, 2023
World Alzheimer's Day 2023; Know Theme, History And Significance Of The Day
World Alzheimer's Day: मनुष्य का शरीर सेहतमंद बहुत ही जरूरी होता है और शरीर के हर एक अंग का भी रोगमुक्त होना हमे लंबी आयु प्रधान करना होता है। हम जितने भी स्वस्थ रहेंगे उतना ही हम अंदरूनी शरीरिक स्थिति को तंदरुस्त महसूस करेंगे। इसलिए जरूरी है कि हमे शरीर और दिमाग की सेहत का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। इसी संदेश के साथ हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।
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साल 1994 में अंतरराष्ट्रीय अल्जाइमर्स फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। उसके बाद से इस दिवस के जरिए अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने का वैश्विक प्रयास किया जाता रहा है। अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल के अनुसार, इस साल महीने भर चलने वाले अभियान की थीम है 'कभी जल्दी नहीं, कभी बहुत देर नहीं (Never too early, never too late)'
क्या है अल्जाइमर रोग?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है और इसके 60-70 प्रतिशत मामलों में इसका योगदान होता है। मेडिकल टर्म में अल्जाइमर रोग, एक प्रोग्रेसिव ब्रेन डिसऑर्डर है जो मेमोरी, सोच और बिहेवियर को प्रभावित करता है। इसमें दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे मरीज की याददाश्त कम होने लगती है। इस वजह से इंसान का दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता है। ये लक्षण समय के साथ बदतर होते जाते हैं। आमतौर पर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ये प्रभावित करता है।
क्या हैं इसके लक्षण?
अल्जाइमर रोग के कारण ब्रेन सिकुड़ने लगता है। इसकी वजह से याददाश्त, सोच, व्यवहार आदि में गिरावट आने लगती है। इसके लक्षणों में याददाश्त में कमी, रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई, बोलने में परेशानी, व्यक्तित्व में बदलाव और मूड में बदलाव शामिल हैं। समय के साथ ही रोगी अपना दिया बयान भूल सकता है, परिवारवालों को पहचानने में मुश्किल हो सकती हैं, पता भूल जाता है और अपने विचार व्यक्त करने में भी परेशानी होती है।
क्या होती है वजह?
इसके कारणों में उम्र (65 साल से ज्यादा), पारिवारिक इतिहास और सिर में चोट लगना अल्जाइमर रोग के कुछ सामान्य कारक हैं। इसके अलावा लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग, अल्कोहल आदि भी इसकी वजह हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, नींद की कमी या खराब गुणवत्ता वाली नींद कॉगनेटिव डिक्लाइन और अल्जाइमर रोग के जोखिम को बढ़ाती है। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल और शारीरिक गतिविधि की कमी भी अल्जाइमर को बढ़ावा देती है।
कैसे करें बचाव?
अल्जाइमर का अभी तक कोई इलाज नहीं है। हालांकि, दवाओं से लक्षणों को मैनेज करने और लाइफ क्वालिटी में सुधार करने में मदद मिल सकती है। उचित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। अन्य उपायों में मस्तिष्क में ब्लड फ्लो में सुधार, नियमित शारीरिक गतिविधियां, मानसिक कार्य, आदि से इसकी गति को कम किया जा सकता है। मानसिक चुस्ती भी बचाव में मदद कर सकती है, जैसे चेस या सुडोकू खेलना, मेंटल एक्सरसाइज वाली गतिविधियों में शामिल होना आदि।