महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने संभाला पदभार

महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने संभाला पदभार

महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने संभाला पदभार

महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने संभाला पदभार

बोली, मेरी जिंदगी की कहानी बलराज साहनी की फिल्म वक्त की तरह

मकान ढहने से हो गई थी मां-बाप, ढाई साल की बहन व 9 माह के भाई की मौत

चंडीगढ़,19 जनवरी। बुधवार को  हरियाणा महिला आयोग की नवनियुक्त चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने पंचकूला स्थित हरियाणा महिला आयोग में पदभार संभाल लिया। उनके साथ महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा भी मौजूद रही। इस दौरान रेणू भाटिया ने अपनी मार्मिक कहानी बताई। उन्होने बताया कि मेरी कहानी बलराज साहनी की फिल्म वक्त की तरह है। मेरा लालन पोषण बिना मां बाप के हुआ। उनका परिवार श्रीनगर के धनाधय परिवारों में से एक था। 

कश्मीर में डल झील के सामने उनका घर था। जब वह सात साल की थी तो सुबह 4 बजे मकान ढहने के कारण मां- बाप, ढाई साल की बहन और 9 महीने के भाई की मौत हो गई। इस हादसे में वह और उसका तीन साल का छोटा भाई बच गया। हमारा पालन पोषण ताया और ताई ने किया। वह औरतों के साथ होने वाले अन्याय से भली भांति वाकिफ हूं। जो कमजोर मिलती है तो उन्हें अपनी कहानी सुनाती हूं। भाटिया
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर बनी फिल्म बेनजीर में अभिनय कर चुकी है। इसके अलावा दूरदर्शन में नाटकों में काम कर चुकी हैं।

रेणू भाटिया ने बताया कि 1976 को मेरे जन्म दिन पर हादसा था। रात को हम पूरा परिवार फिल्म देखकर आए थे। फिल्म में सुनील दत्त ने जो गाड़ी चलाई थी, वो हमारी थी। इसलिए फिल्म देखने गए। वक्त फिल्म में भी बलराज साहनी का पूरा परिवार अपने बच्चों का जन्म दिन मना रहा होता हैं और भूंकप आने पर हादसा हो जाता है। मेरी जिंदगी की कहानी वक्त फिल्म की कहानी है।

आयोग की चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने बताया कि 1987 में फरीदाबाद में डिप्टी सीएम मंगल सेन पहुंचे। उस समय पड़ोस में रहने वाले बीजेपी विधायक कुंदन लाल भाटिया के घर आए। वह इससे बेखबर होकर बीजेपी के झंडे तैयार करती रही। तभी पीछे से आकर विधायक से पूछा कि लड़की कौन है जो इतनी लग्न से झंडे तैयार कर रही है। इसे पार्टी में ले लो। तब भाजपा में दो रुपये की पर्ची कटवाकर सदस्यता हासिल की। इसके बाद वह 2000 में बीजेपी की टिकट पर पार्षद बनी और फरीदाबाद नगर निगम की डिप्टी मेयर रही। दो बार पार्षद बनी। 2010 के चुनावों में कांग्रेस ने उसे हराने के लिए उसके नाम जैसी 6 रेणु भाटिया चुनाव में उतार दी। उन्हें 900 वोट मिल गए। जबकि वह 600 वोट से हार गई। चेयरपर्सन ने कहा कि सरकार ने उसें जो जिम्मेदारी दी है उसे बखूबी निभाउंगी।