Women are at higher risk of heart attack than men

पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने का ज्यादा खतरा, ये है कारण 

Women are at higher risk of heart attack than men

Women are at higher risk of heart attack than men

Women are at higher risk of heart attack than men- स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से केवल पुरुषों को प्रभावित करने वाला 'दिल का दौरा' अब महिलाओं में अधिक आम है। लेकिन, अक्सर इसके लक्षण नजर नहीं आते, जिससे इलाज में देरी होती है और कई तरह की परेशानियां भी सामने आती हैं।

यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) के वैज्ञानिक सम्मेलन हार्ट फेलियर-2023 में प्रस्तुत एक स्टडी से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने के बाद मृत्यु की संभावना दोगुनी से अधिक होती है। भले ही वे अपने पुरुष समकक्षों के समान समय सीमा के भीतर इलाज प्राप्त करते हैं।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कार्डियोलॉजी और कार्डियो थोरेसिक सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. वरुण बंसल ने आईएएनएस को बताया, “यह एक आम गलतफहमी है कि हृदय रोग मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है। वास्तव में, हृदय रोग दुनियाभर में पुरुषों और महिलाओं दोनों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। हालांकि, हृदय रोग के लक्षण लिंग के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, जिससे पहचान, निदान और उपचार में अंतर होता है।”

कई स्टडीज से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अक्सर दिल के दौरे के विभिन्न लक्षणों का अनुभव होता है। पुरुष आम तौर पर दिल के दौरे के अधिक क्लासिक लक्षण प्रदर्शित करते हैं, जैसे सीने में दर्द या बेचैनी, जबकि महिलाओं को असामान्य लक्षण या विभिन्न चेतावनी संकेतों का अनुभव हो सकता है। इनमें सांस लेने में तकलीफ, थकान, मतली, पीठ या जबड़े में दर्द और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं।

डॉ. बंसल ने कहा, "चूंकि ये लक्षण हमेशा हृदय रोग से जुड़े नहीं होते हैं, इसलिए महिलाएं चिकित्सा सहायता लेने में देरी कर देती हैं, जिससे निदान होने तक बीमारी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है।"

धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार कार्डियोलॉजी डॉ. प्रदीप कुमार नायक ने कहा, "हृदय रोग और स्ट्रोक की बात आने पर महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक और हार्मोनल विशेषताओं को पहचानना उनके सामने आने वाले विभिन्न जोखिमों को समझने के लिए आवश्यक है। लक्षणों में असमानता के चलते अल्प निदान और विलंबित उपचार हो सकता है, जिससे परेशानियां बढ़ सकती हैं।"

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित एक अन्य स्टडी से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अपने पहले दिल के दौरे के बाद पांच साल के भीतर हार्ट फेल या मृत्यु का जोखिम 20 प्रतिशत बढ़ जाता है।

इसके अलावा, दिल का दौरा पड़ने के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं की उम्र अधिक होने और उनकी मेडिकल हिस्ट्री ज्यादा जटिल होने की संभावना अधिक होती है।

डॉ. बंसल ने कहा कि महिलाओं में आमतौर पर मेनोपॉज के बाद हृदय रोग विकसित होने की संभावना होती है, जब एस्ट्रोजन का सुरक्षात्मक प्रभाव कम हो जाता है।

उन्होंने कहा, “एस्ट्रोजेन का हृदय प्रणाली पर लाभकारी प्रभाव दिखाया गया है, जिसमें स्वस्थ रक्त वाहिका कार्य को बढ़ावा देना और सूजन को कम करना शामिल है। मेनोपॉज के बाद, महिलाओं को अपने शरीर में परिवर्तन और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि का अनुभव हो सकता है।”

पुरुषों और अतीत की तुलना में इस बीमारी में जो फैक्टर्स शामिल हुए हैं, उनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं जैसे गेस्टेशनल डायबिटीज और प्रीक्लेम्पसिया, सबक्लिनिकल डिप्रेशन, काम और घरेलू जिम्मेदारियों का अतिरिक्त तनाव शामिल हैं।

डॉ. नायक ने कहा, “इन मुद्दों के समाधान के लिए, जागरूकता बढ़ाना, शीघ्र बीमारी पता लगाने को बढ़ावा देना और लक्षित रोकथाम रणनीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए तैयार की गई हैं। महिलाओं को अपने हृदय स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त बनाकर, उनके सामने आने वाले जोखिमों को कम करने में महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।"