2000 रुपये के नोटों की वापसी से डिपॉजिट 191.6 लाख करोड़ रुपये हुआ, 6 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा
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2000 रुपये के नोटों की वापसी से डिपॉजिट 191.6 लाख करोड़ रुपये हुआ, 6 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा

Rs 2000 Note Withdraw

Rs 2000 Note Withdraw

नई दिल्ली: Rs 2000 Note Withdraw: 19 मई को भारतीय रिजर्व बैंक के 2000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने के बाद बैंको का डिपॉजिट जबरदस्त तरीके से बढ़ा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के कारण जून में बैंको की जमा राशि छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और बढ़कर 191.6 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

सालाना 13 फीसदी की उछाल (13 percent jump annually)

सामाचार एजेंसी पीटीआई से केयर रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा कि 30 जून को समाप्त पखवाड़े में डिपॉजिट में सालाना 13 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि देखी गई और यह 191.6 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले छह वर्षों (मार्च 2017 के बाद से) में सबसे अधिक है जो आंशिक रूप से 2,000 रुपये के करेंसी नोटों की वापसी और जमा पर उच्च ब्याज दरों द्वारा समर्थित है।

क्या कहता है आरबीआई का डेटा? (What does RBI data say?)

इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने कहा था कि 2,000 रुपये के कुल 3.62 लाख करोड़ नोटों में से तीन-चौथाई से अधिक डिपॉजिट (85 प्रतिशत से अधिक) के माध्यम से सिस्टम में वापस आ गए हैं और बाकी नोट एक्सचेंज के रूप में वापस आ गए हैं।

पिछले 12 महीनों में 22 लाख करोड़ रुपये बढ़ा डिपॉजिट (Deposits increased by Rs 22 lakh crore in last 12 months)

समीक्षा अवधि में डिपॉजिट में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह क्रमिक रूप से 3.2 प्रतिशत बढ़कर 191.6 लाख करोड़ रुपये हो गई है। पिछले 12 महीने में डिपॉजिट में कुल 22 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।

इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि में क्रेडिट और जमा वृद्धि के बीच का अंतर नवंबर 2022 में 875 बीपीएस के मुकाबले घटकर 326 आधार अंक रह गया, जो सबसे बड़ा था जिसका कारण दो से तीन पखवड़े में डिपॉजिट में आई तेजी है।

16.2 प्रतिशत बढ़ा क्रेडिट ऑफटेक (Credit offtake increased by 16.2 percent)

पर्सनल लोन, एनबीएफसी और कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के कारण 30 जून को समाप्त समीक्षाधीन पखवाड़े में क्रेडिट ऑफटेक (व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ली जाने वाली लोन की मात्रा)

सालाना आधार पर 16.2 प्रतिशत की दर से बढ़कर 143.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि में क्रेडिट पिकअप 14.5 फीसदी थी।

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