रेलवे पेपर लीक: कई राज्यों से जुड़ रहे तार, सीबीआई को राजस्थान के साथ ही दो अन्य राज्यों में भी मिले सुराग
Railway Paper Leak Case
लखनऊ। Railway Paper Leak Case: रेलवे भर्ती बोर्ड प्रयागराज की ओर से आयोजित सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (जीडीसीई) के पेपर लीक होने के मामले के तार उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से जुड़ रहे हैं। सीबीआई की जांच में राजस्थान के साथ बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब में भी पेपर लीक करने वाले गिरोह के सक्रिय होने के साक्ष्य मिले हैं। सीबीआई ने गिरोह के सदस्यों की तलाश तेज कर दी है।
रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा तीन जनवरी 2021 को जीडीसीई आयोजित की गई थी। पेपर लीक करवाने वाले आरोपितों ने गाजियाबाद में तमाम अभ्यर्थियों को पहले ही प्रश्नों के उत्तर रटवा दिए थे। जानकारी मिलने के बाद रेलवे प्रशासन ने अपने स्तर से कई कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की थी। साथ ही सीबीआइ और विजिलेंस ने भी मुकदमा दर्ज कर पड़ताल शुरू की थी। शुरुआती जांच में गिरोह के कुछ सदस्यों के नाम तो सामने आए, लेकिन बाकी जानकारियां अभी तक रहस्य बनी हैं।
11 आरोपियों के ठिकानों पर की छापेमारी
सीबीआई ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश व राजस्थान में 11 आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें कई दस्तावेज मिले थे। जिस तरह बेहद सुनियोजित तरीके से पेपर लीक किया गया, उससे रेलवे के अफसरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सीबीआइ परीक्षा कराने वाली एजेंसी मुंबई की एपटेक कंसल्टेंसी लिमिटेड के उन कर्मचारियों को भी चिह्नित कर रही है जिन्होंने पेपर को खोलकर देखा था। जल्द ही आरोपितों के साथ इन कर्मचारियों से भी पूछताछ हो सकती है।
परीक्षा कराने वाली एजेंसी ने अपने कर्मचारियों को पेपर देखने की अनुमति दी थी जिससे आशंका जताई जा रही है कि कर्मचारियों ने ही गिरोह को पेपर लीक किया है।
भुगतान करने वाले नंबरों को ट्रेस कर रही सीबीआई
सीबीआई के मुकदमे में नामजद अलीगढ़ के ट्रैक मेंटेनर हंसराज मीना पेपर लीक कराने वाले गिरोह के सदस्य अमित के संपर्क में था। अमित से उसका परिचय जयपुर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान कई वर्ष पहले हुआ था। अमित ने उससे अपना मोबाइल नंबर डिलीट करने को कहा था। यह भी सामने आया कि पेपर लीक गिरोह के सदस्यों ने कुछ अभ्यर्थियों से फोनपे और पेटीएम के जरिये भी पैसा लिया था। जिन नंबरों पर भुगतान किया गया, सीबीआइ उसे ट्रेस कर रही है। गिरोह के कई अन्य सदस्यों के मोबाइल नंबरों का भी पता चला है।