क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें करीब 25 रुपये तक बढ़ जाएँगी, जानिए क्या कहती है विशेषज्ञों की राय

क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें करीब 25 रुपये तक बढ़ जाएँगी, जानिए क्या कहती है विशेषज्ञों की राय

क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें करीब 25 रुपये तक बढ़ जाएँगी

क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें करीब 25 रुपये तक बढ़ जाएँगी, जानिए क्या कहती है विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली। बीते 6 दिनों में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 5 बार बढ़ी हैं। इनमें से चार बार 80-80 पैसे की बढ़ोतरी की गई है जबकि रविवार को छठीं बार कीमतों में 55 पैसे तक की बढ़ोतरी की गई। रविवार को 50 पैसे पेट्रोल पर बढ़ाए गए और 55 पैसे डीजल पर बढ़ाए गए हैं। इस सप्ताह से पहले तक बीते करीब साढ़े चार महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई थी जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बहुत तेजी से उछाल देखने को मिला।

दरअसल, इस दौरान उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव थे और विशेषज्ञों का मानना रहा है कि चुनाव के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई थी लेकिन विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस दौरान खुदरा विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसकी भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी की जा सकती है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह बढ़ोतरी करीब 25 रुपये तक हो सकती है।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, तेल कंपनियों को "डीजल की कीमतों में 13.1 से 24.9 रुपये प्रति लीटर और गैसोलीन (पेट्रोल) की कीमतों में 10.6 से 22.3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने की आवश्यकता होगी।" वहीं, CRISIL रिसर्च ने कहा कि कच्चे तेल की औसत 100 डॉलर प्रति बैरल कीमत को झेलने के लिए खुदरा मूल्य में 9 से 12 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की आवश्यकता होगी और अगर कच्चे तेल की औसत कीमत 110 से 120 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाती है तो 15 से 20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जरूरत होगी।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने पिछले हफ्ते कहा था कि चुनावी अवधि के दौरान पेट्रोल और डीजल की कीमतों को पुरानी स्थिति पर ही बनाए रखने के लिए सरकारी खुदरा विक्रेताओं को कुल मिलाकर लगभग 2.25 बिलियन अमरीकी डालर (19,000 करोड़ रुपये) के राजस्व का नुकसान हुआ है। बता दें कि भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 प्रतिशत निर्भर है और इसलिए खुदरा दरें वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के अनुसार बदलती हैं।