क्या पास हो पाएगा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का बिल? आंकड़े क्या कहते हैं?
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क्या पास हो पाएगा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का बिल? आंकड़े क्या कहते हैं?

निचले सदन में दो विधेयक पेश किए गए

 

One Nation One Election: सत्ता रूढ़ भाजपा के पास मंगलवार शाम तक संविधान में संशोधन करने वाले दो विधेयकों को लोकसभा से पारित करने तथा अपने एक राष्ट्र एक चुनाव के सपने को वास्तविकता के करीब पहुंचने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी। आज निचले सदन में कुछ विधेयक पेश किए गए, इन विधायकों के बाद विपक्ष की ओर से अपेक्षित तीव्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल और असदुद्दीन ओवैसी की ए आई एम आई एम सहित कई छोटे दलों ने प्रस्ताव पर हमला किया और कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे को नष्ट करता है। तो चलिए थोड़े विस्तार से जानते हैं कि किन विधायकों को सदन में पेश किया गया और उससे उसके खिलाफ़ विरोध क्यों हुआ?

 

दो विधेयकों को किया गया पेश

 

निचले सदन में दो विधेयक पेश किए गए, जिनमें से एक विधेयक में राज्य विधानसभाओं की अवधि और विघटन में परिवर्तन करने तथा उनके कार्यकाल को लोकसभा से जोड़ने का प्रस्ताव है, तथा दूसरा विधेयक जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दिल्ली, जम्मू और कश्मीर तथा पुडुचेरी की विधानसभा में इसी प्रकार के परिवर्तन का प्रस्ताव है। इन विधेयकों के लिए भाजपा के दो सहयोगी दल आंध्र प्रदेश की सत्ता रूढ़ि तेलुगू देशम पार्टी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने समर्थन जताया। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इसके खिलाफ विरोध कर दिया। आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने सितंबर में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें भाजपा के एक राष्ट्र एक चुनाव या ओ एन ओ पी के सपने को साकार करने के लिए उपाय सुझाए गए थे। समिति की सिफारिश के अनुसार संविधान में इन संशोधनों को लोकसभा से पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

 

क्या है ओ एन ओ पी?

 

सरल शब्दों में कहे तो इसका अर्थ यह है कि सभी भारतीय लोकसभा और विधानसभा चुनावों में केंद्रीय और राज्य प्रतिनिधियों को चुनने के लिए एक ही वर्ष में एक ही समय पर मतदान हो। आपको बता दे की 2024 तक केवल चार राज्य में लोकसभा चुनाव हुए हैं, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उड़ीसा में अप्रैल जून में लोकसभा चुनाव के साथ मतदान हुआ। तीन अन्य महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में अक्टूबर नवंबर में मतदान हुआ। शेष राज्यों में 5 वर्षीय चक्र अनियमित है, उदाहरण के लिए कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना उन राज्यों में शामिल है जहां पिछले पांच अलग-अलग समय पर मतदान हुआ है। जबकि दिल्ली और बिहार में 2025 में मतदान होगा तथा तमिलनाडु और बंगाल उन राज्यों में शामिल है जहां 2026 में मतदान होगा।

 

ओ एन ओ पी को नहीं मिला समर्थन

जब भाजपा ने विधेयक पेश किया तो कांग्रेस ने विधेयकों को पेश करने के लिए मतदान के बाद खुशी जताई। क्योंकि भाजपा के पास बहुमत नहीं है, पार्टी नेताओं मानिकम टैगोर और शशि थरूर ने मत विभाजन के बाद बताया कि भाजपा की अपनी पहल के समर्थन में केवल 269 वोट ही मिले हैं, 198 सांसद इसके विरोध में खड़े हैं। श्री टैगोर ने वोटिंग प्रणाली के स्क्रीनशॉट के साथ एक्स पर कहा कल 461 वोटो में से दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी, लेकिन सरकार को केवल 269 वोट मिले जबकि विपक्ष को 198 एक राष्ट्र एक चुनाव प्रस्ताव दो तिहाई समर्थन हासिल करने में भी सफल रहा।