32 वर्ष के सुखे को काग्रेंस ईस वार दूर करेगी कया ....

32 वर्ष के सुखे को काग्रेंस ईस वार दूर करेगी कया ....
कुटलैहड़ में हर विस चुनाव में पार्टी का मत प्रतिशत वडने के वाद भी जीत से दूर होती रही काग्रेंस ....
पार्टी आलाकमान को ईस वार कुटलैहड़ में प्रैक्टिकल छोड़ जमीनी हकीकत को देख टिकट करनी होगी फाईनल ,तभी जीत सकेगी काग्रेंस ....
कुटलैहड में जीत का स्वाद चखे कांग्रेस को बेशक़ 32 वर्ष हो गए हों लेकिन नेतृत्व विहीन होने के बाबजूद हल्के में कांग्रेस का मत प्रतिशत लगातार बढ़ा है ।कुटलैडह में चुनाव दर चुनाव बढ़ते मत प्रतिशत के बावजूद कांग्रेस नेताओं की अंतर कलह की वजह से लगातार चुनाव हार रही है । स्पष्ट है कि कांग्रेस की अंतर कलह की वजह से भाजपा को मज़बूती मिली है ।हर चुनाव के उपरांत अलग अलग गुटों को पार्टी विरोधी कार्य करने के लिए आरोपित करके पार्टी से निष्कासन के प्रयास होते रहे हैं ।जिसकी वजह से लगातार पार्टी में बिखराव बढ़ता गया और यह जीत से दूर होती गई ।बिगत चुनावों में भी कुटलैहड से पार्टी के टिकट के लिए आवेदन रिकॉर्ड संख्या में हुए थे ।जो कि प्रदेश भर में चर्चा का विषय रहा था ।वर्तमान संदर्भ की बात करें तो अब भी पार्टी में कथित तौर पर अलग अलग गुटों के नेता अपने नेताओं के वरद हस्त के बूते पार्टी का टिकट लेने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं ।यहाँ हाल ही में बंगाणा में वडी रैली का आयोजन कांग्रेस नेता देसराज मोदगिल अपनी दमदार दावेदारी पेश की और उपस्थित जनसमूह से अपना जन समर्थन भी दिखलाया ।तो वही अब समूरकलां में भारी जनसमूह के बूते जहाँ अपना जन समर्थन और टिकट की दावेदारी मज़बूती से दविंदर भुट्टो ने पेश की है ।तो वहीं युबाओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी से पकड़ दिखलाई है ।देशराज् मौदगिल जहाँ मुकेश अग्निहोत्री के प्रबल समर्थक माने जाते हैं तो वहीं दविंदर भुट्टो चुनावी वैतरणी राजेंद्र राणा के बूते पार करने में जुटे हैं । वही पूर्व प्रत्याक्षी एवं ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विवेक विक्कु सुखदेव सिंह सुक्खू के प्रबल समर्थक हैं ।बिगत चुनाव में नज़दीकी मुक़ाबले में हारने के बावजूद पिछले 5 वर्षों से फिल्ड में पूरी तरह से डटे हुए हैं ।इन तीनों के अलावा पूर्व सैनिक निगम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल धर्मेन्द्र पटियाल भी टिकट के मज़बूत दावेदारों में से एक हैं ।कर्नल पटियाल लंबे समय से पार्टी संगठन से जुड़े हुए हैं ।और बिना किसी किंतु परंतु के संगठन के आदेशों का पालन करते हैं ।इसी के साथ युंका के खाते से यहाँ रणबीर राणा सहित टिकट के चाहबॉनों की लंबी लाइन मौजूद है ।
………..लगातार चुनाव हारने के बाद अब इस बार कुटलैहड कांग्रेस एक मत होकर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है ।यह दावा कितना मज़बूत है आने वाले समय में ही पता चल पाएगा ।लेकिन हाल ही में हुई कांग्रेस की 2 रैलियों में टिकट के सभी चाहबानो ने एक मंच से एक स्वर में जिसे भी टिकट मिले उसका साथ देने की बात पूरे दम ख़म से दोहराई है ।ऐसे में पार्टी मंच से ली गई शपत कितना इन नेताओं को जोड़ कर रख पाती है ये आने वाले समय में ही पता चल पाएगा ।
……..बंगाणा के बाद विगत सप्ताह समूरकलाँ में आयोजित रैली में भी कांग्रेस नेताओं ने एक जुटता से जिसे भी टिकट मिले उसका साथ देने की बात कही ।कुटलैहड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विवेक विककू ने जहाँ मंच से सभी को सौगंध उठाने को कहा कि सभी लोग इस बात की सौगंध लें कि पार्टी जिस भी व्यक्ति को प्रत्याक्षी बनाएगी सभी लोग ईमानदारी से तन ,मन ,धन से उसका साथ देकर उसे विधान सभा पहुँचाएँगे । कांग्रेस महासचिव दविंदर भुट्टो ने मंच से अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि इस बार गुटबाज़ी की वजह से कांग्रेस चुनाव नहीं हारेगी। उन्होंने कहा कि जिस भी व्यक्ति को पार्टी का टिकट मिलेगा । उसका स्वागत मैहतपुर में जाकर समूची पार्टी करेगी और पूरे जोशोखरोश से चुनाव लड़कर चुनाव हर हाल में जीता जाएगा ।तो वहीं देसराज मौदगिल ने भी चुनाव को एकजुटता से जीतने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई ।मंच पर जब राजेंद्र राणा ने कड़े शब्दों में गुटबाज़ी को छोड़कर एक साथ आने की बात कही तो उन्होंने स्पष्ट किया कि टिकट एक है और एक ही व्यक्ति को मिलेगी । एसे में जीत हासिल करने के लिए ईमानदारी के साथ एक जुट होकर प्रयास करने पर यहाँ कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी ।
……कुटलैहड विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की वर्षों से चली आ रही हार की परिपाटी न बदलने और लगातार नए नए गुट बनने और गुटबाज़ी बढ़ाने में हाई कमान द्वारा समय समय पर किए गए प्रयोगों का भी ख़ासा योगदान रहा है । बीते वर्षों में लड़े गए चुनावों पर यदि ग़ौर की जाए तो साफ़ दिखता है कि कांग्रेस ने बार बार प्रयोग करके कुटलैहड को प्रयोगशाला में तब्दील करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है । हालात यह रहे कि कुटलैहड रियासत के राजा महेंद्र पाल जोकि मात्र तीन वोटों से हारे उन्हें भी दोबारा टिकट नहीं दिया गया ।यहाँ कभी रामनाथ शर्मा ,कभी सरोज़ ठाकुर तो कभी रामदास मलांगढ़ और बिगत चुनावों में विवेक विककू तक की फेरहस्त को देखें तो लगातार कांग्रेस यहाँ प्रत्याशी बदल बदल कर उतारती रही है ।बार बार टिकट बदलने से जहाँ गुटबाज़ी बढ़ती गई ।बही पार्टी के भीतर अनेक धड़े बढ़ते गये । जो व्यक्ति चुनाव हारे या जिन लोगों की चुनाव लड़ने की मंशा थी ।सब अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते गुटों में तबदील हो गए । चाहे पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रविंद्र फ़ौजी की बात हो देशराज गौतम की बात हो ।यह फेरहिस्त समय के साथ लंबी होती गई और इससे कांग्रेस लगातार कमज़ोर होती गई ।
……….लगातार चुनाव हारने और नेताओं की संख्या लगातार बढ़ने की वजह से एक बार कुटलैहड दौरे पर आए पूर्व मुख्यमंत्री सवर्गीय वीरभद्र सिंह ने कांग्रेसी नेताओं को मकर झंडूओं तक की संज्ञा दे डाली थी ।इसी के साथ ही पार्टी लाइन से बाहर जाने वाले कांग्रेसियों को उठाकर गोबिन्द सागर झील में फेंकने का वयांन भी ख़ूब चर्चा में रहा था ।
- -विवेक अग्रवाल की कलम से .....