प्रेमानंद महाराज क्यों नहीं जा रहे महाकुंभ; प्रयागराज कुंभ के बारे में क्या कहा? आज पहले पवित्र स्नान पर 1 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी
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Why Premanand Maharaj not going to MahaKumbh 2025 Prayagraj
Premanand Maharaj MahaKumbh: तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ का महाआगाज हो चुका है। देश-विदेश के लगभग सभी साधु-संत और सन्यासी इस पावन महाकुंभ में भाग लेने पहुंचे हैं। लेकिन वृंदावन वाले विश्वविख्यात संत प्रेमानंद जी महाराज महाकुंभ में नहीं जा रहे। प्रेमानंद महाराज ने खुद कहा है कि, वह प्रयागराज में महाकुंभ नहीं जाएंगे। इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई है। उन्होंने कहा कि, वह वृंदावन धाम नहीं छोड़ सकते। धाम से बाहर नहीं जा सकते।
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प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा?
प्रेमानंद महाराज ने प्रयाग की महिमा पर एक चौपाई पढ़ी। जिसमें उन्होंने कहा- ''तीरथपति पुनि देखु प्रयागा। निरखत जन्म कोटि अघ भागा''॥ यानि तीर्थराज प्रयाग को देखो, जिसके दर्शन से ही करोड़ों जन्मों के पाप भाग जाते हैं। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, प्रयाग कोई साधारण स्थान नहीं है। प्रयाग तीर्थराज है। कुंभ के दौरान वहां करोड़ों की संख्या में लोग वास करते हैं। लेकिन हमारे जैसे कुछ लोग नहीं जा सकते। इसे अब आप कुछ भी समझ लो। चाहें निष्ठावान, कि हम वृंदावन धाम से बाहर नहीं जा सकते।
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प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, अब ये मुश्किल है। अब ये नहीं हो सकता। नर्क-स्वर्ग-अपवर्ग सब कुछ यहीं है अब हमारा. अब वृंदावन का वास छोड़कर अन्य कहीं जाने की इच्छा नहीं है। हमें कोई लाभ, कोई स्वीकृत नहीं चाहिए। हमें कोई परमपद नहीं चाहिए। हमें कुछ चाहिए तो वो प्रिया-प्रीतम और वृंदावन। इससे आगे कुछ भी नहीं। हमारी पूरी निष्ठा अब वृंदावन धाम तक है। इसके अलावा हम कहीं भी नहीं जाना चाहते।
वहीं कुंभ को लेकर महाराज जी आगे बोले कि, एक समय में हमारे जीवन में कुंभ जाना भी रहा। लेकिन अब सिर्फ प्रिया-प्रीतम और वृंदावन। अब इसके आगे कोई तीर्थ या कोई पुरी जाने की कोई इच्छा नहीं रह गई है। हम सब कुछ शांत सा हो गया है। ये सब भी भगवान की ही दी हुई स्तुति है। अब इसमें कोई और हलचल नहीं हो सकती है।
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