नए साल के पहले महीने जनवरी में आ रहे लोहड़ी और मकर संक्रांति, जाने क्यों है ये त्यौहार खास और कब है इनका शुभ मुहूर्त
- By Sheena --
- Monday, 09 Jan, 2023
Why Lohri And Makar Sankranti is famous festival and what is the meaning behind ?
लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व हर साल पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। साल की शुरुआत में आते है ये दोनों त्यौहार और लोग इन्हें धूम- धाम से मानते है।यूं तो लोहड़ी का पर्व प्रमुख रूप से पंजाब में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। लेकिन, देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी खास धूम रहती है। लोहड़ी का पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस समय खेतों में फसल लहलहाने लगती है। इस पर्व पर रात में आग जलाई जाती है, जिसे लोहड़ी कहा जाता है। इसी तरह लोहड़ी के बाद ही मकर संक्राति भी आती है जिसे लोग मानते है और अपने परिवार और रिश्तेदारों में शुभकामनाएं देते है। आपको बातादे कि देश के कई हिस्सों में इन त्यौहारों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे कि गुजरात में इसे उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी, असम में बिहू, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी आदि नामों से जाना जाता है। हर साल लोहड़ी और मकर संक्रांति का त्यौहार 13 और 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। तो आइए आज हम आपको लोहड़ी और मकर संक्राति की विशेष महत्वता बताएंगे।
लोहड़ी का है महत्व
भारत में लोहड़ी का त्यौहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है और पंजाब में इसकी ज्यादा मान्यता है। लोग अपने घर परिवारों में जाते है और एक दूसरे को मिठाई ,तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि देते है। क्योंकि लोहड़ी अग्नि पवित्र व शुभता का प्रतीक होती है और लोग लोहड़ी पर आग जलाकर सब मिलकर जश्न मानते है और इस अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित करते हैं। बच्चे घर-घर में जाकर लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी भी मांगते है और लोग उन्हें मूंगफली, मिठाई और पैसे भी देते है। लोहड़ी का पर्व का अलग ही महत्व है। ये जैसे होली के जैसे मनाया जाता है वैसे ही लोहड़ी को भी मनाया जाता है। लोग इस दिन रात्रि में एक स्थान पर इकट्ठे होते है और आग जलाई जाती है। लोग इस आग के इर्द-गिर्द इकट्ठा होते हैं सभी लोग मिलकर अग्निदेव को तिल, गुड़ आदि से बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं। उनका मनना है की इससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना करते हैं और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।
लोहड़ी पर आग जलने का क्या है महत्व ?
लोहड़ी के त्यौहार की अलग-अलग मान्यता है। किताबो और इतिहास में भी इसकी विशेषता कई प्रकार से पेश की गई है। दरअसल, कई लोगो का कहना है कि लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी हुई है कि जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया पर शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया। फिर भी माता सती महायज्ञ में पहुंचीं लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की। इससे आहत सती ने अग्नि कुंड में अपनी देह त्याग दी। इसलिए लोग ये भी कहते है कि लोहड़ी का त्यौहार अग्नि मां सती के त्याग को समर्पित है इसलिए लोग लोहड़ी पर अग्नि की पूजा करके परिक्रमा करते हैं अग्नि में तिल, रेवड़ी, गुड़ आदि अर्पित करके प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
लोहड़ी जलने का 2023 में शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी को रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। वहीं एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा। लोहड़ी का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट पर है।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति और क्या है इसका महत्व ?
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) का पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग अलग तरीके से और बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे उत्तरायण, पोंगल, खिचड़ी, आदि। मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ, स्नान, दान और तिल खाने की परंपरा है। मकर संक्रांति का पर्व वैसे तो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन, इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दरअसल, मकर संक्रांति की तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 42 मिनट से हो रहा है। ऐसे में उदय तिथि में यानी 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस त्यौहार पर लोग सुबह स्नान आदि करने के बाद स्नान दान भी करते है जिसका एक बड़ा महत्व है। लोग स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देते है और सूर्य के बीज मंत्र का जप करते। आपको बतादें कि इस दिन शनिदेव से जुड़ा दान करने का भी विशेष महत्व हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसे लेकर एक पौराणिक कथा और है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार करके उन पर विजय प्राप्त की थी, तभी से भगवान विष्णु की इस जीत पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
आपको बतादे कि इस बार (2023) में मकर संक्राति का शुभ मुहूर्त का समय कुछ इस प्रकार है। इस दिन लोग वैसे सारा दिन ही स्नान-दान कर सकते है लेकिन सुबह के समय पुण्यकाल में ये काम करना अति शुभ माना गया है। इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी, रविवार की सुबह 07.14min से दोपहर 12.36min यानी 5 घंटा 32 मिनट तक रहेगा। यानी इस समय किए गए स्नान-दान, तप आदि का महत्व बहुत अधिक रहेगा।