Lady Singham IPS मंजिल सैनी के पीछे क्यों पड़ी है CBI? लखनऊ का श्रवण साहू हत्याकांड जान लीजिए
Shravan Sahu Murder Case
Shravan Sahu Murder Case: लखनऊ के चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में सीबीआई की सिफारिश पर भले ही उत्तर प्रदेश शासन ने आईपीएस मंजिल सैनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी हो, लेकिन यह पूरा मामला पुलिस की घूसखोरी, पुलिस अपराधी गठजोड़, और अफसरों की लापरवाही का नतीजा थी. हालांकि मंजिल सैनी शुरू से ही खुद को निर्दोष बताती रही, सीबीआई की पूछताछ में भी मंजिल सैनी ने लापरवाही का पूरा ठीकरा मातहतों पर फोड़ा था.
सिपाही दरोगा घूसखोर हो और अफसर लापरवाह हो तब खाकी की किरकिरी कराने वाला श्रवण साहू हत्याकांड होता है. लखनऊ जेल में बंद अपराधी अकील अंसारी ने कैसे पुलिस को अपनी प्लानिंग का हिस्सा बनाया श्रवण साहू हत्याकांड उसी का नतीजा है.
16 अक्टूबर 2015 को ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के टेंपल रोड पर स्वयं साहू के बेटे आयुष की अकील अंसारी ने अपने साथियों के साथ मिलकर मामूली विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी. शुभम साहू ने इस मामले में अकील अंसारी और उसके साथियों पर हत्या का केस दर्ज करवाया.
पुलिस में आयुष हत्याकांड में अकील अंसारी की तलाश शुरू की तो पता चला अगले दिन अकील अंसारी को कृष्णा नगर पुलिस ने पिस्टल के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जिस आरोपी की तलाश एसएसपी की स्वाट टीम से लेकर क्राइम ब्रांच और ठाकुरगंज पुलिस तलाश रही थी उसे कृष्णानगर पुलिस में आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार कर चुपचाप जेल भेज दिया.
इस मामले में कृष्णा नगर में तैनात रहे सब इंस्पेक्टर अनुराग उपाध्याय की भूमिका सवालों के घेरे में आई. तत्कालीन एसएसपी ने अनुराग उपाध्याय को सस्पेंड भी किया. जेल में बंद अकील अंसारी को लगा श्रवण साहू की पैरवी से कोर्ट से सजा होना तय है तो श्रवण साहू को पैरवी बंद करने की धमकी मिलने लगी.
अंसारी ने जमानत पर छूटने के बाद स्वयं साहू को फसाने की एक नई साजिश रची. लखनऊ क्राइम ब्रांच और पारा थाने में तैनात सिपाही अनिल सिंह और धीरेंद्र यादव की मदद से अकील अंसारी ने ठाकुरगंज के कैंपवेल रोड से चार निर्दोष लडको अफजल, कामरान, अनवर और तमीम को पकड़ाया. उनको डालीगंज के एक फ्लैट में रखकर मारपीट की गई टॉर्चर किया गया. लेकिन इन चार लड़कों में अफजल के पिता कुर्बान खान ने अकील अंसारी पर अपहरण का केस दर्ज कराया. वही तमीम के परिजनों ने भी ठाकुरगंज थाने में अपहरण एफआईआर दर्ज करवाई.
असलहो का इंतजाम किया गया (ammunition arranged)
लेकिन दूसरी तरफ असलहो का इंतजाम किया गया और 10 जनवरी 2017 को एसएसपी की स्वाट टीम प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला ने इन 4 लोगों को और आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया. कहा गया क्राइम ब्रांच ने जेल में बंद गैंगस्टर सलीम सोहराब और रुस्तम के शूटरों को असलहो के साथ पकड़ा है. सलीम गैंग के गुर्गों की गिरफ्तारी के अगले ही दिन अकील अंसारी ने लोगों के सामने कहना शुरू किया श्रवण साहू ने उसकी हत्या की सुपारी सलीम गैंग के इन शूटरों को दी थी.
अकील अंसारी से पुलिस की नजदीकी का ही नतीजा था जिस ठाकुरगंज थाने में अकील अंसारी पर सलीम गैंग के तथाकथित गुर्गों के अपहरण तक केस दर्ज था, उसी ठाकुरगंज थाने में अकील अंसारी की तहरीर पर श्रवण साहू पर एक केस दर्ज हो जाता है. श्रवण साहू पर दर्ज कराई गई f.i.r. में कहा गया कि उसने अकील अंसारी की हत्या के लिए सलीम गैंग के शूटरों को सुपारी दी थी.
श्रवण साहू पर केस दर्ज हुआ तो उसने अफसरों का दरवाजा खटखटाना शुरू किया. एसएसपी मंजिल सैनी से किसी तरह श्रवण साहू ने आपबीती बताई तो मामला अफसरों के संज्ञान में आया. जेल भेजे गए 4 लड़कों को पुलिस की पैरवी से जेल से छुड़वाया गया.
अकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया (Akil Ansari was arrested and sent to jail)
मामला खुला तो अकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जेल के अंदर से अकील अंसारी फिर श्रवण साहू को धमकाने लगा. जेल से लगातार मिल रही धमकी पर श्रवण साहू लगातार एसएसपी मंजिल सैनी से मिलने की कोशिश करता रहा, सुरक्षा की गुहार लगा रहा था. लेकिन श्रवण साहू को सुरक्षा नहीं मिली और फिर 1 फरवरी 2017 को श्रवण साहू की उसके घर के बाहर ही बाइक सवारों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
हालांकि सीबीआई के सामने मंजिल सैनी यह बयान दिया कि उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा देने के लिए तत्कालीन आरआई शिशुपाल सिंह को आदेश दिया था. लेकिन शिशुपाल ने सीबीआई के सामने साफ कहा कि बिना जिला सुरक्षा समिति की संस्तुति के गनर देना नामुमकिन था और मैडम की तरफ से कोई आदेश नहीं मिला था.
श्रवण साहू की हत्या होते ही मामले ने तूल पकड़ा. तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने कार्रवाई करते हुए स्वाट प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला, कॉन्स्टेबल अनिल सिंह और धीरेंद्र यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा और बर्खास्त करने पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया.
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