हरभजन सिंह ने क्यों उठाए बीसीसीआई के नए नियमों पर सवाल?

हरभजन सिंह ने क्यों उठाए बीसीसीआई के नए नियमों पर सवाल? कोच गौतम गंभीर पर भी कर दी टिप्पणी

बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भारत की निराशाजनक 1/3 हर के कुछ दिनों बाद बीसीसीआई ने अपने केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए नई दिशा निर्देश पेश किया

 

BCCI: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा हाल ही में राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में अनुशासन और एकता स्थापित करने के उद्देश्यों से जारी किए गए 10 सूत्रीय नियमों पर सीधे और स्पष्ट रूप से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पूर्व भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने अपनी नाराजगी जाहिर की। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भारत की निराशाजनक 1/3 हर के कुछ दिनों बाद बीसीसीआई ने अपने केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए नई दिशा निर्देश पेश किया लेकिन हरभजन के अनुसार यह नीतियां कोई नई बात नहीं है यह उनके खेलने के दिनों में पहले से लागू नीतियों का ही एक नया रूप है।

 

हरभजन ने उठाए सवाल

 

बीसीसीआई के नए नियम भारत के लिए एक भूलने वाली श्रृंखला के तुरंत बाद आया है जिसमें न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों के खिलाफ खराब प्रदर्शन हुआ था। घरेलू क्रिकेट में अनिवार्य भागीदारी दौरे पर परिवार और निजी कर्मचारियों की मौजूदगी पर प्रतिबंध और श्रृंखला के दौरान व्यक्तिगत वाणिज्य विज्ञापनों पर प्रतिबंध सहित दिशा निर्देशों की समय सीमा के लिए आलोचना की गई है। हरभजन सिंह का मानना है की फोकस केवल टीम के क्रिकेटरप्रदर्शन पर होना चाहिए था, ना कि मैदान के बाहर के मामलों पर। हरभजन सिंह ने कहा कि हम 1–3 से इसलिए नहीं हारे क्योंकि पत्नि और साथी दोनों दो महीना तक वहां थे, हम इसलिए नहीं हारे क्योंकि कोई अलग से यात्रा कर रहा था हम इसलिए हारे क्योंकि हमने खराब क्रिकेट खेला। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि भारत का निराशाजनक प्रदर्शन मैदान के बाहर की गड़बड़ियों से जुदा नहीं था, बल्कि मैदान पर मौजूद मुद्दों के कारण था, जैसे एक खराब बल्लेबाजी और खिलाड़ियों का खराब फार्म हरभजन की भावना उनके पूर्व साथी इरफान पठान ने भी दोहराई जिन्होंने नई नीति के कार्यान्वन पर इसी तरह की चिंताएं साझा की।

 

कोच गौतम गंभीर को ले कर की टिप्पणी

 

इस नई दिशा निर्देशों में सबसे विवादास्पद बिंदु वह खंड है जिसके तहत खिलाड़ियों को कुछ मामलों के लिए मुख्य कोच गौतम गंभीर से पूर्व स्वीकृति लेनी होगी हरभजन इस पहलू से पूरी तरह सहमत है उन्होंने कहा कि मुख्य कोच की भूमिका केवल मैदान पर और खेल के तकनीकी पहलुओं तक ही सीमित होनी चाहिए हमारे समय में यह लिखा होता था, कि कुछ मामलों पर बीसीसीआई से पूर्व स्वीकृत की आवश्यकता होती है, इसलिए स्वीकृति के लिए बीसीसीआई को एक मेल भेज सकते हैं। मुख्य कोच को इन सब में क्यों उलझना पड़ा यह उनका काम नहीं है। हरभजन ने जोर देकर कहा उन्होंने सुझाव दिया कि प्रशासनिककर्तव्यों को बीसीसीआई के भीतर सक्षम लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए जबकि मुख्य कोच की जिम्मेदारी टीम के प्रदर्शन और रणनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित होनी चाहिए।

 

अनुशासन की है आवश्यकता

हरभजन सिंह ने निश्चित रूप से टीम के भीतर अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया उनका मानना है कि मौजूदा नीति में नवीनता की कमी है, उन्होंने बताया कि उनके खेलने के दिनों में सचिन तेंदुलकर सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज क्रिकेटर मैच जल्दी खत्म होने पर कभी भी टीम को छोड़कर अपने-अपने घर वापस नहीं जाते थे, इसकी बजाय वेटिंग के रूप में साथ-साथ रहते और अगले गंतव्य पर जाते थे मजाकिया तौर पर उन्होंने कहा की नई नीति में एकमात्र वास्तविक बदलाव अधिक उदार सामने प्रतीत होता है ऐसा कुछ जिससे वे महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में नहीं देखते।