Why again the failure in the security of Parliament?
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Editorial: संसद की सुरक्षा में फिर चूक क्यों, बेहद गंभीर है मामला

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Why again the failure in the security of Parliament?

देश की संसद में बुधवार जो घटनाक्रम पेश आया, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और संसद की सुरक्षा को तार-तार करने वाला था। इस बात से संतोष नहीं किया जा सकता कि संसद के अंदर और बाहर उपद्रव करने वाले आरोपियों ने किसी ऐसी वारदात को अंजाम नहीं दिया जिससे कोई जनहानि होती। यह  संभव था कि आरोपियों के पास बम या कोई अन्य हथियार होता, जिससे वे संसद के अंदर घुसकर कोहराम मचा सकते थे। 

यह केंद्र सरकार के लिए बेहद विचारणीय और गंभीर मसला है कि आखिर सबसे सुरक्षित जिस इमारत को बताया गया था, उसके अंदर किस प्रकार से देश के विभिन्न हिस्सों से आए ये आरोपी घुस गए और अपने कारनामों को अंजाम दे गए। इस मामले में अब संसद में सुरक्षा स्टाफ से जुड़े 8 कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है, जोकि उचित है, लेकिन यह मामला यहीं तक सीिमत नहीं है। इसकी पूर्ण संभावना है कि संसद के अंदर और बाहर कोहराम मचाने वाले उपद्रवियों का संपर्क देशविरोधी ताकतों से है।

यह अपने आप में अनोखी बात है कि पकड़े गए आरोपियों जिनमें निम्न शिक्षित से उच्च शिक्षित तक शामिल हैं, को आखिर किस बात का विरोध जताना था, जिसके लिए उन्होंने देश की संसद की सुरक्षा को ताक पर रख दिया। लोकसभा के अंदर दर्शक गलियारे से कूद कर घुसे युवक ने किस प्रकार संसद में सांसदों की सीटों पर उछलकूद मचाई, वह उसके सिरफिरे होने की गवाही देती है। 

आखिर इस प्रकार के रवैये की उम्मीद देश के नागरिकों से किस प्रकार की जा सकती है। यह हरकत तो किसी उपद्रवी या आतंकी की ही हो सकती है। इसी प्रकार संसद के बाहर एक महिला और उसके आरोपी मित्रों ने किस प्रकार से उपद्रव मचाते हुए धुआं उड़ा कर नारेबाजी की, वह बताती है कि इन आरोपियों के लिए कानून व्यवस्था कोई मतलब नहीं रखती। इनमें एक युवती हरियाणा के जींद से है, जिसके पास अनेक डिग्री बताई गई हैं, इस कृत्य के जरिये उसने अपनी शिक्षा पर सवाल लगवा दिए हैं। इन आरोपियों ने इस हरकत को अंजाम दिया, लेकिन अगर उनके पास हथियार होते तो वे कुछ और कारनामा भी अंजाम दे सकते थे।

गौरतलब है कि आरोपियों के बारे में सामने आ रहा है कि वे एक सोशल मीडिया पेज जिसे अमर शहीद सरदार भगत सिंह के नाम पर बनाया गया है, के जरिये जुड़े थे। वास्तव में क्या आज सोशल मीडिया के माध्यम से युवा किस कदर दिशाहीन हो चुके हैं, उसका नमूना यह मामला पेश करता है। देश की संसद पर 22 साल पहले भी एक आतंकी हमला हो चुका है, जिसमें पांच सैनिकों की जान गई थी। आरोपियों ने अब इसी दिन यानी 13 दिसंबर को इस वाहियात कारनामे के लिए चुना। सागर, मनोरंजन, अमोल और नीलम एवं विशाल नामक ये आरोपी किस प्रकार सुनियोजित साजिश के साथ इस कारनामे को अंजाम देने में जुटे थे, वह हैरतनाक है। इनमें से सभी जरूरतमंद परिवारों से जुड़े हैं और उनके आय के साधन पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बेहद संगीन जांच का विषय है कि आखिर बगैर किसी बाहरी प्रभाव के उन्होंने इस कारनामे को किस प्रकार अंजाम दिया। 

 साल 2001 का वह दिन देश में कौन भूल सकता है जब पाकिस्तान से आए आतंकियों ने देश की संसद के अंदर घुसकर तबाही मचाने के इरादे से परिसर में कोहराम मचाया था। उस दिन पूरा देश ही नहीं अपितु विश्व स्तब्ध रह गया था। यह सब पुरानी संसद के बाहर पेश आया था, उसके बाद से संसद की सुरक्षा को और चाकचौबंध किया गया था। इसके बाद अब नई संसद का निर्माण किया गया है, संसद की नई इमारत के संबंध में कहा गया था कि यहां सबकुछ अत्यंत आधुिनक होगा और सुरक्षा में कोई चूक सामने नहीं आएगी।

 हालांकि अब यह घटना पेश आ गई। आरोपी विजिटर के नाम पर संसद में आए थे। यह भी कहा गया कि अब दिल्ली पुलिस के जवान यहां सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं, लेकिन वे संसद के अंदर आए लोगों की बॉडी लैंग्वेज को समझने में माहिर नहीं हैं, इसकी वजह से वे लोग भी अंदर पहुंचने में सफल हो रहे हैं, जोकि बगैर किसी ठोस कारण के संसद आ रहे हैं। यह आपने आप में बहुत बड़ी खामी है। केंद्र सरकार को इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए संसद की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा, क्योंकि यह विषय सिर्फ सांसदों की सुरक्षा का नहीं है, अपितु देश की संप्रभुता और उसके गौरव का भी है।

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