दिल्ली की गद्दी पर होगा किसका राज? भाजपा, आप या कांग्रेस ? जानें क्या कहती है एग्जिट पोल

दिल्ली की गद्दी पर होगा किसका राज? भाजपा, आप या कांग्रेस ? जानें क्या कहती है एग्जिट पोल

5 फरवरी 2025 को दिल्ली में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ।

 

Delhi Assembly Election Results: 5 फरवरी 2025 को दिल्ली में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ। दिल्ली की जनता अपना अगला सीएम चुनने के लिए अपना वोट डाल चुकी है जिसका परिणाम 8 फरवरी 2025 को आने वाला है। लेकिन मतदाता द्वारा वोटो के अनुसार एक अनुमान लगाया जाता है कि आखिरकार इस चुनाव में जीत किसकी होने वाली है। आपको बता दे की मतदाता एग्जिट पोल के अनुसार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने की ओर बड़ी तेजी के साथ अग्रसर है और यह जीत 27 वर्षों के हार को बदल देगी। तो चलिए थोड़े विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।

 

भाजपा को लेकर क्या कहती है एग्जिट पोल?

 

मतदाता एग्जिट पोल के अनुसार तो भारतीय जनता पार्टी 27 वर्षों के बाद जीत हासिल करने वाली हैं। यदि अनुमान सही साबित होता है तो भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के लगभग एक दशक पुराने शासन को समाप्त कर देगी और दिल्ली विधानसभा पर पुनः अपना कब्जा कर लेगी। हालांकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पिछले 10 सालों से दिल्ली पर राज कर रही है और उसे हटाकर बीजेपी का आना थोड़ा कठिन अवश्य लग रहा है लेकिन नामुमकिन नहीं।

 

किसे मिलेंगी कितनी सीटें?

एक समग्र पोल ऑफ पोल ने हिंदू समर्थक बीजेपी पार्टी को 43 सीटों पर रखा जबकि आम आदमी पार्टी के लिए केवल 26 सीटों का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को केवल एक सीट जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो कि कभी दिल्ली का मुख्य गढ़ हुआ करता था। हालांकि कुछ व्यक्तिगत सर्वेक्षणों ने बहुत कड़े मुकाबले का सुझाव दिया और आम आदमी पार्टी ने जोर देकर कहा कि एग्जिट पोल गलत है। यदि आम आदमी पार्टी हार का सामना करती है तो सत्ता विरोधी पार्टी और इसके नेता अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका बनकर उभरेंगे। केजरीवाल एक कार्यकर्ता हैं जिनके भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने उन्हें 2015 में दिल्ली में सत्ता दिलाने में मदद की थी, और जो पार्टी की उपस्थिति को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव एक कांटे की टक्कर रही अब देखना यह दिलचस्प होगा कि दिल्ली की कुर्सी पर आखिरकार शासन किसका होता है।