अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को उम्रकैद, MP-MLA कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में सुनाई सजा
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को उम्रकैद, MP-MLA कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में
लखनऊ। सूबे के पूर्व काबीना मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई है। विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री के दो सहयोगी अभियुक्त आशीष शुक्ला व लेखपाल अशोक तिवारी को भी उम्र कैद की सजा सुनाई है। गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी ठोंका है। विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा है कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी। क्योंकि इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए। उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है। ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है। जिसके पुर्नवास की आवश्यक्ता है। लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगा।
बीते बुधवार को विशेष जज ने इन तीनों अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 376 डी व पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत दोषी करार दिया था। लेकिन पॉक्सो एक्ट के प्राविधानो के मुताबिक जिस धारा के तहत अधिक सजा होगी, अभियुक्त को उसी धारा से दंडित किया जाएगा। लिहाजा उन्होंने अभियुक्तों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई। क्योंकि वर्ष 2019 से पहले पॉक्सो की धारा 5जी/6 के तहत 10 साल से उम्र कैद तक की सजा का प्राविधान था। जबकि यह मामला वर्ष 2017 का है।
मंत्री होने के नाते गायत्री का दायित्व जनता की सेवा करना था, लेकिन अपने पद का दुरुपयोग किया
विशेष जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा है कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, की कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया। उसे खनन-पट्टे का लालच दिया। उसे लखनऊ बुलाया। फिर उसके व उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया। ऐसे में अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है। जबकि एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवा करें। लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।
शुक्रवार को सजा के बिन्दू पर सुनवाई के दौरान गायत्री समेत तीनों अभियुक्त जेल से अदालत में उपस्थित थे। अभियोजन की ओर से अभियुक्तों के लिए अधिकत्तम सजा की मांग की गई। तर्क दिया गया कि इनका यह अपराध अत्यन्त गंभीर है। जो किसी भी व्यक्ति की अर्न्तआत्मा को झकझोर देने वाला है।
दूसरी तरफ बचाव पक्ष की ओर से कम से कम सजा की मांग की गई। गायत्री की ओर से कहा गया कि वह करीब 60 वर्ष का है। वह किडनी व लीवर आदि जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। उसके पांच बच्चों में सिर्फ एक का विवाह हुआ है। उसे अभी अपनी दो पुत्रियों का भी विवाह करना है। वह वर्ष 2017 से लगातार जेल में है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह उसका पहला अपराध है। वहीं अभियुक्त अशोक तिवारी की ओर से कहा गया कि उसके परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उसी पर है। जबकि अभियुक्त आशीष शुक्ला की ओर से तर्क दिया गया कि वह अभी अविवाहित है। उसके परिवार में वृद्ध पिता के अलावा दो बहनें हैं। उनके विवाह की जिम्मेदारी उसी पर है।
यह है पूरा मामला : 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में सामूहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की अर्जी पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का इल्जाम लगाया था।