कौन है अबू आज़मी? औरंगज़ेब वाली टिपण्णी पर मांग रहें है माफ़ी, जानें क्यों मचा था इनके टिपण्णी पर बवाल

कौन है अबू आज़मी? औरंगज़ेब वाली टिपण्णी पर मांग रहें है माफ़ी, जानें क्यों मचा था इनके टिपण्णी पर बवाल

अबू आजमी के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया

 

abu azmi: समाजवादी पार्टी के विधायक अब्बू आजमी ने हाल ही में मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ में की गई अपनी टिप्पणी के लिए मंगलवार को सभी के समक्ष माफी मांगी है। हालांकि उन्होंने अपने बयान को सही ठहराते हुए माफी मांगी यानी एक तो अपने बयान से परेशानियां उत्पन्न की और फिर उसे सही ठहराते हुए माफी भी मांग ली। तो चलिए थोड़े विस्तार से जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा था और माफीनामा में उन्होंने क्या एक्सप्लेन दिया।

 

अबू आज़मी के बयान ने भड़काया माहौल

 

अबू आजमी के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने आरोप लगाया कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की तरक्की हुई थी। उन्होंने कहा था कि हमारा जीडीपी विश्व जीडीपी का 24% था और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। उन्होंने कहा कि औरंगजेब के शासनकाल में देश की सीमा अफगानिस्तान और म्यांमार तक पहुंच गई थी। फिर क्या था इसके तुरंत बाद ही मुंबई पुलिस ने आज़मी की टिप्पणी की जांच शुरू कर दी और सोमवार को लोकसभा सांसद नरेश महासके की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजमी ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया। एक अधिकारी ने कहा कि बाद में प्राथमिको मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया और भारतीय न्याय संहिता की संबंधी आधारों के तहत मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में एक नया मामला दर्ज किया गया है।

 

अपने बयानों की मांगी माफ़ी

सोशल मीडिया एक्स्पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे शब्दों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है मैंने वही कहा है जो इतिहासकारों और लेखकों ने औरंगजेब रहमतुला अल्लाह के बारे में कहा है। मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज संभाजी महाराज या किसी अन्य महापुरुष के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है लेकिन फिर भी अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द अपना बयान वापस लेता हूं। उन्होंने कहा कि जब मैं कल विधानसभा से बाहर आया तो प्रेस मुझसे असम के सीएम के उस बयान के बारे में पूछा जिसमें राहुल गांधी की तुलना औरंगजेब से की गई थी। मुझे नहीं पता है कि वह कैसे थे मैं केवल वही जानता हूं जो कई इतिहासकारों ने कहा है कई इतिहासकारों ने उनकी प्रशंसा की है उनकी किताबों पर कोई प्रतिबद्ध नहीं लगाया गया है मैं बस वही दोहराया जो उन्होंने कहा लेकिन इस मुद्दे को अब एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है और मुझे लगता है कि इस वजह से महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र को बंद करना महाराष्ट्र के लोगों को नुकसान पहुंच रहा है।