Baisakhi 2023: क्यों मनाया जाता है बैसाखी का त्योहार, जानें पंजाब में क्या है इसकी मान्यता,इतिहास और महत्व?
- By Sheena --
- Tuesday, 11 Apr, 2023
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Baisakhi 2023: बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। ये दिन किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। बैसाखी का पर्व मुख्य रूप से पंजाब में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व को नई फसल कटने के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व में मुख्य रूप से लोग उत्साह और दावत करते हैं। हर साल ये पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से लोग भंगड़ा और गिद्दा करते हैं और अपनी ख़ुशी एक साथ मिलकर जाहिर करते हैं। यह भारत के सबसे लोकप्रिय फसल त्योहारों में से एक, बैसाखी, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं बैसाखी का इतिहास महत्व और इस दिन क्या करें।
बैसाखी के त्योहार का इतिहास
बैसाखी का त्योहार फसलों की कटाई से संबंधित है. इस दिन किसान अच्छी फसल के लिए भगवान का शुक्रिया करते हैं। बैसाखी के त्योहार का इतिहास बेहद पुराना है। इस त्योहार की शुरूआत सन् 1699 में हुई थी। इसी दिन दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की नींव रखी थी। उन्होंने सिख समुदाय के सदस्यों से गुरु के लिए बलिदान करने के लिए आगे आने को कहा। इस दौरान जो लोग आगे आए, उन्हें पंज प्यारे कहा गया, जिसका अर्थ है गुरु के पांच प्यारे। इसके बाद से सिख समुदाय के लोग इस त्योहार को बड़े शौक से मनाते हैं।
बैसाखी का महत्व
इस दिन किसान पूरे साल हुए भरपूर फसल के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें अन्न धन्न अर्पित कर पूजा करते हैं। बैसाखी के दिन फसलों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर बैसाखी मनाते हैं। बैसाखी के दिन तीर्थ स्नान-दान और सूर्य देव को अर्घ्य देने से सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। बैसाखी के दिन जरुरतमंदों को फसल का थोड़ा सा हिस्सा दान करने, गरीबों मेंखीर, शरबत बांटें जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन जन सेवा करने से घर में बरकत बनी रहती है और दरिद्रता दूर होती है।
कैसे मनाया जाता है बैसाखी का पर्व?
बैसाखी को सिख समुदाय के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन को लोग नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग ढोल-नगाड़े बजाते हैं व नाचते-गाते हैं। साथ ही गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन करते हैं। लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं और घरों में मिठाईयां बांटते हैं। यूं तो यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन पंजाब और हरियाणा में इसकी धूम अलग ही नजर आती है। कई जगहों पर तो इस दिन मेले भी लगते हैं।
बैसाखी से जुड़े रोचक तथ्य
बैसाखी पर्व के दिन किसान प्रकृति माता का धन्यवाद करते हुए नई फसल की पूजा करते हैं। मान्यता है कि बैसाखी से ही एक नए साल के साथ नई फसल की भी शुरुआत होती है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं। सिख समुदाय के लोग विशेष रूप से सुबह की प्रार्थना में भाग लेने और कड़ा प्रसाद लेने के लिए गुरुद्वारे में इकट्ठा होते हैं। इस दिन सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को विधिपूर्वक बाहर निकालकर दूध और जल से स्नान कराया जाता है, फिर पवित्र पुस्तक को उसके सिंहासन पर अच्छी तरह से रख दिया जाता है और गुरुद्वारे में एकत्रित लोग इस ग्रन्थ का पाठ करते हैं। इस प्रकार बैसाखी पर्व का विशेष महत्व है और इसे फसल काटने की ख़ुशी में मनाया जाता है।