क्या है मौनी आमावस्या? जानें मौनी अमावस्या से जुड़े नियम और महत्व

क्या है मौनी आमावस्या? जानें मौनी अमावस्या से जुड़े नियम और महत्व

मौनी अमावस्या सर्दियों की संक्रांति के बाद दूसरी या महाशिवरात्रि से पहले वाली अमावस्या है।

 

Amavasya: मौनी अमावस्या सर्दियों की संक्रांति के बाद दूसरी या महाशिवरात्रि से पहले वाली अमावस्या है। हिंदू धर्म शास्त्रों में अमावस्या की तिथि बहुत पवित्र मानी जाती है। साल भर में कुल 12 अमावस्या की तिथियां पड़ती हैं जो अमावस्या माघ के महीने में पड़ती है, उसे ही मौनी अमावस्या कहते हैं। मौनी अमावस्या आध्यात्मिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मौनी अमावस्या पर स्नान और दान किया जाता है, मानता है कि इस दिन स्नान और दान करने से काफी पुण्य मिलता है। तो चलिए थोड़े विस्तार से जानते हैं मौनी अमावस्या के बारे में।

 

मौनी अमावस्या में मौन रहने का है नियम

 

मौनी अमावस्या पर साधु संत मौन साधना करते हैं। मौनी अमावस्या पर मौन का बहुत महत्व माना जाता है। सिर्फ वाणी पर नहीं बल्कि मन भी मौन होता है मौन व्रत या साधना करने से तनावों से मुक्ति मिल जाती है, मन की शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है। ध्यान करने में आसानी होती है। मौन भगवान से जुड़ने में सहायता करता है। मौनी अमावस्या पर मौन साधना से मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है, इसलिए मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का एक खास महत्व होता है। आपको बता दें कि मौनी अमावस्या पितरों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है, इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से तीन पीढ़ी के पितृ मोक्ष प्राप्त करते हैं।

 

कब है मौनी अमावस्या ?

इस साल माघ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7:35 पर होगी, वही स्थिति का समापन 29 जनवरी को शाम 6:05 पर हो जाएगा। ऐसे में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और पूजन भी किया जाएगा। इस दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद ध्यान जरूर करना चाहिए और फिर पूरे दिन के लिए मौन रखना चाहिए तथा मौन रहकर जब तप करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि मौन साधना के बाद भगवान राम का नाम लेना सबसे उत्तम है।