क़ुतुब मीनार ईट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है।
इस मीनार का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। इसमें काफी खूबसूरती के साथ पवित्र कुरान के छंदों को उकेरा गया है।
कुतुब मीनार के अंदर करीब 379 सीढ़ियां बनाई गई हैं। यह सीढ़ियां इसकी ऊंचाई तक मौजूद हैं।
कुतुब मीनार के ऊपरी हिस्से में बिजली गिर गई थी जिस वजह से यह हिस्सा नष्ट हो गया था। इस मीनार को बाद में फिरोजशाह तुगलक ने दोबारा बनवाया।
पहले कुतुब मीनार के अंदर जाया जा सकता था। लेकिन 1981 में कुतुब मीनार में एक हादसा घटित हुआ जिसमें 45 लोगों की जान चली गई, तब से इसमें जाना प्रतिबंधित है।
क़ुतुब मीनार के परिसर में मौजूद लौह स्तंभ 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। इतना पुराना होने के बावजूद इसमें अभी तक जंग नहीं लगी है।
क़ुतुब मीनार के करीब कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद मौजूद है। कहा जाता है कि यह भारत में बनी पहली मस्जिद है।
अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार जैसी ही एक इमारत बनवाई थी। लेकिन इस इमारत का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद रुक गया।
कुतुबमीनार चारों तरफ से ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है। यह सारी इमारतें कुतुब कांपलेक्स के अंतर्गत आती हैं।