महंगाई का अटैक! अब जेब ढीली कर लें चंडीगढ़ के लोग, प्रशासन ने यह रोज-मर्रा की चीज कर दी महंगी
Water rates increased in Chandigarh
चंडीगढ़(साजन शर्मा) : चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी स्टेकहोल्डरों से बात करके व नगर निगम के हितों का ध्यान रखते हुए पानी के रेट बढ़ा दिए हैं। 11 सितंबर 2020 को जो नोटीफिकेशन प्रशासन की ओर से जारी किया गया था उससे कम रेट किये जाने की बात कही जा रही है।
चार स्लैब में किया गया है पानी के रेटों को विभाजित....
प्रशासन ने रेटों को चार स्लैब में बांटा है। पहली स्लैब में शून्य से 15 किलोलीटर पानी का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को 3 रुपये प्रति किलोलीटर के हिसाब से पानी मिलेगा। दूसरी स्लैब में 16 से 30 किलोलीटर पानी का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को 6 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से जेब ढ़ीली करनी होगी। इसी तरह 31 किलोलीटर से 60 किलोलीटर तक के उपभोक्ताओं को 10 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से जबकि इसके ऊपर पानी का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पैसा देना पड़ेगा।
वर्ष 2014 से नहीं बढ़ाये गए थे पानी के रेट.....
प्रशासन की ओर से कहा गया है कि 24 मई 2014 से उन्होंने पानी के रेट नहीं बढ़ाये थे जिसके चलते अब वृद्धि करना लाजिमी हो गया था। वॉटर सप्लाई करने की लागत में इस दौरान जबरदस्त इजाफा हुआ है। एडीशनल इनफ्रास्ट्रक्चर पर भी बड़ी राशि खर्च हुई है। नगर निगम को इसके चलते काफी घाटा झेलना पड़ रहा था।
प्रशासन का दावा, रेट बढ़ाने के बाद भी रहेगा 80 करोड़ रुपये का घाटा...
प्रशासन ने कहा है कि इतने रेट बढ़ाने के बाद भी अभी वॉटर सप्लाई व सीवरेज सेक्टर में नगर निगम को 80 करोड़ रुपये का घाटा झेलना पड़ेगा। प्रशासन ने कहा है कि उन्होंने पानी के रेट बढ़ाने के दौरान गरीब व मिडल क्लास के तबके का पूरा ध्यान रखा है। उच्च स्लैब में रेट ज्यादा इसलिए रखे गये हैं ताकि पानी का कम से कम दुरुपयोग हो। किसी भी तरह की वायलेशन रोकने के लिए सभी कदम उठाये गए हैं।
1 अप्रैल 2022 से पानी के नये रेट लागू होंगे....
प्रशासन ने कहा है कि नगर निगम फिलहाल रोज 10 घंटे पानी की सप्लाई कर रहा है। आगामी कुछ समय के भीतर 24 घंटे शहर के निवासियों को पानी सप्लाई की योजना है। प्रशासन ने 30 मार्च यानि बुधवार को इस संबंध में नई नोटीफिकेशन जारी कर दी है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि कोविड पीरियड के दौरान लोगों को राहत देने के लिहाज से व नगर निगम हाऊस के फैसले के अनुरूप 31 मार्च 2022 तक पानी के रेटों में 25 मई 2021 से कोई इजाफा नहीं किया गया। प्रशासक ने अब पंजाब म्यूनिसिपल कारपोरेशन एक्ट के तहत 25 मई 2021 के आदेश को वापिस ले लिया है। 1 अप्रैल 2022 से पानी के यह नये रेट लागू होंगे।
मोहाली व पंचकूला से पानी के कम रेट होने का दावा....
प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि पहली दो स्लैब में जो रेट हैं, उसकी अगर पंजाब व हरियाणा से तुलना की जाए तो काफी कम है। पंजाब व हरियाणा में शून्य से 15 किलोलीटर तक की स्लैब में चंडीगढ़ प्रशासन ने रेट 3 रुपये प्रति किलोलीटर जबकि दूसरी स्लैब यानि 16 से 30 किलोलीटर में इसे 6 रुपये प्रति किलोलीटर रखा है। पंजाब के मोहाली में शून्य से 20 किलोलीटर तक की स्लैब में रेट 5 रुपये प्रति किलोलीटर है जबकि 20 किलोलीटर से अधिक की स्लैब में यह 10 रुपये प्रति किलोलीटर तय की गई है। इसी तरह पंचकूला में शून्य से 10 किलोलीटर की स्लैब में 2.50 रुपये प्रति किलोलीटर जबकि 11 से 20 किलोलीटर की स्लैब में 5 रुपये प्रति किलोलीटर रेट तय किया गया है। 21 से 30 किलोलीटर की स्लैब में पंचकूला में 8 रुपये प्रति किलोलीटर का रेट तय है।
दिल्ली के रेटों से भी की गई तुलना....
केवल मोहाली व पंचकूला का ही नहीं बल्कि रेटों में दिल्ली के पानी के रेट की भी तुलना की गई है। प्रशासन ने कहा है कि चंडीगढ़ में उच्च कैटेगरी में जो वॉटर टैरिफ रेट हैं वह दिल्ली की तुलना में काफी कम हैं। दिल्ली के रेट 10 रुपये प्रति किलोलीटर, 20 रुपये प्रति किलोलीटर व 43.93 रुपये प्रति किलोलीटर हैं। चंडीगढ़ में सीवरेज सैस वॉटर चार्जिस का 30 प्रतिशत रखा गया है जो दिल्ली से काफी कम है। दिल्ली में यह 60 प्रतिशत तक है। यहां बता दें कि दिल्ली में चूंकि आम आदमी पार्टी की सरकार है लिहाजा वहां दावा किया जाता है कि लोगों को मुफ्त पानी दिया जाता है। प्रशासन ने इसलिए दिल्ली के रेट भी यहां दिये हैं। चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी के 14 प्रत्याशियों ने सभी अपेक्षाओं के विपरीत जीत दर्ज की थी। यही वजह है की फैसले में व रेटों की तुलना करने में कहीं न कहीं राजनीति की गंध भी आ रही है।
लोगों से हुआ धोखा....
जनता की ओर से प्रशासन के फैसले का कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के प्रधान आरके गर्ग का कहना है कि लोगों के साथ धोखा हुआ है। चुनाव के समय किये गए वादे गर्त में चले गए। जनता की सुनने वाला कोई नहीं है। अफसरशाही पर किसी का कंट्रोल नहीं है इसलिए पूरी तरह मनमर्जी चल रही है। सत्ता पक्ष रीढ़ विहीन और विपक्ष बिलकुल असहाय है।