प्रेमानंद महाराज हुए AI का शिकार; आश्रम की ओर से जारी की गई यह एडवाइजरी, लोगों को किया गया सावधान, देखिए क्या है मामला?

Vrindavan ke Premanand Maharaj AI ka Shikar Hue Advisory Radha Keli Kunj
Premanand Maharaj AI Video: आज इंटरनेट की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि AI से खतरा पैदा हो रहा है। AI के जरिए आज कुछ भी किया जा रहा है। किसी भी तरह के फर्जी काम के लिए शरारती तत्व इसके गलत इस्तेमाल से लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। किसी वीडियो-फोटो में किसी का चेहरा कहीं फिट कर दिया जा रहा है तो वहीं किसी की आवाज कहीं लगाई जा रही है। यही नहीं उस आवाज में शब्द भी अपने मुताबिक बदलकर फिट कर दिए जा रहे हैं। देखने में आ रहा है कि, लोग लगातार AI का शिकार हो रहे हैं।
वहीं अब वृंदावन धाम के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज भी AI से नहीं बच पाये हैं। प्रेमानंद महाराज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का शिकार हुए हैं। दरअसल, शरारती तत्व AI के गलत इस्तेमाल से प्रेमानंद महाराज के वीडियो जारी कर रहे हैं। इन वीडियो में प्रेमानंद महाराज की आवाज में अपने मन-मुताबिक बोल बुलवाए जा रहे हैं। शरारती तत्व AI के माध्यम से प्रेमानंद महाराज की आवाज की नकल करके अपने प्रचार-प्रसार के वीडियो भी बना रहे है।
सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं। जिनमें वह कहीं किसी और भाषा में बोलते दिख रहे हैं तो कहीं कुछ और तरह से बोलते हुए। फिलहाल, अब इस संबंध में श्री हित राधा केलि कुंज परिकर की तरफ से आधिकारिक तौर पर एडवाइजरी जारी की गई है। आश्रम प्रबंधन ने ऐसा न करने की अपील की है, साथ ही लोगों से कहा गया है कि वह ऐसे किसी वीडियो का समर्थन न करें और न ही आगे शेयर करें।
जारी एडवाइजरी कहा गया है- ''आप सभी को सूचित व सावधान करना है कि वर्तमान में कई लोग पूज्य गुरुदेव श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की वाणी व उपदेशों को Artificial Intelligence (AI) के माध्यम से अन्य भाषाओं में परिवर्तित करके या मनमाने ढंग से प्रस्तुत कर Social Media Platforms पर डाल रहे हैं, जो कि बिल्कुल ही मर्यादा व कानून के खिलाफ है। अतः आप सभी से प्रार्थना व निवेदन है कि पूज्य महाराज जी की वाणी की गरिमा उनकी मूलभूत भाषा शैली में ही बनी रहे इसलिए कोई भी AI का प्रयोग कर ऐसी Videos ना बनाएं, ना समर्थन करें, या ना ही कहीं Share करें।''
रात में सबको दर्शन देते प्रेमानंद जी महाराज
प्रेमानंद महाराज का आश्रम वैसे श्री हित राधा केलि कुंज है। जहां वह एक निर्धारित समय के लिए विराजमान रहते हैं। श्री हित राधा केलि कुंज में राधा कीर्तन, सत्संग और वार्तालाप में शामिल होकर प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन किए जा सकते हैं। लेकिन वहां दर्शन के लिए सबका नंबर नहीं आ पाता। इसलिए प्रेमानंद महाराज स्वास्थ्य समस्या के बावजूद रोज रात्रि 2 बजे अपने एक अन्य आश्रम से निकलकर परिकर्मा मार्ग पर पैदल चलते हैं। जिससे सार्वजनिक रूप से बड़ी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकें।
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प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ लगती
प्रेमानंद महाराज वृन्दावन में जब परिकर्मा मार्ग पर पैदल निकलते हैं तो इस पदयात्रा में हजारों भक्त उनके दर्शन करते हैं। उनके दर्शन को लालायित श्रद्धालु सड़क के दोनों छोरों पर बड़ी संख्या में खड़े रहते हैं। लगभग दो-तीन किलोमीटर की लंबी लाइन लगी होती है। इस दौरान महाराज जी के दर्शन सबको हो पाते हैं। इस दौरान प्रेमानंद जी महाराज रुक-रुककर कुछ श्रद्धालुओं से बात भी कर लेते हैं। लेकिन प्रेमानंद महाराज के दर्शन को लेकर बढ़ती भारी भीड़ में कोई हादसा न हो जाये। इसे देखते हुए अब उनकी पदयात्रा बंद कर दी गई है।
प्रेमानंद जी महाराज की दोनो किडनी खराब
राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद जी महाराज के बारे में लोग ताज्जुब खाते हैं। बीते 17-18 सालों से महाराज जी की दोनो किडनी खराब हैं। लेकिन फिर भी महाराज जी के जीवंत और अद्भुत स्वरूप को देखा जा सकता है। दोनो किडनी खराब होने के बाद भी उनके चेहरे का तेज देखते ही बनता है। आज घर-घर प्रेमानंद जी महाराज को सुना जा रहा है और उनके बारे में चर्चा की जा रही है। लोग यह कहने पर मजबूर हैं कि आज के समय में अगर कोई असली संत है तो वह प्रेमानंद जी महाराज हैं।
प्रेमानंद महाराज सीधी और स्पष्ट बात बोलते हैं। चाहें भले ही वह लोगों को कड़वी लगे। महाराज जी के प्रवचनों ने आज पूरे देश और दुनिया में एक नई लहर सी ला दी है। क्या युवा और क्या बड़े सब प्रेमानंद जी महाराज को सुनना चाह रहे हैं, उनके दर्शन करना चाह रहे हैं। प्रेमानंद जी महाराज के मुखमंडल से निकला एक-एक शब्द लोगों को आकर्षित कर रहा है और उनमें अच्छे बदलाव की भावना को जाग्रत कर रहा है।
प्रेमानंद महाराज का पूरा नाम क्या?
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का पूरा नाम प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज है। उनका जन्म कानपुर के एक गांव में हुआ था। प्रेमानंद महाराज 13 साल की उम्र में ही रात 3 बजे घर से संन्यास के रास्ते में चलने के लिए भाग आए थे। उस समय वह कक्षा 9 में पढ़ते थे। इसके बाद वह कभी घर नहीं लौटें और अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया। उन्होंने शुरुवात में संन्यास के कई साल भगवान शिव में लीन होकर काशी में बिताए। इसके बाद वह वृंदावन आ गए और राधारानी के परम भक्त हो गए।