Visit The Beautiful Lotus Temple Of India
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Lotus Temple : इन गर्मियों की छुटियों में दिल्ली के इस मशहूर लोटस टेंपल में जरूर विजिट करें, देखें तस्वीरें 

Visit The Beautiful Lotus Temple Of India

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Lotus Temple : भारत की राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए यूं तो बहुत सी जगहें हैं, लेकिन दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है यहां का लोटस टेंपल (कमल मंदिर)। दिल्ली के नेहरू नगर में बहापुर गांव में स्थित लोटस टेंपल एक बहाई उपासना मंदिर, जहां न कोई भगवान की मूर्ति है और न ही किसी तरह की भगवान की पूजा अराधना की जाती है, यहां लोग आते हैं तो बस मन की शांति पाने। इस मंदिर का आकार कमल के समान होने से इसे लोटस टेंपल नाम दिया गया है। कई जगह इसे 20वीं शताब्दी के ताजमहल के रूप में भी पहचाना जाता है। लोटस टेंपल ने कई वास्तुकार पुरस्कार जीते हैं और इसे कई अखबारों और लेखों में भी चित्रित किया गया है।

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बहाई मंदिर भी कहते हैं इसे
इस मंदिर का निर्माण बहा उल्‍लाह ने करवाया था, जो बहाई धर्म के संस्‍थापक थे। इसलिए इस मंदिर को बहाई मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की सुंदरता टूरिस्टों को मंत्रमुग्ध कर देती है। इस मंदिर का निर्माण 1 करोड़ डॉलर की लागत में हुआ था। मंदिर आधे खिले कमल की आ‍कृति में संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बनाया गया है। इस मंदिर का परिसर इतना बड़ा है कि इसमें एक बार में ही 2000 से ज्यादा लोग एकसाथ बैठकर ध्यान और प्रार्थना कर सकते हैं।

मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति
दिल्ली के प्रसिद्ध लोटस टेंपल में कोई मूर्ति नहीं है। यहां लोग ध्यान लगाते हैं और इस मंदिर की सैर करते हैं। इस मंदिर में जाकर टूरिस्टों को शांति और सुकून का अनुभव होता है। इस मंदिर में कोई मूर्ति इसलिए नहीं है क्योंकि बहाई समुदाय मूर्ति पूजा नहीं करता है। इसलिए इस मंदिर को बिना मूर्ति के कमल के आकार का बनाया गया है क्योंकि हिंदू, ईसाई, जैन और अन्य सभी धर्मों में कमल के प्रतिक समान अर्थ है। इस मंदिर में आप तस्वीरें नहीं खिंच सकते हैं। अगर आपने भी अभी तक इस मंदिर को नहीं देखा है, तो आप यहां की सैर कर सकते हैं। यह मंदिर दिल्ली ही नहीं, बल्कि देशभर के टूरिस्टों के बीच खासा पॉपुलर है।

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लोटस टेंपल का इतिहास
दिल्ली में लोटस टेंपल एक ईरानी वास्तुकार फरीबोरज सहाबा द्वारा बनाया गया था। उन्होंने इस शानदार कृति के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं, जिसमें ग्लोबल आर्ट अकेडमी, इंस्टीट्यूशन ऑफ स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स के अलावा अन्य पुरस्कार भी शामिल हैं। इसका निर्माण बहा उल्लाह ने कराया था, जो बहाई धर्म के संस्थापक थे और कनाडा में रहते थे। यही वजह है कि लोटस टेंपल को बहाई मंदिर भी कहा जाता है। लोटस टेंपल को डिजाइन करने के लिए 1976 में उनसे संपर्क किया गया था, तब लोटस टेंपल के निर्माण में कुल 1 करोड़ डॉलर की लागत आई थी। लोटस टेंपल की भूमि को खरीदने के लिए आवश्यक धनराशि का बड़ा हिस्सा हैदराबाद, सिंध के अरदिशिर रूस्तमपुर द्वारा दान में दिया गया था। उस समय आवश्यक पौधों के प्रयोग के लिए ग्रीन हाउस बनाने के लिए मंदिर निर्माण निधि का एक हिस्सा बचाया गया था। लोटस टेंपल को “बहाई हाउस ऑफ वर्शिप” कहा जाता है, जिसका अर्थ है यह एक मंदिर है जो बहाई धर्म का पालन करता है। बहाई मानव जाति की आध्यात्मिक एकता के सिद्धांत पर 19वीं सदी में बहा उल्लाह द्वारा स्थापित एक फारसी धर्म है। मूल रूप से यह धर्म सभी धर्मों की एकता पर विश्वास करता है। यही वजह है कि इस मंदिर में सभी धर्म के लोग प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन यहां पर किसी तरह का म्यूजिक बजाने और मूर्ति पूजा करने की अनुमति नहीं है।

दिल्ली के लोटस टेंपल खुलने और बंद होने का समय 
लोटस टेंपल पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुलता है। जबकि सर्दियों में सुबह 9:30 बजे खुलकर शाम को 5:30 बजे बंद भी हो जाता है। अगर आप लोटस टेंपल जाएं तो मंगलवार से रविवार के बीच ही जाएं, क्योंकि सोमवार को लोटस टेंपल बंद रहता है। मंदिर में हर दिन नियमित अंतराल पर 15 मिनट के प्रार्थना सत्र आयोजित होते हैं। यहां एंट्री के लिए कोई फीस नहीं है और न ही गाड़ी के पार्क करने पर कोई शुल्क लिया जाता है।

Lotus Temple: an Iconic Symbol of Modern Indian Architecture - Places To  See In Your Lifetime

लोटस टेंपल कैसे जाए 
नई दिल्ली स्थित लोटस टेंपल जाने के लिए पहले आपको नई दिल्ली या हजरत निजामुद्दीन स्टेशन जाना होगा। इसके बाद आप चाहें तो नेहरू प्लेस से कालकाजी स्टेशन पहुंच जाइए या फिर नई दिल्ली से आप मेट्रो लेकर लोटस टैंपल पहुंच सकते हैं। इसके लिए आपको कालकाजी मंदिर की वायलेट लाईन मेट्रो लेनी होगी। मेट्रो से कालकाजी स्टेशन पहुंचने के बाद आप किसी भी सार्वजनिक साधन से पांच मिनट में लोटस टेंपल पहुंच सकते हैं।

Travel Information, History, Story and Images of Lotus Temple, Delhi,  Delhi, India

कमल मंदिर दिल्ली के रोचक तथ्य 
1.
जैसा कि हमने पहले बताया है कि लोटस टेंपल में किसी देवता या भगवान की मूर्ति नहीं है, इसलिए यहां पर किसी एक धर्म को मानने वाले लोगों की एंट्री नहीं होती।
2. लोटस टेंपल के अंदर कोई अनुष्ठान समारोह नहीं किया जा सकता।
3. लोटस टेंपल के अंदर बैठकर कोई धर्मोपदेश नहीं दे सकता। हालांकि आप यहां बैठकर बहाई या अन्य भाषा में ग्रंथों का जाप या पाठ कर सकते हैं।
4. लोटस टेंपल के भीतर किसी तरह के वाद्य यंत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
5. जो लोग बहाय समुदाय जीवन से प्रेरित हैं, उनके लिए बहाई मंदिर में कई तरह की एक्टिविटीज आयोजित की जाती हैं जैसे चिल्ड्रन क्लासेस, जूनियर यूथ क्लासेस, डिवोश्नल मीटिंग और स्टडी सर्कल ।
6. यहां अगर आप फोटो लेना चाहते हैं तो ऑथेरिटी की परमिशन लेना जरूरी है।