IIT बाबा की मानसिक स्थिति अन-बैलेंस हो रही; इंटेलिजेंस लेवल बहुत हाई, कंट्रोल करने की योग्यता नहीं, खुद को शिव-स्वयंभू मान रहे
Viral IIT Baba Mental Situation Intelligence Level MahaKumbh 2025 Prayagraj
IIT Baba Viral: महाकुंभ 2025 में पहुंचे अनेक साधु-संतों की चर्चा है। मगर सबसे ज्यादा चर्चा में हैं आईआईटी बाबा उर्फ अभय सिंह। मीडिया में सुर्खियों में बने और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल IIT बाबा ने वीरवार रात अचानक से महाकुंभ में जूना अखाड़ा का शिविर छोड़ दिया और अज्ञात जगह पर चले गए। जिसके बाद IIT बाबा को लेकर हलचल और ज्यादा तेज हो गई।
वहीं अब IIT बाबा के जाने को लेकर जूना अखाड़ा के ही तरफ से विस्तार से सारी जानकारी दी गई है। जिससे यह पता चलता है कि, IIT बाबा की मानसिक स्थिति अन-बैलेंस हो रही थी। जिसके चलते उन्हें महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज के पास भी ले जाया गया। जिसके बाद उन्होंने जूना अखाड़ा का शिविर छोड़ दिया। पता चलता है कि, IIT बाबा किसी को गुरु नहीं मानते और खुद को शिव-स्वयंभू मान रहे हैं। वह अहंकार में आ गए हैं।
आईआईटी बाबा अभय सिंह के महाकुंभ से जाने और जूना अखाड़ा छोड़ने पर उनके गुरु सोमेश्वर पुरी ने कहा कि विज्ञान और आध्यात्मिक दोनों तौर पर उनका इंटेलिजेंस लेवल बहुत हाई हो गया है। जिस पर वह कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। उनमें इसे कंट्रोल करने की क्षमता और योग्यता नहीं आई है। जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ रहा था। जहां महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने भी सहमति जताई कि उन्हें फिलहाल महाकुंभ के अखाड़े से बाहर भेजा जाए।
सोमेश्वर पुरी ही काशी से IIT बाबा को महाकुंभ लाए
सोमेश्वर पुरी जी महाराज ने बताया कि, आईआईटी बाबा को वह काशी से प्रयागराज लेकर आए थे। सोमेश्वर पुरी के अनुसार, आईआईटी बाबा उन्हें काशी में मिले। उन्हें लगा कि, उनमें अध्यात्म के प्रति बहुत जिज्ञासा है। जिसके चलते उन्होंने आईआईटी बाबा को अपने साथ रख लिया और इसके बाद उन्हें कुंभ में ले आए। जहां वे बड़े-बड़े महापुरुषों और गुरुओं के दर्शन कर सकें। आईआईटी बाबा के महाकुंभ छोड़ने पर जब सोमेश्वर पुरी से पूछा गया कि, वह अचानक क्यों चले गए और कहां चले गए। क्या हुआ उनके साथ?
इस पर सोमेश्वर पुरी ने कहा कि, मैं उनसे लगभग 40 दिनों पहले काशी के घाटों पर मिला था। मुझे लगा कि, आईटीटी बाबा वास्ताव में अध्यात्म की तलाश में हैं और इसके प्रति जिज्ञासा रखते हैं। इसके बाद उन्होंने मुझसे महाकुंभ में आने की इच्छा जताई। जिसके बाद मैं उन्हें यहां ले आया; ताकि उन्हें अलग-अलग विद्वान गुरुओं और आचार्यों के दर्शन हो सकें।
सोमेश्वर पुरी ने कहा कि, आईटीटी बाबा का इंटेलिजेंस लेवल बहुत-बहुत हाई है। उसकी चेतना काफी जाग्रत है। लेकिन उनमें इसे बैलेंस करने संभलने की अभी योग्यता नहीं है। वह इसे कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि उन्हें गुरु का सपोर्ट नहीं है। आईआईटी बाबा का कहना है कि, उनका कोई गुरु नहीं है और वह ज़िंदगी में किसी को गुरु नहीं बनाएँगे। क्योंकि मैं खुद का गुरु हूं। मैं अपनी चेतना को समझ सकता हूं। मैं शिव हूं।
सोमेश्वर पुरी ने कहा कि, आईआईटी बाबा अब जो बातें कर रहे हैं उन्हें लोग उन्हें पागल भी कह रहे हैं। लोग उन्हें अहंकारी भी कह रहें हैं। कोई कुछ न कुछ उन्हें कह रहा है। सोमेश्वर पुरी ने कहा कि, महाकुंभ आने के बाद उन्हें हमारे गुरु जी ने एक बच्चे के तरीके रखा। क्योंकि वो उनकी कंडीशन समझ गए। गुरु जी ने आईआईटी बाबा से कहा कि, सुनो, यहां एक महीना रहो, और जो भी करना है करो, इंटरव्यू भी दो। गुरु जी ने अपना कमरा भी उन्हें दिया। गुरु जी ने आईआईटी बाबा को बहुत प्यार दिया।
सोमेश्वर पुरी ने कहा कि, गुरु जी ने आईआईटी बाबा को आगे बढ़ाने का काम किया। गुरु जी की वजह से ही आईआईटी बाबा को फेम मिला। इसके बाद उन्होंने कह दिया कि अब जाओ भ्रमण करो तो लोग बोलने लगे गुरु जी ने भाग दिया। सोमेश्वर पुरी महाराज ने कहा कि, आईआईटी बाबा के साथ मेरे गुरु जी का आशीर्वाद हमेशा है और मैं भी लगभग 40 दिन उनका गुरु रहा हूं। क्योंकि मैंने उन्हें सिखाने का काम किया। मैं उनका टेम्परेरी गुरु था तो इसलिये जो भी है ठीक है। क्योंकि आपको जो भी कुछ सिखाता है वह आपका गुरु होता है।
सोमेश्वर पुरी महाराज ने बताया कि, आईआईटी बाबा को वीरवार शाम को जून अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के पास ले जाया गया था। जहां मैं भी गया था। वहां जाने के बाद वह अपने फिर वही उसी सुरूर में आ गए और वहां उन्होंने सुंदर डांस भी किया। उनके सुंदर डांस का वीडियो भी वायरल होगा। डांस देखकर भी लोग उन्हें बोलेंगे ये पागल हैं। लेकिन असल बात ये है कि, आईआईटी बाबा से खुद का ज्ञान कंट्रोल नहीं हो रहा है और बिना गुरु के संभव नहीं है।
मानसिक स्थित बैलेंस थी या नहीं?
वहीं जूना अखाड़े के श्याम सुंदर महाराज ने बताया कि, जब पहले आईआईटी बाबा आए तो शुरुवात में बहुत अच्छा लगा। शुरुवात में मुझे उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसके बाद मैंने उनको देखा और समझा। मुझे लगा कि, उनमें कुछ तो बात है। महाकुंभ में आने के बाद वह दो दिन तो ठीक से रहे लेकिन इसके बाद उनका मानसिक बैलेंस बिगड़ने लगा और उल-जुलूल बोलने लगे। उन्होंने बहुत कुछ ऐसा भी कहा जो उन्हें नहीं बोलना चाहिए था।
काफी नशा लेने लग गए थे
श्याम सुंदर महाराज ने कहा कि, वो रिश्तों को कुछ नहीं मानते? जबकि रिश्ते तो होते हैं। आप उन्हें नकार नहीं सकते। रिश्तों का सम्मान करना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि, आप ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करिए लेकिन रेस्ट करने की जगह वो काफी नशे में आ गए। नशा लेने लग गए। वह नशा पर निर्भर हो चुके थे। जब वह अन-बैलेंस होने लगे और संभले नहीं तो उन्हें फिर जून अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के पास ले गए। उनके पास पहुंचने पर उन्होंने कहा कि, यहां बहुत लोग आते हैं, ये सही तरीके से पेश नहीं आ रहे हैं।
महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के पास जाने के बाद वह वहां से चले गए और रात में फिर से अखाड़े के शिविर में लौटे। वे अपना सामान लेने आए थे। श्याम सुंदर महाराज ने कहा कि, उनको अभिमान आ गया है कि, कि उन्हें बहुत लोग पूछ रहे हैं, बहुत लोग पहचान रहे हैं। उनका एट्टीट्यूड बहुत बढ़ गया था कि मैं कुछ भी कर सकता हूं। महाराज जी ने कहा कि, अगर वह अच्छे लोगों के बीच गए और उनकी स्थिति अच्छी रही तो हो सकता है वह कुछ भी कर जायें लेकिन अगर नशे में रहे तो फिर तो उनका नाश भी हो सकता है।
रात में उनके माता-पिता भी आए थे
श्याम सुंदर महाराज ने बताया रात में आईआईटी बाबा के माता-पिता भी आए थे। जब वह हमारे शिविर पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि, वह तो अपना सामान लेकर जा चुके हैं। इसके बाद वो भी रोते हुए यहां से निकल गए। श्याम सुंदर महाराज के अनुसार, रात 12 बजे के बाद उनके माता-पिता आये थे। उनको जानकारी हुई थी कि वो इधर हैं। माता-पिता ने कहा कि, वो बड़ा जिद्दी है, किसी की बात नहीं मानता है।
उनसे कहा गया- अपने साथ एक कंट्रोलर रखें
श्याम सुंदर महाराज ने बताया कि, उनसे कहा भी गया कि, वह अपने साथ एक कंट्रोलर रखें। उनके साथ कोई गार्जियन होना चाहिए। क्योंकि आप में पावर तो है लेकिन आप उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। श्याम सुंदर महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि, अगर गाड़ी में पावर हो और उसमें ड्राइवर न हो तो या तो गाड़ी टकरा जाएगी और खुद नष्ट हो जाएगी या फिर किसी को मार देगी। इसलिए कोई गुरु तो होना चाहिए। लेकिन वो अजीब बातें करते हैं।
IIT बाबा किसी को गुरु मानने को तैयार नहीं
श्याम सुंदर महाराज ने कहा कि, किसी को गुरु मानने को तैयार नहीं हैं। अपने आप को स्वयंभू मानने लगे थे। ऐसे कैसे हो सकता है। या तो आप ब्रह्म में लीन हो गए, कहीं कुछ है नहीं। तब तो ठीक है। लेकिन जब बहुस्यामी हैं और दिख रहे हैं तो फिर तो मानना पड़ेगा। सोमेश्वर पुरी महाराज को कुछ समय तक के लिए गुरु माना। लेकिन जब भीड़ लगने लगी तो खुद को ही गुरु मानने लगे। जिससे वह फेल हो गए। अब उनके ऊपर भगवान कृपा करें, हमारे गुरु जी ने उनके ऊपर काफी दया की, रहम किया। अपना सानिध्य दिया।
IIT बाबा ने श्मशान घाट में हड्डियां खाईं
आईआईटी बाबा उर्फ अभय सिंह बताते हैं कि, उन्होंने अघोर साधना भी की है। इस दौरान उन्होंने श्मशान घाट में हड्डियां भी खाईं। वह कई-कई दिनों श्मशान घाट पर रहे हैं। अघोरियों के बीच रहे हैं। IIT बाबा हर जगह शिव के व्याप्त होने की बात कहते हैं। यहां तक कि वह, खुद को शिव-स्वयंभू मान रहे हैं। इसके अलावा वह खुद को कल्कि भी कहते हैं। IIT बाबा का नाम मसानी गोरख भी है।
परिवार के नाम से नफरत करते हैं IIT बाबा
IIT बाबा अपने परिवार के लोगों की बात करने पर भड़क जाते हैं और अपने पिता के विनाश करने की बात करते हैं। IIT बाबा कहते हैं कि सब रिश्ते झूठ और नौटंकी होते हैं। मेरे परिवार वाले मुझे पागल समझते थे और मेरा मजाक बनाते थे। मैं डिप्रेशन में आ गया था। बहुत कुछ हुआ मेरा साथ ज़िंदगी में। IIT बाबा ने कहा कि, मेरे परिवार वाले मेरे बारे में जो भी कह रहे हैं वो बकवास कर रहे हैं।
IIT बाबा ने कहा कि, मुझे शैतान के रूप में मां-बाप मिले। जो अपने ही बच्चे को खाने पर उतारू थे मेरा घर टॉर्चर चैंबर था। मैंने चौथी-पाँचवीं क्लास में फ़िनायल पी ली थी। मुझे घर से दूर निकलना था इसलिए आईआईटी मुंबई गया। अब कर्म के हिसाब से सबका फैसला होगा। अब मैं ग्रहस्थ जीवन में कभी नहीं लौटूँगा। महादेव के रास्ते पर चलकर मुक्ति पाउंगा। IIT बाबा यह भी कहनते हैं कि, मैं साधु-संत नहीं हूं। मैं मलंग हूं।
IIT बाबा ने कनाडा में 36 लाख पैकेज वाली नौकरी छोड़ी
IIT बाबा ने आईआईटी मुंबई से पासआउट होने के बाद कनाडा में 36 लाख पैकेज वाली नौकरी की। लेकिन कनाडा में 36 लाख पैकेज वाली नौकरी छोड़कर वह संन्यासी बन गए। वहां से लगभग एक साल बाद वह भारत आ गए। इसके बाद दिल्ली में रहे। IIT बाबा की संन्यासी यात्रा साल 2019 के आसपास धर्मशाला से शुरू हुई। इसके बाद वह कभी घर नहीं लौटे। कनाडा में आईआईटी बाबा की बहन का भी घर है। वह अपने घर के इकलौते चिराग हैं।