Vastu defects are removed by setting up the Ghat during Navratri

नवरात्र में घट स्थापना से दूर होता है वास्तु दोष, देखें क्या है खास

Navratar

Vastu defects are removed by setting up the Ghat during Navratri

आदिशक्ति के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर से शुरू हो रही हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना करने व जवारे बोने का विशेष महत्व होता है। वास्तु के अनुसार, नवरात्र के पहले दिन सही दिशा में कलश स्थापित करने से लोगों के घरों से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। मंदिरों व घरों में घटस्थापना व जवारे बोने के साथ नवरात्र उत्सव शुरू हो जाएगा।

जवारे इस बात का भी संकेत देते हैं कि वर्ष कैसा बीतेगा। अगर जवारे हरे रहते हैं, ऐसा माना जाता है कि आदिशक्ति ने आराधना से प्रसन्न होकर वर्षभर सुख-समृद्धि का संकेत दिया है। नवरात्र में कलश स्थापना और मिट्टी के बर्तन में जौ (जवारे) बोने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

घट स्थापना कैसे करें, शुभ मुहूर्त
3 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह सवा छह बजे से लेकर सुबह सात बजकर दो मिनट तक है। दूसरा मुहूर्त दोपहर में 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर साढ़े 12 बजे तक है।

कलश स्थापना का स्थान पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। कलश स्थापना के समय घड़े में चावल, गेहूं, जौ, मूंग, चना, सिक्के, कुछ पत्ते, गंगाजल, कुमकुम, रोली डालें और उसके ऊपर नारियल रखें।

घड़े के मुंह पर मौली बांधें और कुमकुम से तिलक लगाएं और घड़े को एक चौकी पर स्थापित करें। कलश को रोली और चावल से अष्टदल कमल बनाकर सजाएं। देवी मां के मंत्रों का जाप करें।

शारदीय नवरात्रि का महत्व 
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र की अवधि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दौरान ऋतु में भी परिवर्तन आता है और शरद ऋतु प्रारंभ हो जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। इस अवधि को माता रानी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो भी साधक पूरे विधि-विधान से नवरात्र के व्रत और पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी दुख-संताप दूर होते हैं। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

इंद्र योग में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ
इस साल शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हो रहा है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर को इंद्र योग प्रात:काल से लेकर अगले दिन 4 अक्टूबर को प्रात: 4 बजकर 24 मिनट तक है। उसके बाद से वैधृति योग है. वहीं हस्त नक्षत्र भी प्रतिपदा के दिन प्रात:काल से लेकर दोपहर 3 बजकर 32 मिनट तक है. उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है, जो पूर्ण रात्रि तक है।

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