लेखानुदान पारित होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

लेखानुदान पारित होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

लेखानुदान पारित होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

लेखानुदान पारित होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

देहरादून : विधानसभा के दूसरे व अंतिम दिन बुधवार को सदन ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के शुरुआती चार महीनों के लिए 21,116.81 करोड़ का लेखानुदान को स्वीकृति दी। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों की अनुपस्थिति में सदन ने उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2022 पारित कर दिया। इसके बाद विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

नए वित्तीय वर्ष 2022-23 के शुरुआती चार महीनों यानी जुलाई महीने तक राज्य के खर्चों की पूर्ति के लिए सरकार ने बीते रोज विधानसभा के पटल पर लेखानुदान प्रस्तुत किया था। सालाना बजट के इस एक तिहाई हिस्से से सरकार को नए वित्तीय वर्ष में वेतन-भत्तों, पेंशन और आवश्यक विकास कार्यों के लिए वित्तीय संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। लेखानुदान में राजस्व व्यय में 16,007.63 करोड़ और पूंजीगत व्यय के अंतर्गत 5109.18 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

बुधवार शाम सदन में लेखानुदान को चर्चा एवं मतदान के बाद पारित किया गया। विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि लेखानुदान के अंतर्गत 30 अनुदान मांगों के लिए वित्तीय व्यवस्था की गई। केंद्रपोषित योजनाओं के मद में 3715 करोड़, बाह्य सहायतित परियोजनाओं के मद में 593 करोड़, नाबार्ड सहायतित योजनाओं के लिए 270 करोड़ की राशि रखी गई है। राज्यपोषित योजनाओं के लिए लेखानुदान में 16,539 करोड़ की राशि की व्यवस्था की गई है।

वेतन-भत्तों के लिए 5796 करोड़

वचनबद्ध व्यय में वेतन और भत्तों के अंतर्गत 5796 करोड़, पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ पर 2229 करोड़ की राशि खर्च होगी। ब्याज भुगतान को 2256 करोड़, ऋण अदायगी को 1563 करोड़ और स्थानीय निकायों के हस्तांतरण को 460 करोड़ की राशि तय की गई है।

लेखानुदान की अवधि में विभागवार जारी धनराशि: (धनराशि-करोड़ रुपये)

विभाग- धनराशि

वित्त, कर, नियोजन- 3840.76

शिक्षा, खेल व युवा कल्याण- 3442.38

चिकित्सा एवं परिवार कल्याण- 1126.13

जलापूर्ति, आवास व नगर विकास- 938.90

कल्याण योजनाएं- 801.25

ग्राम्य विकास- 890.21

लोक निर्माण- 798.25

पुलिस एवं जेल- 797.41

राजस्व व सामान्य प्रशासन- 704.09

अनुसूचित जाति कल्याण- 649.70

सिंचाई व बाढ़- 455.72

वन- 428.20

कृषि कर्म व अनुसंधान- 382.47

खाद्य- 244.33

श्रम व रोजगार- 222.97

औद्यानिक विकास- 183.59

अनुसूचित जनजाति कल्याण- 187.57

ऊर्जा- 169.24

पशुपालन- 157.15

उद्योग- 148.42

सहकारिता- 68.68

मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को कदम उठाए सरकार

राजपुर रोड क्षेत्र से विधायक खजानदास ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण के लिए अविलंब कदम उठाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने बुधवार को विधानसभा सत्र के अंतिम दिन नियम-300 के अंतर्गत दी गई सूचना के माध्यम से सदन में यह विषय रखा।

विधायक खजानदास ने कहा कि मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की मांग लंबे समय से उठ रही है। सरकार ने 17 अक्टूबर 2018 को मलिन बस्तियों के नियमितीकरण के लिए तीन वर्ष तक स्थायी समाधान निकालने की समय सीमा तय की थी। पिछले वर्ष इस सीमा को वर्ष 2024 तक बढ़ाया गया।

साथ ही सरकार अध्यादेश लेकर भी आई, जिससे इन बस्तियों के निवासियों में आस जगी। बस्तियों में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी सरकार ने उपलब्ध कराई हैं, लेकिन नियमितीकरण नहीं हो पाया है।

अस्पतालों में हो चिकित्सक की नियुक्ति

विधायक दुर्गेश्वरलाल ने पुरोला विधानसभा क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में महिला चिकित्सक न होने का मामला रखा। उन्होंने मांग की कि अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति के साथ ही ब्लड बैंक की स्थापना की जाए। नियम-300 की सूचना के अंतर्गत ही विधायक फकीर राम टम्टा ने गंगोलीहाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रेडियोलाजिस्ट की तैनाती के साथ ही अस्पताल में रिक्त चल रहे चिकित्सकों के छह पद भरने की मांग की।

विधायक प्रमोद नैनवाल ने रानीखेत-मोहंड मार्ग के सुधारीकरण, विधायक फुरकान अहमद ने पिरान कलियर में गंगनहर पर स्थित पुल की मरम्मत कराने, विधायक भुवन कापड़ी ने खटीमा के 245 राज्य निर्माण आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण करने, विधायक विक्रम नेगी ने डोबरा चांटी पुल से लंबगांव मार्ग को डबल लेन में बदलने संबंधी मांगे रखीं।

इसके अलावा विधायक सरिता आर्य, प्रीतम सिंह पंवार, सहदेव पुंडीर, सविता कपूर, शैलारानी, वीरेंद्र कुमार, राजकुमार पोरी, सरबत करीम अंसारी, राम सिंह कैड़ा समेत अन्य विधायकों ने भी अपने-अपने क्षेत्र के विभिन्न विषयों को लेकर नियम-300 के तहत सूचनाएं दीं।

धान मूल्य नहीं मिलने की जांच कराएगी सरकार

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि पिछले खरीफ सत्र में 99.5 प्रतिशत किसानों को धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। जिन किसानों को अभी तक भुगतान नहीं हुआ है, इसके बारे में सरकार परीक्षण कराएगी।

पूर्व मंत्री व ऊधमसिंहनगर जिले के बाजपुर क्षेत्र से विधायक यशपाल आर्य ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से किसानों की समस्याएं उठाईं। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर किसानों को पिछले खरीफ सत्र में धान मूल्य का भुगतान रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल से प्रारंभ हो रहे गेहूं खरीद सीजन को लेकर भी सरकार की पर्याप्त तैयारी नहीं है।

जसपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गेहूं खरीद के लिए बारदाने की व्यवस्था नहीं की गई है। कई क्षेत्रों में धान के भंडारण की व्यवस्था नहीं हो पाई। चावल के उठान में भी दिक्कतें हैं। इस कारण किसानों को धान मूल्य का भुगतान लटका है। विधायक गोपाल सिंह राणा ने कहा कि बिचौलियों की सक्रियता से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि गेहूं खरीद नीति जारी हो चुकी है। गेहूं खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जा चुका है। 241 खरीद केंद्रों के माध्यम से गेहूं खरीद की समयसारिणी तय की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर धान मूल्य बकाया नहीं है। मूल्य का भुगतान नहीं होने के मामले का सरकार परीक्षण कराएगी। गेहूं मूल्य के भुगतान के लिए कुमाऊं मंडल को 40 करोड़ और गढ़वाल मंडल के लिए 10 करोड़ की राशि जारी की गई है।

पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा गूंजा

अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी ने कार्य स्थगन के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली का मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में शामिल किया गया है। इससे उनकी परेशानी बढ़ गई है। जीपीएफ को समाप्त किया गया है।

उन्होंने कहा कि विधायकों को पेंशन दी जा रही है तो कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन लागू की जानी चाहिए। अन्य राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है। उत्तराखंड में भी सरकार को इसे लागू करना चाहिए। जवाब में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर्मचारी संगठनों की ओर से की जा रही है। संगठनों से प्राप्त ज्ञापनों को राज्य सरकार केंद्र सरकार को भेज चुकी है।