यशवंत वर्मा का विरोध तेज हुआ, इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया
Allahabad High Court Lawyers Declare Indefinite Strike
प्रयागराज। Allahabad High Court Lawyers Declare Indefinite Strike: हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद (एचसीबीए) ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पुन: इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रत्यर्पित करने संबंधी निर्णय के विरोध में मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है।
सोमवार शाम अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी तथा महासचिव विक्रांत पाण्डेय ने कार्यकारिणी की आपात बैठक के बाद यह जानकारी दी। पदाधिकारियों ने कहा, बदली परिस्थिति के कारण आज हुई आपातकालीन के मीटिंग में हुए निर्णय के क्रम में मंगलवार 25 मार्च से अग्रिम सूचना तक हम अधिवक्तागण न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
इससे पूर्व दोपहर को भोजनावकाश के बाद ऐतिहासिक लाइब्रेरी में हुई आमसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने के साथ-साथ ही उनके सरकारी आवास में कैश जलने के मामले की सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय के अलावा अन्य एजेंसियों से जांच कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।
यह भी मांग है कि न्यायमूर्ति के रूप में यशवंत वर्मा द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा की जानी चाहिए।
आग में 15 करोड़ रुपये कैश जलने का मामला
दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पूर्व में इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति रह चुके हैं। उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग में 15 करोड़ रुपये कैश जलने का मामला सामने आने के बाद उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जांच बैठा दी है।
तीन हाई कोर्ट के न्याय मूर्तियों का पैनल गठित किया है। इसके साथ ही सोमवार को कॉलेजियम की बैठक में फिर इस बात की संस्तुति की गई कि न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रत्यर्पित किया जाएगा।
इस निर्णय की जानकारी ने पिछले कुछ दिनों से उद्वेलित चल रहे अधिवक्ताओं की संस्था हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद (एचबीसीए) की नाराजगी और बढ़ा दी। आनन-फानन आपात बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी गई।
आमसभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार, बार एसोसिएशन का यह मानना है कि दोषी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। यह कहना उचित होगा कि इस घटना के बाद न्यायपालिका, विशेषकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय, उच्च नैतिक आधार का दावा करने में सक्षम नहीं हो सकते।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तरफ से 22 मार्च को आंतरिक जांच शुरू की तीन हाईकोर्टों के न्यायाधीशों के पैनल बनाए जाने पर एचसीबीए ने कहा, यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि न्यायाधीश अपने मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकते। हम केवल आशा और विश्वास कर सकते हैं कि यह इन-हाउस जांच न्यायमूर्ति वर्मा को बचाने के लिए कवर अप नहीं होगी।
कॉलेजियम निशाने पर
एचबीसीए ने कॉलेजियम को निशाने पर लिया है। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘दुनिया के किसी भी अन्य देश में न्यायाधीश, न्यायाधीशों का न्याय या न्यायाधीश न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते हैं। यह केवल भारत में कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से हो रहा है। कमजोर कार्यपालिका उसका पालन कर रही है।’
यह बात दोहराई गई है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट भ्रष्ट और दागी न्यायाधीशों का डंपिंग ग्राउंड नहीं है और इनका पूरी ताकत से विरोध किया जाएगा। सीजेआइ से न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने का आग्रह भी किया गया।
यह भी कहा गया है कि ‘प्रकरण मामूली अपराधी का नहीं है, बल्कि उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश का आचरण है, इसने देश को झकझोर दिया है और संविधान की कार्यक्षमता दांव पर है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का पद पर बने रहना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, इससे 'जनता का विश्वास' खत्म हो गया है, जो न्यायिक प्रणाली के पास उपलब्ध एकमात्र शक्ति है। अगर विश्वास खत्म हो गया, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।’
आम तौर पर न्यायाधीशों को आपराधिक अभियोजन से छूट केवल उनके पेशेवर क्षमता में किए गए कार्यों के लिए दी जाती है, चूंकि यह ऐसा प्रकरण नहीं है। इसलिए न्यायमूर्ति वर्मा को आपराधिक जांच से छूट नहीं दी जानी चाहिए। प्रस्ताव में न्यायमूर्ति वर्मा के सभी निर्णयों की समीक्षा तथा कॉलेजियम प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने का आह्वान किया गया है।