'अगर परेशानी का सबब बनता हो...', मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की
Petition on Loudspeaker in Mosque: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. पीलीभीत जिले के मुख्तियार अहमद की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने कहा कि धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए होते हैं और लाउडस्पीकर के उपयोग का अधिकार के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब लाउडस्पीकर अक्सर वहां रहने वालों के लिए बाधा खड़ी करते हैं.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने इस रिट याचिका की पोषणीयता पर यह कहते हुए आपत्ति व्यक्त की कि याचिकाकर्ता ना तो मस्जिद का मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) है और ना ही वह उस मस्जिद से जुड़ा है. राज्य सरकार के वकील की दलील में दम पाते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह रिट याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है.
लाउडस्पीकर बजाना मौलिक अधिकार नहीं
इससे पहले मई 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि अब कानून में यह प्रावधान हो गया है कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर बजाना मौलिक अधिकार नहीं है. इसलिए याची को राहत नहीं दी जा सकती है. इसी आधार पर इस मामले में भी अदालत ने याची को राहत देने से इंकार कर दिया था.
अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल
हालांकि गुजरात हाइकोर्ट ने नवंबर 2023 में कहा था कि मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने से नॉइज पॉल्यूशन नहीं होता है. साथ ही, इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया था.
लाउडस्पीकर की आवाज से नॉइज पॉल्यूशन
तब गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी माई की बेंच ने याचिका को पूरी तरह से गलत करार देते हुए कहा था, हम यह समझने में विफल हैं कि सुबह लाउडस्पीकर के जरिए अजान देने वाली मानवीय आवाज नॉइज पॉल्यूशन पैदा करने के स्तर तक कैसे पहुंच सकती है, जिससे आम लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा हो सकता है.