संभल के 'रहस्यलोक' की खुदाई जारी, सर्वे में कुआं और बावड़ी के साथ खुले ये अहम राज
Excavation of 'Rahasyalok' of Sambhal Continues
Excavation of 'Rahasyalok' of Sambhal Continues: किस्से कहानियों और इतिहास के पन्नों में दफन उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी संभल का इतिहास अब बाहर निकलकर फिर से जिंदा होने लगा है. इसी के साथ यह नगरी अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगी हैं. इन ऐतिहासिक विरासतों को सजाने और संवारने का जिम्मा स्थानीय प्रशासन ने लिया है. भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के संरक्षण में खंडहर हो चुके फिरोजपुर का किला, तोता मैना की कब्र, पृथ्वीराज चौहान की खंडहर हो चुकी बावड़ी को संरक्षित करने की दिशा में काम शुरू भी हो चुका है. इसी क्रम में बुधवार को जिले के DM और SP ने ASI टीम के साथ इन सभी धरोहरों का मुआयना किया.
माना जा रहा है कि संभल जल्द ही पर्यटन नगरी के तौर पर भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो जाएगा. बुधवार को अधिकारियों की इ टीम ने फिरोजपुर किला, क्षेमनाथ तीर्थ, तोता मैना की कब्र एवं राजपूत कालीन बाबड़ी का सर्वे एवं भ्रमण किया. इसके बाद अधिकारियों ने इन्हें सुरक्षित एवं संरक्षित करने का निर्देश दिया है. एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक संभल में पर्यटन की खूब संभावनाएं हैं. यहां कदम-कदम में इतिहास बसता है. बता दें कि बीते कुछ समय से संभल में खुदाई और सफाई का काम चल रहा है. इस दौरान आधा दर्जन से अधिक बंद मंदिर और दो दर्जन कुएं मिले हैं.
ज्यादा समय तक सत्य को छिपाया नहीं जा सकता: डीएम
इन सबको देखते हुए संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैसिया ने कहा कि अब संभल में कोई भी ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की चीज छिप नहीं सकती. जहां जहां प्राचीन स्थल मिलेंगे, उनका सौंदर्यीकरण होगा. उन्होंने कहा कि संभल में जो जहां था, खुदाई में वही निकल रहा है. सत्य को ज्यादा समय तक छिपाया नहीं जा सकता. फिलहाल संभल का इतिहास जमीन से बाहर निकल रहा है और प्रशासन इस इतिहास को संजोने का प्रयास कर रहा है. डीएम के मुताबिक संभल में 14 दिसंबर को 46 साल पुराना मंदिर मिला था. इसके बाद ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने बताया कि इसके बाद से ही संभल में 4 सदस्यीय एएसआई की टीम यहां सर्वे कर रही है.
इन स्थानों पर एएसआई ने किया सर्वे
ASI टीम ने अब तक संभल में 28 से अधिक स्थानों का सर्वे किया है. इसमें चतुर्मुख ब्रहम कूप, अमृत कूप, अशोक कूप, सप्तसागर कूप, बलि कूप, धर्म कूप, ऋषिकेश कूप, परासर कूप, अकर्ममोचन कूप, धरणि बाराह कूप, भद्रका आश्रम तीर्थ,स्वर्गदीप तीर्थ, चक्रपाणि तीर्थ के अलावा कल्कि विष्णु मंदिर, बावड़ी चंदौसी, फिरोजपुर का किला, झेम नाथ मंदिर, तोता मैना की कब्र और पृथ्वीराज की बावड़ी उर्फ चोरों का कुआं शामिल है.