100 करोड़ का साम्राज्य, दर्जनों मुकदमे, इलाके में खौफ...कौन है अनुराग दुबे जिसके केस में यूपी पुलिस को मिली 'सुप्रीम' फटकार?
Who is gangster Anurag Dabban
फर्रुखाबाद: Who is gangster Anurag Dabban: फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कसरट्टा निवासी फरार चल रहे गैंगस्टर अनुराग दुबे उर्फ डब्बन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. राहत मिलने से परिजनों ने कुछ राहत की सांस लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय का आभार जताया है.
बता दें कि राज्य स्तरीय चिन्हित माफिया अनुपम दुबे का भाई अनुराग दुबे उर्फ डब्बन गैंग का सक्रिय सदस्य है. जिस पर गैंगेस्टर एक्ट सहित दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज है. माफिया अनुपम दुबे पुलिस इंस्पेक्टर रामनिवास यादव हत्याकांड में मथुरा की जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे है.
वहीं, अनुराग दुबे काफी समय से फरार चल रहा है. अनुराग दुबे एक मामले में राहत पाने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. जिस पर कोर्ट ने राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस पर भी गंभीर टिप्पणी की है. न्यायालय के अदेश के बाद गैंगेस्टर अनुराग दुबे के परिजनों ने राहत की सांस ली है.
अनुराग दुबे की माता कुसुम लता दुबे ने बताया कि 'हम लोग पुलिस के भय में जी रहे है. बच्चे भी घर से बाहर है. पुलिस के डर से घर पर कोई नहीं आता है. अदालत ने जो भी निर्णय दिया है, उससे हम खुश है. अब हमें कुछ राहत मिल सकेगी.' वहीं, माफिया अनुपम दुबे की पत्नी और अनुराग की भाभी मीनाक्षी दुबे ने कहा कि 'जब से मेरे पति जेल गए हैं. पुलिस हर तरह से उत्पीड़न कर रही है. हर आने जाने वाले को डरा धमका रही है. बच्चे भी डर के साये में जी रहे है. बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर भी डर कर घर नहीं आ रहे है. मेरे होटल को भी तोड़ दिया गया. जबकि होटल के आस पास के भवनों को भी नोटिस दिया गया था. लेकिन वह सभी भवन नहीं तोड़े गए हैं. अब न्यायालय के आदेश से कुछ राहत मिल सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगीः बता दें कि डब्बन ने मारपीट, धमकी और संपत्ति में अवैध तरीके से घुसने के एक मामले को रद्द करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने केस रद्द नहीं किया था, लेकिन यह कहा था कि फिलहाल गिरफ्तारी न हो. कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने पर विचार करे. जांच अधिकारी डब्बन को फोन पर जांच के लिए पेश होने का नोटिस भेज सकते हैं. नोटिस मिलने पर वह जांच में सहयोग के लिए पेश हो. जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि अधिकारी यह समझ नहीं रहे हैं कि वह एक खतरनाक क्षेत्र में दाखिल हो रहे हैं. याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक मामले दर्ज किए जा रहे हैं. एक मामले में तो रजिस्ट्री के ज़रिए खरीद के बावजूद जमीन पर कब्जे का केस बना दिया गया है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता पर अभी भी गिरफ्तारी का खतरा है, इसलिए वह पेश नहीं हो पा रहा है. दो जजों की बेंच ने गहरी नाराजगी जताते हुए यूपी सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील राना मुखर्जी से कहा, 'आप अपने डीजीपी को बता दीजिए कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ गया तो ऐसा आदेश देंगे कि वह जीवन भर याद रखेंगे. यह नहीं चल सकता कि आप हर बार याचिकाकर्ता पर नया केस फाइल कर दें. हमने उसे अंतरिम राहत देते हुए जांच में सहयोग के लिए कहा है. उसे ऐसा करने दीजिए.'