मथुरा वृंदावन में पुण्य की प्राप्ति के लिए तीन वन जुगल जोडी की परिक्रमा में उमडी लाखों श्रद्धालुओं की भीड

Parikrama of Teen Van Jugal Jodi

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अक्षय नवमी: मथुरा वृंदावन में आस्था का सैलाब, राधे राधे पर झूमे श्रद्धालु

मथुरा। दयाराम वशिष्ठ: Parikrama of Teen Van Jugal Jodi: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी पर मथुरा वृंदवन में आस्था का सैलाब उमडा रहा। दिल्ली एनसीआर, फरीदाबाद व पलवल से हजारों श्रद्धालु अष्टमी को ही वृंदावन पहुंच गए। जहां श्रद्धालुओं ने ब्रज में मथुरा वृंदावन और गरुणगोविंद इन तीन वनों की 21 कोस की परिक्रमा लगाई। इस दौरान मथुरा वृंदावन राधे राधे के उद्घोषों से गुंजायमान हो उठा।

परिक्रमा को लेकर दिल्ली से मथुरा वृंदावन की ओर आने जाने श्रद्धालुओं की भारी भीड बस अड्डा व रेलवे स्टेशन पर जमा रही। प्राईवेट वाहन चालकों ने भी इस परिक्रमा को लेकर खूब चांदी काटी।  
 इस दिन मथुरा, वृंदावन, और गरुड़ गोविंद इन तीन वनों की परिक्रमा की जाती है. इसे तीन वन की परिक्रमा कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन परिक्रमा करने से सभी तीर्थों का पुण्य मिलता है।

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परिक्रमा से पहले भक्तों ने विश्राम घाट पर यमुना स्नान और पूजन किया। इस दौरान विश्राम घाट, बंगाली घाट, रंगेश्वर महादेव मंदिर, डेंपियर नगर, भूतेश्वर, पोतराकुंड, सरस्वती कुंड, चामुंडा, गायत्री तपोभूमि, गोकर्ण नाथ, मोक्षधाम, गऊघाट पर भारी भीड़ रही। 

अक्षय फल की प्राप्ति के लिए हजारों श्रद्धालुओं ने कान्हा की लीला स्थली वृंदावन में नवमी से पहले ही डेरा डाल लिया। अक्षय नवमी पर विशेष मान्यता के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन की जुगल जोड़ी और तीन वन की परिक्रमा के लिए यहां पहुंचे। इस दौरान प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओँ की भारी भीड़ उमड़ी। वहीं परिक्रमा मार्ग राधे-राधे के जयकारों से गूंजायमान हो रहा है।  इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है।

मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा और दान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को आर्थिक लाभ मिलता है।

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अक्षय नवमी को परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं का रेला और बढ़ता चला गया। आस्था के पथ पर श्रीकृष्ण और राधारानी के जयकारते लगाते हुए भक्तों के कदमों आगे बढ़ते रहे, जिससे परिक्रमा मार्ग पर मानव श्रृंखला बन गई। 
परिक्रमार्थियों का उत्साह देखने लायक था। पूरा परिक्रमा मार्ग हरिनाम संकीर्तन और राधे-राधे के स्वरों से गुंजायमान होता रहा। श्रद्धालुओं ने परिक्रमा के बाद ब्रज के मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन किए। इस मौके पर देवली गांव के श्रद्धालुओं ने वृंदावन में भंडारा भी किया। देवली से पहुंचे चेतन स्वरूप, पूर्व सरपंच बब्बल, जाजरू से  मुकेश शर्मा, रमेश फौजी बघौला से गुलाब वशिष्ठ, फोटोग्राफर मनोज कुमार, प्रेम राज, सुरेंद्र, मनोज, चौखी, सुनील वर्मा, वंदना, गीता, शकुंतला, रजनी वशिष्ठ, पुष्पा, सीमा, लक्ष्मी, वेदन, सुमन समेत काफी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि जुगल जोडी की इस परिक्रमा का बहुत ही महत्व है।

क्या कहते हैं कथा व्यास

श्री राधा माधव आश्रम वृंदावन से  कथा ब्यास राजकुमार शास्त्री ने बताया कि  कार्तिक के महीने में जुगल जोडी परिक्रमा का बहुत बडा महत्व है। स्वयं भगवान ने इस परिक्रमा को दिया है। यह कथा पूर्णामासी तक चलती है। जो व्यक्ति इस परिक्रमा को लगाते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी। भगवान की परिक्रमा इंसान के जीवन को सफल बनाती है।