हमीरपुर में बे-मौसमी बारिश की बूंदों से कोकून का उत्पादन दस क्विंटल कम किया गया, महिलाओं ने कड़ी मेहनत करके 45 दिनों में रेशम पालन से करीब 50 लाख रूपये कमाए
- By Arun --
- Friday, 16 Jun, 2023
Unseasonal rain drops in Hamirpur reduced cocoon production by ten quintals, quintals reduced.
हमीरपुर:हमीरपुर और ऊना जिले के 1150 रेशम पालकों को इस बार बे-मौसमी बारिश की बूंदों ने दस फीसदी उत्पादन कम कर दिया है तथा कड़ी मेहतन का पूरा लाभ नहीं मिल पाया है। इसके बावजूद भी महिलाओं ने कड़ी मेहनत करके 45 दिनों में रेशम पालन से करीब 50 लाख रूपये कमा कर पारिवारिक आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
1150 रेशम पालकों को किया था वितरित
उद्योग विभाग के रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से रेषम पालकों को 1100 ओंस रेशम बीज हमीरपुर के सात और ऊना के तीन केंद्रों के 1150 रेशम पालकों को वितरित किया था। इस बार विभाग को कोकून का करीब 75 क्विंटल उत्पादन होने की अनुमान था।
लेकिन दस केंद्रों में एक सप्ताह में हुई खरीद से पता चला है कि इस बार केवल 50 क्विंटल ही उत्पादन हो पाया है। ग्रामीण महिलाओं ने सेरीकल्चर को बढ़ावा देने के लिये 45 दिनों की कड़ी मेहनत से 50 लाख रुपये कमाएं हैं जबकि वर्ष 2022 में यह उत्पादन 60 क्विंटल था।
रेशम पालन में लगी महिलाएं
वीना देवी, रीना कुमारी, पूनम, अनिता देवी, पवना कुमारी, सुर्दशना कुमारी, मधूवाला, रंजना देवी, निशा कुमारी, परमजीत कौर, राधा देवी, कुसुमवाला, स्नेह लता, प्रेम लता, नीलम कुमारी व अन्य कहना है कि बे-मौसमी बारिश की बजह से हुई ठंड को कोकून के उत्पादन पर फर्क पड़ा है। फिर भी रेम पालन से अच्छी कमाई हुई है। उनका कहना है कि रेशम पालन बेराजगार युवाओं और युवतियों के स्वरोजगार का अच्छा व सस्ता साधन है।
मंजू सिंह की सबसे अधिक मेहनत
हमीरपुर जिला के बणी निवासी मंजू सिंह ने सबसे अधिक 50 किलोग्राम कोकून का उत्पादन किया है तथा कोकून को बेच कर 51 हजार रुपये कमाएं हैं जोकि अन्य रेशमपालकों के लिये मिसाल है। इसी तरह हमीरपुर जिला के जंगलबैरी रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र के अधीन आने वाले रेशम पालकों ने जिला के अन्य केंद्रों में सबसे अधिक नौ क्विंटल का कोकून तैयार किया है।
हमीरपुर और ऊना जिले के 1150 रेशम पालकों इस बार करीब 50 क्विंटल का कोकून तैयार किया है तथा 50 लाख रूपये कमाएं हैं। इस बार मौसम ठंडा रहने के कारण कोकून का पूरा साइज नहीं बन पाया है। इससे उत्पादन लक्ष्य के अनुसार नहीं हुआ है। मदन लाल शर्मा, जिला तकनीकी सुपरवाइजर एवं प्रभारी राजकीय रेशम केंद्र एवं प्रशिक्षण प्रभारी नादौन।