उद्योग व्यापार मंडल (यूवीएम) ने प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कलेक्टर रेट वृद्धि पर जताई आपत्ति

Objection on the Collector Rate Hike
अनअर्न्ड प्रॉफिट भी बढ़ेगा छोटे दुकानदारों पर पड़ेगा सबसे अधिक बोझ–––कैलाश जैन
चंडीगढ़, 6 मार्च 2025: Objection on the Collector Rate Hike: चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा संपत्तियों की रजिस्ट्री हेतु कलेक्टर रेट में प्रस्तावित वृद्धि के खिलाफ उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ (पंजीकृत) ने कड़ी आपत्ति जताई है।
इस संबंध में यूवीएम की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें यूवीएम के पदाधिकारी कैलाश चंद जैन, नरेश कुमार गोयल, चिराग अग्रवाल, विजय पाल सिंह सांगवान, महिंदर पाल बंसल, प्रदीप बंसल, सुशील जैन, सत्य प्रकाश आदि सहित अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, यूवीएम अध्यक्ष कैलाश जैन ने उपायुक्त चंडीगढ़ को एक औपचारिक आपत्ति पत्र सौंपते हुए इस वृद्धि को अव्यवहारिक और जनविरोधी बताया।
यूवीएम अध्यक्ष कैलाश चंद जैन, महासचिव नरेश कुमार गोयल और समन्वयक चिराग अग्रवाल ने प्रशासन को चेताया है कि यह वृद्धि आम जनता और व्यापारियों पर भारी आर्थिक बोझ डालेगी और संपत्ति बाजार में मंदी ला सकती है।
उन्होंने आपत्ति जताई है कि कलेक्टर रेट में वृद्धि से आम नागरिकों, विशेष रूप से मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों के लिए संपत्ति खरीदना मुश्किल हो जाएगा। बढ़ी हुई दरों के कारण संपत्तियों की कीमतें अस्वाभाविक रूप से बढ़ेंगी, जिससे खरीदारों की संख्या घटेगी और संपत्ति बाजार में सुस्ती आएगी।
सबसे ज्यादा प्रभाव अन-अर्न्ड प्रॉफिट पर पड़ेगा, प्रशासन द्वारा लिए जाने वाले अन-अर्न्ड प्रॉफिट में अत्यधिक वृद्धि हो जाएगी, जिससे संपत्ति खरीदारों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव बढ़ेगा जिसका सीधा असर छोटे दुकानदारों पर सबसे अधिक पड़ने वाला है।
इसके अलावा, कलेक्टर रेट में वृद्धि से लोग रजिस्ट्री फीस से बचने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी या अन्य वैकल्पिक माध्यमों का उपयोग करेंगे, जिससे प्रशासन के राजस्व में वृद्धि के बजाय कमी आने की संभावना है। महंगे कलेक्टर रेट के कारण संपत्ति खरीदना आम आदमी के लिए कठिन हो जाएगा, जिससे सामाजिक असमानता बढ़ सकती है। उच्च दरों के कारण निवेशकों की रुचि कम होगी, जिससे चंडीगढ़ के आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ सकती है।
उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ ने प्रशासन से मांग की है कि इस प्रस्तावित वृद्धि को तुरंत रद्द किया जाए या इस पर पुनर्विचार किया जाए, ताकि आम जनता, व्यापारी और निवेशक राहत महसूस कर सकें। उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन इस निर्णय को वापस नहीं लेता है, तो व्यापारी समुदाय इसके खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हो सकता है।