trying to alive dead body

लाश का तमाशा: कान में लगाया गया मोबाइल, फिर से जिंदा होने की घटना को देखने पहुंचे हजारों लोग

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जो एक बार मर गया है भला वो क्या दोबारा जिंदा होगा? लेकिन इस धरती पर कुछ ऐसे लोग हैं जो मरने वालों को खुद को भगवान मानकर दोबारा जीवन देने की बात करते हैं| मगर, होता इनसे कुछ नहीं, सब हवा में है| एक ऐसा ही मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से सामने आया है| जहां एक शख्स की मौत हो जाने के बाद उसे जिंदा करने की कोशिश की गई| दरअसल, एक तांत्रिक द्वारा शख्स को जिंदा करने की बात कही गई, जिसके चक्कर में मृतक शख्स के घर वाले आ गए| घर वालों ने मोह में आकर अपनी आँखों में अंधविश्वास की पट्टी बाँध ली और यह मान लिया कि शख्स दोबारा जिंदा हो जाएगा| घर वालों ने शख्स का अंतिम संस्कार रोक दिया और जैसा-जैसा तांत्रिक द्वारा उनसे करने को कहा गया| वह करने लग गए|

लाश को खुले में एक ग्राउंड में रख दिया गया .....

मृतक शख्स की लाश को घर वालों ने खुले में एक ग्राउंड में रख दिया| और फिर शुरू हो गया लाश में प्राण फूंकने का तमाशा| इधर, जो भी यह सुन रहा था कि लाश जीवित हो रही है वो मौके पर तत्काल पहुंच रहा था| आखिर, लोगों को भी देखना था कि लाश कैसे जिंदा होती है| मौके पर धीरे-धीरे कर हजारों की भीड़ एकत्र हो गई| सबकी निगाहें बस लाश और उसे जीवित करने के तरीके पर टिकी हुईं थी|

लाश के कान में मोबाइल भी लगाया गया ...

लाश को जब जिंदा करने की क्रिया हो रही थी तो इस दौरान लाश के कान में मोबाइल भी लगाया गया| जैसे लाश के कान चालू हैं और वह सब सुन रही है| हालांकि, यह पता नहीं लगा कि मोबाइल द्वारा लाश को क्या सुनाया गया? इसके अलावा आप देखेंगे कि लाश पर पंखा भी जुलाया जा रहा है, जैसे लाश को गर्मी लग रही हो|

लाश का तमाशा और फिर परिणाम....

ये जो लाश को जिंदा करने का काम चला ये एक तमाशा साबित हुआ| परिणाम यह रहा कि लाश हिली तक नहीं और कैसे हिलती, जब वह बिलकुल निर्जीव हो चुकी है| आपको बतादें कि लाश को जिंदा नहीं किया जा सका| जिसके बाद आख़िरकार लाश का अंतिम संस्कार किया गया| कहते हैं आस्था और अंधविश्वास के बीच बहुत बारीक लकीर होती है और कई लोग इसमें फर्क नहीं कर पाते। सच यही है कि एक बार जो चला गया, वो फिर कभी लौटकर नहीं आता।