कालका-शिमला हेरिटेज पर हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल फेल; तीन डिब्बों की ट्रेन नहीं चढ़ सकी पहाड़ियां
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कालका-शिमला हेरिटेज पर हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल फेल; तीन डिब्बों की ट्रेन नहीं चढ़ सकी पहाड़ियां

Kalka-Shimla Rail Section

Kalka-Shimla Rail Section

अंबाला। Kalka-Shimla Rail Section:  कालका-शिमला विश्व धरोहर रेल सेक्शन में बरसों के बाद रेल मोटर कार के स्थान पर देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। तकनीकी खामियों के कारण तीन डिब्बों की यह ट्रेन ट्रायल में फेल हो चुकी है। यह पहाड़ियां नहीं चढ़ पाई थीं।

नए साल में फिर से होगा ट्रायल

विशेषज्ञ खामियां दूर करने में जुटे हैं। आधुनिक तकनीक से बनी हाइड्रोजन ट्रेन रेलवे को सौंपने से पहले ही जवाब दे गई थी। नए साल में इसका फिर से ट्रायल किया जाएगा। मौजूदा समय रेल मोटर कार 12, 14 और 16 सवारी वाले डिब्बों की चल रही है।

नई हाइड्रोजन ट्रेन में हो 60 लोगों के बैठने की क्षमता

रेलवे चाहता है कि नई हाइड्रोजन ट्रेन में 60 लोगों के बैठने की क्षमता हो। अब कंपनी के पदाधिकारी खामियों को दूर कर रेलवे को फिर से रिपोर्ट देंगे। इसके बाद ट्रायल को झंडी दी जाएगी। मौजूदा समय में दौड़ रही गाड़ियों से इसकी स्पीड भी अधिक होगी।

एक किलोमीटर भी नहीं चल पाई थी

कालका-शिमला सेक्शन पर हाइड्रोजन ट्रेन (Kalka-Shimla section Hydrogen train) करीब एक किलोमीटर में ही जवाब दे गई थी। ट्रायल के दौरान कंपनी के पदाधिकारी ही नहीं, बल्कि रेल अधिकारी भी मौजूद थे।

हाइड्रोजन ट्रेन में है कई आधुनिक सुविधाएं

ट्रेन में आधुनिक सुविधाएं हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरा, हीटर, डिजिटल बोर्ड, मोबाइल चार्जर प्वाइंट आदि मौजूद हैं। वंदे भारत की तर्ज पर ही तीनों डिब्बों के साथ इंजन जुड़ा हुआ है। कंपनी द्वारा फिर से ट्रायल होगा, जो सफल होने के बाद अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) की टीम फिर से इसका ट्रायल करेगी।

हाइड्रोजन और डीजल से चलेगी यह ट्रेन

बेंगलुरु की कंपनी ने ही इंजन और डिब्बों को तैयार किया है। हाइड्रोजन और डीजल से यह ट्रेन चलेगी। हाइड्रोजन इंजन के इस्तेमाल से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है। सिर्फ जलवाष्प ही निकलते हैं। यह हरित आवरण में स्वच्छ और पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं।

ट्रेन चली तो ये मिलेंगी सुविधाएं

तीन डिब्बों वाली इस ट्रेन में यात्रियों के लिए कई सुविधाएं दी हैं। इसमें एसी, हीटर, वाशरूम, एलईडी, डिस्पले बोर्ड, सीट के पास मोबाइल के लिए चार्जिंग स्विच, सीट के साथ पैनिक स्विच की सुविधा है। इसी तरह सभी डिब्बों में कैमरे लगे हैं।

तीनों डिब्बों की हर गतिविधि पर रहेगी नजर

ड्राइवर कैबिन में एलईडी स्क्रीन में तीनों डिब्बों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी। ड्राइवर कैबिन के पास इमरजेंसी डोर है, जबकि दो स्क्रीनों पर आने वाले स्टेशन और मौजूदा स्टेशन की भी जानकारी मिलेगी। प्रत्येक सीट के पीछे टेबल ट्रे लगी है ताकि सैलानी यात्रा के दौरान ट्रे पर भोजन रख सकेंगे।

सफर घटाने पर भी चल रहा प्रयास

इस 96 किलोमीटर के ट्रैक पर सफर पांच घंटे से घटाकर साढ़े तीन-चार घंटे तक करने के प्रयास किए गए, लेकिन सफल नहीं हो पाए। ट्रेन की स्पीड बढ़ाने में इस ट्रैक पर गोलाई और ऊंचाई रोड़ा बनी हुई है। इस सेक्शन में 919 घुमाव हैं, जिसमें सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री पर घूमती है। ऐसे में स्पीड को और बढ़ाना संभव नहीं लग रहा।

कर्व का विकल्प अभी नहीं तलाशा गया

रेल मंत्री ने री-अलाइनमेंट के माध्यम से स्पीड बढ़ाने की बात कही थी। मौजूदा समय कालका से शिमला के बीच में ट्रेनों की स्पीड 25 किलोमीटर (किमी) प्रतिघंटा है, जबकि रेल मोटर कार की स्पीड 30 किमी प्रतिघंटा है। रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ ने भी सर्वे किया ताकि स्पीड को बढ़ाया जा सके, लेकिन कर्व का विकल्प अभी तलाशा नहीं जा सका।

गाड़ी कंपनी के पास है : डीआरएम

डीआरएम मंदीप सिंह भाटिया ने कहा कि कालका-शिमला सेक्शन पर रेल मोटर कार को रिप्लेस करने की योजना है। इस नई ट्रेन में 60 यात्री बैठते हैं और आधुनिक सुविधाएं हैं। अभी कंपनी ने रेलवे के हैंडओवर नहीं की है। ट्रायल में जो तकनीकी खामियां आई हैं, उनको दूर किया जा रहा है।

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