सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का प्रायोगिक आधार पर होगा ट्रांसक्रिप्शन

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का प्रायोगिक आधार पर होगा ट्रांसक्रिप्शन

Natural Language Processing Technology

Natural Language Processing Technology

नई दिल्ली: Natural Language Processing Technology: जो प्रयोग सुप्रीम कोर्ट ने शुरू किया है, अगर वह सफल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संसद की कार्यवाहियों(proceedings of parliament) की तरह सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाइयों की भी लाइव ट्रांसक्रिप्ट(live transcript) उपलब्ध होगी। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक था। कोर्ट में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस(artificial intelligence) (एआइ) का इस्तेमाल करके सुनवाई की लाइव ट्रांसक्रिप्शन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वकील दलीलें रख रहे थे और सामने लगी डिस्प्ले स्क्रीन पर दलीलें लिखी हुई दिखाई देती जा रही थीं। शाम को तैयार ट्रांसक्रिप्ट पक्षकारों के वकीलों को दी गई। सब कुछ पहली बार हो रहा था। सभी खुश और चमत्कृत थे।

संविधान पीठ की सुनवाई में हुआ लाइव ट्रांसक्रिप्शन / Live transcription in the hearing of the constitution bench

लाइव ट्रांसक्रिप्शन की यह प्रक्रिया पहली बार प्रयोग के तौर पर चीफ जस्टिस कोर्ट में चल रही संविधान पीठ की सुनवाई में हुई। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रही सत्ता की लड़ाई की सुनवाई के लिए बैठी पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में पहली बार यह प्रक्रिया शुरू हुई। पीठ की अगुआई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद वकीलों से कहा, क्या आप स्क्रीन देख रहे हैं? हम केवल लाइव ट्रांसक्रिप्शन की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। तब हमारे पास बहसों का एक स्थाई रिकार्ड होगा। इससे जजों और वकीलों, दोनों को मदद मिलेगी। ला कालेज इसका विश्लेषण भी कर सकते हैं और जान सकते हैं कि कैसे बहस की जाती है।

कानून के छात्र भी उठा सकेंगे लाभ / Law students will also be able to avail

भविष्य में कानून के छात्र भी इसका लाभ उठा सकेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी एक मुद्दा यह भी है कि अगर दो या दो से अधिक लोग एक साथ बोलते हैं, तो यह कैसे दिखाया जाए? लेकिन इसका भी समाधान निकाला जाएगा। सीजेआइ की इस घोषणा पर बहस के लिए मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने खुशी जाहिर करते कहा कि यह तो बहुत अच्छा विचार है। यह मील का पत्थर होगा। तभी पीठ में मौजूद दूसरे न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने कहा कि इससे सुप्रीम कोर्ट सही मायने में कोर्ट आफ रिकार्ड होगा, जहां बोला जाने वाला हर शब्द रिकार्ड किया जाएगा।

वेबसाइट पर डाली जा सकती है लाइव ट्रांसक्रिप्ट / Live transcript can be put on the website

सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का इरादा लाइव ट्रांसक्रिप्टों को अपनी वेबसाइट पर डालने का है। यानी अब वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढि़यां जिस मुकदमे की सुनवाई में हुई बहस का लाइव ट्रांसक्रिप्शन देखना चाहेंगी, तो देख पाएंगी। वैसे इसमें समय लगेगा। अभी प्रयोग के तौर पर प्रक्रिया शुरू हुई है। देखा जा रहा है कि तकनीकी रूप से कैसे इसे संभव बनाया जाए। अभी पूरी प्रक्रिया स्पीच टू टेक्स्ट तकनीक पर आधारित है। शुरुआत संविधान पीठ की सुनवाइयों से की गई है, लेकिन आने वाले दिनों में इसे और बढ़ाया जा सकता है। वैसे संविधान पीठ में होने वाली सुनवाइयों की लाइव स्ट्री¨मग पहले ही शुरू हो चुकी है।

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