निगरानी प्रणालियों के खिलाफ याचिका पर शीर्ष कोर्ट का नोटिस; कहा- चार हफ्ते में जवाब दे केंद्र
Petition against Surveillance Systems
नई दिल्ली। Petition against Surveillance Systems: सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी प्रणालियों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। यह जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। इस याचिका में दावा किया गया है कि केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (एनएटीआरए) और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) जैसे निगरानी प्रणालियों से नागरिकों की निजता के अधिकार को खतरे में डाला जा रहा है।
10 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध
इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने 10 अक्टूबर को केंद्र को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआइएल) और साफ्टवेयर फ्रीडम ला सेंटर (एसएफएलसी) द्वारा दायर स्थानांतरण याचिका को 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
सीपीआइएल और एसएफएलसी द्वारा दायर जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है। उसमें कहा गया है कि ये निगरानी प्रणालियां केंद्रीय और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक स्तर पर दूरसंचार की निगरानी करने की अनुमति देती हैं और यह नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
सभी प्रकार के संचार की निगरानी
वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में दलील दी गई है कि सीएमएस निगरानी प्रणाली के तहत टेलीफोन काल, व्हाट्सएप संदेश और ईमेल जैसे सभी प्रकार के संचार को इंटरसेप्ट किया जाता है और निगरानी की जाती है। याचिका में कहा गया है कि नेटग्रिड प्रणाली के तहत, टैक्स और बैंक खाते के विवरण, क्रेडिट कार्ड लेनदेन, वीजा और इमिग्रेशन रिकार्ड, रेल एवं हवाई यात्राओं की निगरानी की जाती है।
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