कांग्रेस के चिंतन शिविर का आज आखिरी दिन, कई मसौदों पर लग सकती है अंतिम मुहर
कांग्रेस के चिंतन शिविर का आज आखिरी दिन, कई मसौदों पर लग सकती है अंतिम मुहर
कांग्रेस पार्टी का राजस्थान के उदयपुर में आयोजित हो रहा तीन दिन का चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) आज यानी रविवार को समाप्त हो रहा है. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर रोडमैप सहित अन्य घोषणाएं करने के लिए छह समितियों द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करेगी. चिंतन शिविर का आयोजन 9 साल के अंतराल के बाद किया गया है, जिसमें करीब 430 नेता शामिल हुए. इसमें ‘छह ड्राफ्ट प्रस्ताव’ भी तैयार किए गए हैं. जिन्हें छह समितियों के लिए नियुक्त सभी संयोजक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगे.
संयोजक की नियुक्ति राजनीति से लेकर संगठन तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हुई थी. जिनमें किसान-कृषि, युवाओं से जुड़े मुद्दे, सामाजिक न्याय और कल्याण एवं अर्थव्यवस्था है. सीडब्ल्यूसी अब एक बैठक करेगी और फिर पार्टी के बड़े अधिकारियों से अंतिम मंजूरी के लिए समितियों द्वारा प्रस्तावित ड्राफ्ट प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे. जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार होगा, उनमें संगठन में युवाओं, एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी आरक्षण देना शामिल होगा.
इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा
इसके साथ ही जिन दूसरे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, उनमें ‘एक परिवार एक टिकट’ फॉर्मूला, पार्टी के नेताओं के लिए कूलिंग पीरियड, एनएसयूआई आंतरिक चुनाव, किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी और संसदीय दल बोर्ड का गठन करना शामिल है. सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी कई हैरान कर देने वाले फैसले ले सकती है. सोनिया गांधी ने साफ कहा है कि पार्टी में सुधार की काफी जरूरत है और उसे अपने काम करने के तरीके में बदलाव करना भी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने नेताओं को बहुत कुछ दिया है और ये समय पार्टी को भुगतान करने का समय है.
इस बीच ऐसी भी खबर है कि राहुल गांधी चिंतन शिविर की समाप्ति से पहले संबोधन करेंगे. वह ऐसा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की समापन टिप्पणी से पहले कर सकते हैं. ऐसा भी संभावना है कि नेता खुलेतौर पर इस बात की वकालत कर सकते हैं कि राहुल गांधी को पार्टी के अध्यक्ष पद पर लौट आना चाहिए. साथ ही इस साल सितंबर महीने में पार्टी अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनावों में शिरकत करनी चाहिए. एक परिवार, एक टिकट की व्यवस्था की बात करें, तो इसे लागू करने पर मुख्यरूप से मंथन किया गया है. इस व्यवस्था के साथ यह प्रावधान भी जुड़ा है कि परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिलेगा जब उसने पार्टी के लिए कम से कम पांच साल तक काम किया हो.