विनाशकारी भूकंप, तीव्रता 7.1 और 55 लोगों की मौत; तिब्बत में भारी तबाही से हाहाकार, कई इमारतें हुईं जमींदोज, भारत में भी असर
Tibet Deadly Earthquake 7.1 Magnitude At Least 55 Dead Many Buildings Collapse
Tibet Earthquake Deaths: चीन के कंट्रोल वाले तिब्बत (शिज़ांग) रीजन में 7.1 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस ताकतवर भूकंप के कुछ देर बाद ही तिब्बत (शिज़ांग) में लगातार एक के बाद एक 10 से ज्यादा भूकंप और आए। भूकंप के चलते तिब्बत में जहां कई इमारतें जमींदोज हो गईं तो वहीं कई इमारतें टेढ़ी और झुकी हुई देखी जा रहीं हैं। चारों तरफ मलबा ही मलबा है और हाहाकार मचा हुआ है।
चीनी मीडिया के हवाले से बताया गया है कि, अब तक भूकंप के चलते 55 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे पहले चीन सिन्हुआ न्यूज़ क्षेत्रीय आपदा राहत अधिकारियों का हवाला देते हुए, 32 लोगों की मौत और 38 लोगों के घायल होने की सूचना दी थी।
फिलहाल चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भूकंप की इस स्थिति से निपटने और राहत-बचाव कार्य में लगी हुई है। चीनी सेना ने भूकंप के केंद्र में स्थिति के आकलन के लिए ड्रोन भी तैनात किए हैं। इसके अलावा चीनी वायु सेना ने आपदा राहत आपातकालीन योजना को सक्रिय कर दिया है। साथ ही आपदा राहत में सहायता के लिए परिवहन और चिकित्सा विमानों, हेलीकॉप्टरों और जमीनी बलों की एक टीम को स्टैंडबाय पर रखा गया है।
नेपाल-भारत समेत इन देशों पर भूकंप का असर
जहां तिब्बत (शिज़ांग) रीजन में भूकंप का व्यापक और भीषण प्रभाव रहा तो वहीं तिब्बत की सीमा से लगे देशों में भी भूकंप का असर रहा। तिब्बत सीमा के साथ लगे जहां नेपाल में कई इलाकों में भूकंप का काफी ज्यादा असर रहा तो वहीं भूटान और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जाता है कि, नेपाल-तिब्बत सीमा पर भूकंप के कारण निवासियों को अपने घर खाली करने और खुले स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसके अलावा भारत में असम, सिक्किम जैसे पूर्वोत्तरी राज्यों के कुछ हिस्सों के अलावा पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भारत में भूकंप की जद में सबसे ज्यादा बिहार आया। इस दौरान डरे सहमे लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने घरों के अंदर के वीडियो शेयर किए।
फिलहाल, तिब्बत के अलावा अन्य देशों में अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। अभी तक किसी तरह के नुकसान या मौत की सूचना नहीं मिली है। मगर सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है।
तिब्बत में 10 से ज्यादा भूकंप आए
रिक्टर स्केल पर 7 से ऊपर की तीव्रता के भूकंप को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने मंगलवार को तिब्बत (शिज़ांग) रीजन में भूकंप के सभी झटकों की जानकारी दी है। एनसीएस ने बताया कि, मंगलवार सुबह सबसे पहले 7.1 तीव्रता का भूकंप सुबह 6 बजकर 35 मिनट 18 सेकेंड के करीब 10 किलोमीटर की गहराई पर तिब्बत (शिज़ांग) में आया। इसके कुछ देर बाद ही 7 बजकर 2 मिनट 7 सेकेंड के आसपास एक और भूकंप महसूस हुआ। जिसकी तीव्रता 4.7 थी।
इसी प्रकार आगे भी रुक-रुककर भूकंप के झटके लगते रहे। 4.9 तीव्रता की एक और भूकंप सुबह 7 बजकर 7 मिनट 23 सेकेंड पर आया। इसके बाद सुबह 5 तीव्रता का भूकंप 7 बजकर 13 मिनट 52 सेकेंड पर आया। वहीं 4.9 तीव्रता का भूकंप 7 बजकर 29 मिनट 51 सेकेंड पर आया। इसके बाद 4.8 तीव्रता का भूकंप 7 बजकर 44 मिनट 26 सेकेंड पर आया। फिर 4.5 तीव्रता का भूकंप 8 बजकर 49 मिनट 34 सेकेंड पर आया। इसी तरह 4.3 तीव्रता का भूकंप 9 बजकर 11 मिनट 14 सेकेंड पर आया।
जबकि 4.1 तीव्रता का भूकंप 10 बजकर 41 मिनट 15 सेकेंड पर आया। वहीं 4.5 तीव्रता का भूकंप 11 बजकर 27 मिनट 19 सेकेंड पर आया। इसके बाद 4.1 तीव्रता का भूकंप 11 बजकर 55 मिनट 40 सेकेंड पर आया। इसी प्रकार दोपहर 1 बजकर 6 मिनट 40 सेकेंड पर 4.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद 4.5 तीव्रता का भूकंप 1 बजकर 24 मिनट 11 सेकेंड पर आया।
नेपाल में नवम्बर 2023 में आया था भीषण भूकंप
2015 में नेपाल में मारे गए थे 9,000 लोग
नेपाल एक ऐसा देश है जो कि अक्सर भूकंप से प्रभावित होता रहता है। अब तक यह देश इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आकर अपना बहुत नुकसान कर चुका है। न जाने कितने लोग मारे जा चुके हैं, कितने घर उजड़ गए। इसके साथ ही जो सार्वजनिक नुकसान हुआ सो अलग।
मालूम रहे कि, नेपाल में 7.8 तीव्रता का सबसे घातक और विनाशकारी भूकंप अप्रैल 2015 में आया था जब लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और लगभग 22,000 अन्य घायल हुए थे। वहीं 800,000 से अधिक घरों और स्कूल भवनों को नुकसान पहुंचा था।
तुर्की-सीरिया का विनाशकारी भूकंप याद है
फरवरी 2023 में तुर्की-सीरिया में लगभग 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इस विनाशकारी भूकंप में 25000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबकि हजारों लोग घायल हुए थे। इस विनाशकारी भूकंप के चलते दोनों ही देशों में बड़ी तादाद में इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं थीं। जहां इमारतें गिरने के साथ बड़ी संख्या में लोग भारी मलबे के नीचे दब गए।
यही वजह रही कि, मरने वालों का आंकड़ा इतना ज्यादा बढ़ गया। गाड़ियों में मौजूद लोग भी मारे गए। तुर्की और सीरिया की स्थिति देख कई देशों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया था। भारत भी मदद के लिए पहुंचा हुआ था। भारत से रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए NDRF की टीमों के साथ अन्य टीमें भेजी गईं थीं। इसके अलावा दवाइयों सहित अन्य राहत सामग्री भी भारत से भिजवाई जा रही थी।
ताइवान में 7.4 तीव्रता के भूकंप से भीषण तबाही हुई
वहीं पिछले साल अप्रैल 2024 में भूकंप के जानलेवा झटकों से ताइवान दहल गया था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.4 मापी गई। ताइवान में जोरदार भूकंप की कई लाइव तस्वीरें सामने आईं। जिनमें देखा जा सकता था कि किस प्रकार से भूकंप के झटकों से गगनचुंबी इमारतें टेढ़ी हो गईं थीं। झुक गईं थीं और गिरने की कगार पर थीं। वहीं कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढेर भी हुईं। लोगों के घर भी ढह गए।
इस भूकंप से बड़े संख्या में लोग मारे गए थे। भूकंप का सबसे ज्यादा असर ताइवान की राजधानी ताइपे में देखने को मिला। वहीं भूकंप की तबाही में पूर्वी ताइवान समेत हुआलिएन शहर, हुआलिएन काउंटी जैसे हिस्से सबसे ज्यादा चपेट में आए थे।
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क्यों आता है भूकंप?
बताया जाता है कि, धरती की अंदरूनी संरचना में टैक्टोनिक प्लेट्स (सरल भाषा में चट्टानें) मौजूद हैं। ये प्लेट्स लगातार हलचल करती रहती हैं। इस बीच जब यह इधर से उधर खिसकती हैं, टकराती हैं या टूटती हैं तो फिर तेज एनर्जी निकलती है और इससे धरती में कंपन पैदा होता है और इसे ही भूकंप कहते हैं। यानि धरती ऊपर से जितनी शांत है उतनी इसकी अंदरूनी सतह में हलचल चल रही है।
भूकंप आने पर क्या करें?
भूकंप आने के दौरान अगर आप घर या फ्लैट में हैं तो कोशिश करें कि खुली जगह पर आ जाएं। खासकर फ्लैट में मौजूद लोग जल्द से जल्द बाहर जरूर निकलें। क्योंकि फ्लैट की इमारतें काफी ऊंची होती हैं। ऐसे में इनके गिरने का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं भूकंप के चलते यदि आप बाहर खुली जगह पर आते हैं तो यहां भी आप यह सुनिक्षित करें कि आप किसी बिल्डिंग, पेड़ और बिजली के तारों या खम्भों के नजदीक तो नहीं है। इनसे दूरी बनाकर रखें। आप बिलकुल खाली जमीन को तलाश कर वहां पहुंच जाएं।