देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून, पढ़ें क्या क्या हुए हैं बदलाव
- By Vinod --
- Thursday, 04 Jul, 2024
Three new criminal laws implemented in the country, read what changes have happened
Three new criminal laws implemented in the country, read what changes have happened- चंडीगढ़। देश की कानून प्रणाली के तीन बड़े बदलाव से प्रभावी हो गए हैं। 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। भारतीय कानून प्रणाली में बदलाव के लिए तीन विधेयक पिछले साल संसद में पेश किए गए थे। इसी साल 24 फरवरी को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं।
नए आपराधिक कानून "दंड नहीं, न्याय केन्द्रित* समय पर न्याय*
* समय-सीमा निर्धारितः हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में मिल जाये न्याय
* तरीख पर तरीख से मिलेगी मुक्ति
* 35 सेक्शनों में टाइमलाइन जोड़ी गई
* इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में FIR दर्ज
* यौन उत्पीड़न में जाँच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी।
* पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय होंगे।
* घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति की स्थिति में 90 दिनों के भीतर मुकदमा
* आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा।
नए आपराधिक कानून "दंड नहीं, न्याय केन्द्रित
* सामुदायिक सजा: छोटे अपराधों में
* भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप
* 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान
* 6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज को समाहित किया गया
महिलाओं और बच्चों के अपराध
* प्राथमिकताः महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध (पहले खजाने की लूट थी)
* BNS में 'महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराध' पर नया अध्याय
* महिलाओं व बच्चों के अपराध से संबंधित 35 धाराएँ हैं जिनमें लगभग 13 नए प्रावधान है और बंकि में कुछ संशोधन
* गैंगरेप: 20 साल की सजा/आजीवन कारावास
* नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कारः मौत की सजा/आजीवन कारावास * झूठा वादा/पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है
* पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला अधिकारी के सामने ही रिकॉर्ड
* पीड़िता के अभिभावक की उपस्थित में होगा बयान दर्ज
तकनीक का उपयोग
* विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनानी है
* 50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीक इसमें समाहित हो सकेंगी
* कम्प्यूटराइजेशनः पुलिस इन्वेस्टीगेशन से लेकर कोर्ट तक की प्रक्रिया
+ E-records
* जीरो FIR, ई-FIR, चार्जशीट... डिजिटल होगी
* 90 दिन में मिलेगी पीड़ित को जानकारी
* फोरेंसिक अनिवार्य: 7 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में
* साक्ष्यों की रिकार्डिंगः जाँच-पड़ताल में साक्ष्यों की रिकार्डिंग को अनुमति
* वीडियोग्राफी अनिवार्यः पुलिस सर्च की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी
* E-बयानः बलात्कार पीड़िता के लिए E-बयान
* कोर्ट में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी।
* E-पेशीः गवाहों, आरोपियों, विशेषज्ञों और पीड़ितों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेशी।
फॉरेंसिक को बढ़ावा
* फोरेंसिक अनिवार्य: 7 वर्ष या अधिक की सजा वाले सभी अपराध
* इन्वेस्टीगेशन में साइंटिफिक पद्धति को बढ़ावा
* कन्विक्शन रेट को 90% तक ले जाने का लक्ष्य
* सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक अनिवार्य
* राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष में तैयार होगा
* मैनपावर के लिए राज्यों में FSU शुरू करना
* फॉरेंसिक के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए जगह-जगह लैब बनाना
मॉब लिंचिंग
* पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया
* नस्ल/जाति/समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा आदि से प्रेरित हत्या/गंभीर चोट मॉब लिंचिंग
* 7 वर्ष की कैद का प्रावधान
* स्थायी विकलांगता 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास
विक्टिम सेंट्रिक कानून
* विक्टिम-सेंट्रिक कानूनों के 3 प्रमुख फीचर्स
1. विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका
2. इनफार्मेशन का अधिकार और
3. नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार
* जीरो FIR दर्ज करने को किया संस्थागत
* अब FIR कहीं भी दर्ज कर सकते हैं
*विक्रिटम को FIR की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार
90 दिनों के भीतर जाँच में प्रगति की जानकारी
राजद्रोह को हटाना और 'देशद्रोह' की व्याख्या
* गुलामी की सभी निशानियों का समाप्त करना
* अंग्रेजों का राजद्रोह कानून राज्यों (देश) के लिए नहीं बल्कि शासन के लिए था
* 'राजद्रोह' जड़ से समाप्त
* लेकिन, देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा
* भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्य पर 7 साल तक या आजीवन कारावास
पुलिस की जवाबदेही में इजाफा
* सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य
* गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अनिवार्य
* 3 वर्ष से कम कारावास/60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति अनिवार्य
* गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा
* 20 से अधिक ऐसी धाराएँ हैं जिनसे पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी
* पहली बार Preliminary Enquiry का प्रावधान करा गया